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Brain Rot Ka Matlab: क्यों बना ‘ब्रेन रॉट’ एक ट्रेंडिंग शब्द जानें सब कुछ इस आर्टिकल में
Brain Rot Word Of The Year: आज के डिजिटल युग में ब्रेन रॉट शब्द तेजी से पॉपुलर हो रहा है। 2023-24 के दौरान, इसकी लोकप्रियता में 230 फीसदी से अधिक की वृद्धि देखी गई। आइए जानें इसका मतलब क्या है।
Brain Rot Meaning: आज के डिजिटल युग में ‘ब्रेन रॉट’ (Brain Rot) शब्द तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इसे हाल ही में ऑक्सफोर्ड वर्ड ऑफ द ईयर 2024 (Oxford Word Of The Year 2024) का खिताब मिला। यह शब्द मूल रूप से उस मानसिक स्थिति को दर्शाता है, जिसमें लोग सतही और कम गुणवत्ता वाले डिजिटल कंटेंट (Digital Content) के अत्यधिक उपभोग से बौद्धिक गिरावट महसूस करते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे टिकटॉक (TikTok), यूट्यूब (YouTube) और इंस्टाग्राम (Instagram) पर इसके संदर्भ में चर्चा काफी बढ़ गई है।
‘ब्रेन रॉट’ शब्द का इस्तेमाल पहली बार 19वीं शताब्दी में किया गया था। लेकिन डिजिटल युग में इसे मुख्य रूप से 2000 के बाद से पहचान मिली। 2023-24 के दौरान, इसकी लोकप्रियता में 230 फ़ीसदी से अधिक की वृद्धि देखी गई। यह शब्द आज उन ट्रेंड्स और वीडियो कंटेंट के लिए उपयोग किया जा रहा है, जिन्हें ‘लो-एफ़र्ट’ यानी कम प्रयास के साथ बनाया गया मनोरंजन माना जाता है। उदाहरण के तौर पर, ‘स्किबिडी टॉयलेट’ जैसे अजीबोगरीब वीडियो या केवल मीम्स और इंटरनेट स्लैंग के इर्द-गिर्द केंद्रित बातचीत।
क्यों बना ‘ब्रेन रॉट’ एक ट्रेंडिंग शब्द
आज की डिजिटल दुनिया में सोशल मीडिया हमारी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। हालांकि, इसका अत्यधिक उपयोग हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। मस्तिष्क का क्षय, जिसे आम भाषा में 'ब्रेन रॉट' कहा जाता है, इसी प्रभाव का एक गंभीर परिणाम है।
सोशल मीडिया के ट्रेंड और उनका प्रभाव
सोशल मीडिया पर चलने वाले ट्रेंड्स जैसे रील्स, शॉर्ट वीडियो, और वाइरल चैलेंज, हमारा ध्यान खींचते हैं। इन प्लेटफॉर्म्स का अल्गोरिदम हमारे मस्तिष्क को बार-बार छोटी अवधि के डोपामाइन बूस्ट देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
1- ध्यान की कमी: बार-बार ध्यान बंटने से फोकस करने की क्षमता घटती है।
2- नींद की कमी: देर रात तक स्क्रॉल करने की आदत स्लीप साइकल को बिगाड़ देती है।
3- मानसिक थकान: लगातार स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रखने से तनाव और थकान बढ़ती है।
अच्छे और बुरे हार्मोन्स का योगदान
हमारा मस्तिष्क हार्मोन्स के माध्यम से काम करता है, जो हमारे व्यवहार और भावनाओं को नियंत्रित करते हैं।
डोपामाइन: खुशी का हार्मोन। सोशल मीडिया पर लाइक और शेयर मिलने से डोपामाइन बूस्ट होता है, लेकिन यह अस्थायी होता है और हमें और ज्यादा कंटेंट की भूख लगती है।
कॉर्टिसोल: तनाव का हार्मोन। नेगेटिव ट्रेंड्स, हेट स्पीच, और ट्रोलिंग से कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ता है।
ऑक्सिटोसिन: विश्वास और जुड़ाव का हार्मोन। रियल लाइफ इंटरेक्शन की कमी से इसका स्तर घट जाता है।
सोशल मीडिया के अच्छे प्रभाव (Social Media Advantages In Hindi)
1- जानकारी का प्रवाह:
सही तरीके से उपयोग करने पर सोशल मीडिया जानकारी और ज्ञान का एक बड़ा स्रोत हो सकता है।
2- कनेक्टिविटी:
दोस्तों और परिवार से जुड़े रहने का एक माध्यम।
3- क्रिएटिविटी का मंच:
नए विचार और प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है।
सोशल मीडिया के नकारात्मक पहलू (Social Media Disadvantages In Hindi)
1- संदेह और ईर्ष्या:
दूसरों की चमक-दमक भरी जिंदगी देखकर खुद से असंतुष्ट होना।
2- डिजिटल लत:
बार-बार फोन चेक करने की आदत से समय और ऊर्जा की बर्बादी।
3- साइबर बुलिंग:
ऑनलाइन बदमाशी मानसिक स्वास्थ्य को बिगाड़ सकती है।
मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के उपाय (Ways To Keep Brain Healthy)
डिजिटल डिटॉक्स
रोजाना कुछ समय के लिए फोन और सोशल मीडिया से दूर रहें।
स्वस्थ आदतें
नियमित योग, ध्यान और किताबें पढ़ने की आदत डालें।
वास्तविक जुड़ाव
परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं।
स्क्रीन टाइम लिमिट
सोशल मीडिया पर बिताए गए समय को सीमित करें।
सोशल मीडिया हमारे जीवन का अहम हिस्सा है। लेकिन इसका संतुलित उपयोग ही हमें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रख सकता है। मस्तिष्क के क्षय को रोकने के लिए हमें जागरूक होना होगा और अपनी दिनचर्या में सकारात्मक बदलाव लाने होंगे।