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Breast And Cervical Cancer: महिलाओं में सबसे ज़्यादा पाया जाता है यह कैंसर, विकसित होने में लगते हैं 10-15 साल, कैसे बचें?
Breast And Cervical Cancer: लखनऊ के KGMU में अंतर्राष्ट्रीय महिला सप्ताह में महिला अध्ययन केन्द्र के द्वारा 'स्तन एवं सर्वाइकल कैंसर अवेयनेस एण्ड चेकअप कार्यक्रम' (Breast and Cervical Cancer Awareness Program) का आयोजन हुआ।
लखनऊ: राजधानी के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्विद्यालय (KGMU) में शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला सप्ताह में महिला अध्ययन केन्द्र के द्वारा 'स्तन एवं सर्वाइकल कैंसर अवेयनेस एण्ड चेकअप कार्यक्रम' (Breast and Cervical Cancer Awareness Program) का आयोजन हुआ। विश्वविद्यालय की नर्सिंग स्टाफ और कर्मचारियों के द्वारा रखे गए कार्यक्रम में, 200 से अधिक महिलाओं ने हिस्सा लिया। यह कार्यक्रम महिला अध्ययन केन्द्र की इंचार्ज प्रोफेसर पुनीता मानिक और डॉ. गितिका नन्दा सिंह के द्वारा शल्य चिकित्सा विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो अभिनव अख्न सोनकर, डॉ अक्षय आनंद एवं डॉ कुशाग्र गौरव के सहयोग से किया गया।
महिलाओं में सबसे ज़्यादा पाया जाता है यह कैंसर
ब्रेस्ट एवं सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में सबसे ज्यादा पाये जाने वाला कैंसर है। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में चिकित्सा विश्वविद्यालय के उप कुलपति प्रोफेसर विनीत शर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि "महिलाओं को अपने लिए स्वयं जागरूक रहना चाहिए और यदि वे अपने स्तन में किसी प्रकार का बदलाव या गांठ को महसूस करती है, तो तुरन्त चिकित्सा विशेषज्ञ से सम्पर्क करना चाहिए।
जिससे कि स्तन कैंसर के पहले चरण में ही उसका इलाज किया जा सके। कार्यक्रम में सम्मिलित सभी महिलाओं को ब्रेस्ट एंड सर्वाइकल कैंसर (Breast and Cervical Cancer) के बारे में जागरूक किया गया।
सर्वाइकल कैंसर को विकसित होने में लगते हैं 10-15 साल
स्त्री एवं प्रसूति विभाग की एसोसिएट डॉ मंजू लता वर्मा ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) को विकसित होने में 10-15 साल का समय लग जाता है, साथ ही उन्होंने एचपीवी वैक्सीन (HPV vaccine) के बारे में बताया कि सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer) से बचाव के लिए लड़कियों को 9-15 साल की उम्र में HPV vaccine लगवा लेना चाहिए।
महिला अध्ययन केन्द्र की सदस्य डॉ रामेश्वरी, प्रो शिवांजली रघुवंशी और डॉ निशामनी ने अपनी मुख्य भूमिका निभायी। विशेषज्ञों द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित विश्वविद्यालय की सभी नर्सिंग एवं तृतीय, चतुर्थ श्रेणी की महिला कर्मचारियों की स्क्रीनिंग भी की गयी। जिससे वे स्वयं एवं अन्य दूसरी महिलाओं का स्वयं स्तन परीक्षण करने का तरीका सिखा सकें। जिससे स्तन एवं सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मृत्यु दर को कम किया जा सकें।
40 वर्ष से ऊपर की महिलाओं को एक बार जरूर कराना चाहिए ''मैमोग्राफी टेस्ट"
इस कार्यक्रम में महिला अध्ययन केन्द्र की सदस्य एवं शल्य चिकित्सा विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डॉ. गितिका नन्दा सिंह ने बताया कि यदि किसी महिला में महावारी की अनियमितता निप्पल से खून का डिस्चार्ज या मटमैले रंग का कोई डिस्चार्ज होता है, तो तुरन्त चिकित्सा विशेषज्ञों से सम्पर्क करने के बारे में बताया और मैमोग्रॉफी टेस्ट के बारे में बताया कि 40 वर्ष से अधिक सभी महिलाओं को साल में एक बार यह टेस्ट जरूर कराना चाहिए और समय-समय पर Screening कराते रहना चाहिए।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में वर्तिका सैनी, प्रो विमला वेंकटेश (सह-अधिष्ठाता, एकेडमिक) प्रो पुनीता मानिक, डॉ पूजा रमाकांन्त एवं डॉ मंजू लता वर्मा के अतिरिक्त कई चिकित्सक भी शामिल रहे।
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