Bipolar Disorder के लिए रामबाण साबित हो सकता है केसर

Bipolar Disorder:डोपामाइन हार्मोन्स का असंतुलन एक व्यक्ति के मूड या बर्ताव में बदलाव लाने की वज़ह बनता हैं। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को मेनिया या डिप्रेशन के दौरे पड़ते हैं यानी उनका मूड या तो बहुत हाई या लो रहता है।

Preeti Mishra
Report Preeti MishraPublished By Divyanshu Rao
Published on: 8 March 2022 2:03 PM GMT
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bipolar disorder की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

Bipolar Disorder: बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) को अगर सीधी भाषा में कहें तो ये एक मानसिक बीमारी है। लगातार हो रहे मूड में बदलाव और डिप्रेशन इसके होने का मुख्य कारण है। इस बीमारी से ग्रसित रोगी कई बार अपने व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रख पाता है।

जैसा कि हम जानते ही हैं कि मानव शरीर एक मशीन की तरह ही काम करता है। एक अंग या हार्मोन्स के असंतुलन की वज़ह से शरीर में कई तरह के विकार या समस्यायें जन्म लेने लगती है। बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) भी हार्मोन्स के असंतुलित हो जाने के कारण होने वाली बीमारी है।

डोपामाइन नामक हार्मोन्स के असंतुलन होने के कारण यह मानसिक बीमारी होती है।

डोपामाइन हार्मोन्स का असंतुलन एक व्यक्ति के मूड या बर्ताव में बदलाव लाने की वज़ह बनता हैं। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को मेनिया या डिप्रेशन के दौरे पड़ते हैं यानी उनका मूड या तो बहुत हाई या लो रहता है। यानि रोगी की मनोदशा लगातार बदलती रहती है। कई बार रोगी की बदलती दो विपरीत मनोदिशा की अवस्था को याद रखना तक मुश्किल हो जाता है।

बाइपोलर डिसऑर्डर को दो श्रेणियों में बांटा गया है: पहला बाइपोलर वन (Bipolar one) और दूसरा टाइप टू बाइपोलर( type two Bipolar ) (हाइपोमेनिया)

bipolar disorder की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

क्या है बाइपोलर वन

बाइपोलर वन से पीड़ित व्यक्ति बिना थके लगातार काम कर सकता है। यहाँ तक की व्यक्ति बिना नींद लिए लगातार अपने काम को चुस्ती फुर्ती के साथ करता है। ऐसे रोगी बहुत ज्यादा खर्चीले होने के साथ-साथ बिना सोचे-समझे कोई भी फैसला ले सकते हैं। इस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति का मन एक जगह स्थिर नहीं रहता है और वह अपनी हैसियत से ज्यादा बड़ी-बड़ी बातें भी करता है।

टाइप टू बाइपोलर (हाइपोमेनिया) : इस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति के अंदर ऊर्जा की अत्यंत कमी हो जाती है। उनको किसी काम में मन नहीं लगता उल्टा उनका मन हमेशा उदास रहता हैं। ऐसे रोगी का मन बिना कारण ही रोने का करता रहता है। इस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को या तो बहुत ज्यादा नींद आती है या तो बहुत कम। प्रभावित रोगी में लोगों से मेल-जोल बंद कर देने के भी लक्षण पाए जाते हैं।

ऐसा आम तौर पर किशोरोवस्था में देखा जाता है और इसे नज़रअंदाज किया जा सकता है. लेकिन अगर किसी बच्चे में बाइपोलर डिसऑर्डर होता है तो वो 'क्लासिकल मेनिया' या डिप्रेशन के तौर पर आता है।

गौरतलब है कि बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) की बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को अपने चपेटे में ले सकती है। लेकिन ज्यादातर किशोरावस्था 20 वर्ष से लेकर 40 वर्ष के व्यक्तियों में इसके ज्यादा लक्षण मिलते हैं। इसके कुछ सामान्य लक्षणों में लोगों के अंदर लंबे समय तक बनी उदासी, अत्यधिक आक्रामकता, भयंकर गुस्सा आना , नींद की बिलकुल जरुरत महसूस ना होना और ज़रूरत से ज़्यादा बातें या ख़र्च करना है। इसके अलावा इनमें सेक्शुअल कॉन्टेन्ट से सामान्य से ज़्यादा आकर्षित होने के भी लक्षण मिलते हैं। बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) का सबसे खतरनाक लक्षण रोगी के अंदर हमेशा खुद को मारने का या आत्महत्या का विचार आना है।

बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) में कैसे कारगर है केसर ?

केसर में कई ऐसे गुण मौजूद हैं, जो हमारे शरीर की समस्याओं को ख़तम करने की ताकत रखते हैं। केसर में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर, मैंगनीज, विटामिन-सी, पोटैशियम, आयरन, प्रोटीन, और विटामिन-ए जैसे तत्व पाए जाते हैं। डिप्रेशन और स्ट्रेस की समस्या को दूर करने के लिए केसर एक रामबाण इलाज है । रोज़ रात केसर वाले दूध का सेवन करने से शरीर के साथ -साथ मानसिक आराम भी मिलता है। जो बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को ठीक करने में काफी सहायक होता है।

इसके अलावा भी केसर को पानी या दूध के साथ रोज़ाना लेने से शरीर को कई स्वास्थ्यवर्धक लाभ होते हैं। यह महिलाओं के पीरियड्स की समस्याओं को दूर करता है , मानसिक सेहत सुधारने में केसर अत्यंत लाभकारी है। लोगों में अनिंद्रा की शिकायत को दूर करके डिप्रेशन, एंग्जायटी, स्ट्रेस को कम करता है। पेट में बनने वाले गैस की समस्या को भी यह कम करता है।

केसर का उपयोग सिर्फ आंखों की दृष्टि को ही नहीं बढ़ाता है बल्कि यह मोतियाबिंद से बचाता है। केसर हमारी हड्डियों को भी मजबूती देने के साथ -साथ अर्थराइटिस के दर्द को भी कम करता है। केसर में मौजूद यूपेप्टिक तत्व पाचन शक्ति को भी मजबूती प्रदान करता है । गर्भावस्था में केसर का सेवन माँ और शिशु दोनों के लिए लाभप्रद होता है। अल्जाइमर के मरीजों को ठीक करने में केसर को काफी असरदार माना गया है। इतना ही नहीं केसर के अंदर मौजूद पोषक तत्त्व कैंसर जैसे गंभीर रोग को भी ठीक करने में सहायक होता है।

Divyanshu Rao

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