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Cervical Cancer: शहर की मलिन बस्तियों में रहने वाली एक तिहाई महिलाओं को है सर्वाइकल कैंसर का खतरा- स्टडी

Cervical Cancer: ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) योनि, मुख या गुदा मैथुन के माध्यम से फैलता है । जिन महिलाओं के यौन जीवन की शुरुआत जल्दी हो गयी है, जिन्होंने जीवन में कई बार गर्भधारण किया है और जिनके कई यौन साथी हैं, उनमें संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है।

Preeti Mishra
Written By Preeti Mishra
Published on: 15 Sep 2022 6:59 AM GMT
cervical cancer
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cervical cancer (Image credit : social media) 

Cervical Cancer: शहर के स्लम एरिया में रहने वाली एक तिहाई महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का खतरा है। यह बात एक अध्ययन में सामने आयी है। अहमदाबाद की शहरी मलिन बस्तियों, बेहरामपुरा और वासना क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं में ह्यूमन पेपिलोमावायरस (Human Papillomavirus) संक्रमण, जो की सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण है, की व्यापकता का आकलन करने के लिए किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जिन महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई, उनमें से 33.47 प्रतिशत एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमावायरस) पॉजिटिव थीं और उन्हें सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) होने का खतरा था।

सर्वाइकल कैंसर दुनिया में महिलाओं का चौथा सबसे अधिक प्रभावित करने वाला कैंसर है। ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) योनि, मुख या गुदा मैथुन के माध्यम से फैलता है । जिन महिलाओं के यौन जीवन की शुरुआत जल्दी हो गयी है, जिन्होंने जीवन में कई बार गर्भधारण किया है और जिनके कई यौन साथी हैं, उनमें संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है।

क्या कहती है स्टडी?

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ गांधीनगर (IIPHG) और चैरिटेबल ट्रस्ट के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि न केवल कमजोर महिलाओं में एचपीवी संक्रमण के बारे में अधिक जागरूकता की आवश्यकता है, बल्कि जागरूकता की कमी के कारण महिलाओं में स्क्रीनिंग को लेकर भी एक अस्पष्ट रवैया है। 31 अगस्त को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ गाइनकोलॉजी एंड ऑब्सटेट्रिक्स में प्रकाशित यह अध्ययन एचपीवी के विभिन्न उपप्रकारों को समझने की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है । ताकि उपयुक्त टीके विकसित किए जा सकें और कमजोर आबादी तक उनकी पहुंच हो सके।

शोधकर्ताओं ने एक क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन किया और 30 से 45 वर्ष की आयु के बीच विवाहित महिलाएं में से 1,714 महिलाओं को नामांकित किया। हालांकि, इनमें से केवल 988 महिलाओं यानि 57.6 फ़ीसदी ने स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजरने के लिए सहमति व्यक्त की, जिसमें योनि परीक्षा भी शामिल है। एचपीवी प्रसार के लिए केवल 956 नमूनों की प्रभावी जांच की जा सकी।

इनमें से, अध्ययन में 320 नमूने यानि 33.47 फ़ीसदी एचपीवी के लिए सकारात्मक पाए गए। इसके अलावा, एचपीवी संक्रमण के लिए सकारात्मक पाई गई 320 महिलाओं में से 248 महिलाओं यानि 77.5 फ़ीसदी को सर्वाइकल कैंसर का उच्च जोखिम पाया गया, 44 महिलाओं 13.75 फ़ीसदी को इसे विकसित करने का कम जोखिम था और 28 नमूने 8.75 फ़ीसदी अनिर्णायक थे।

क्रांति वोरा, शाहीन सैय्यद, राजेंद्र जोशी और सेंथिलकुमार नटेसन द्वारा प्रस्तुत किए गए पेपर में कहा गया है कि शहरी और गैर-शहरी क्षेत्रों में समान रूप से, ज्यादातर महिलाओं ने सर्वाइकल कैंसर के बारे में सुना है। National Family Health Survey (NFHS-5) के आंकड़ों से पता चला है कि भारत में 30-49 वर्ष की आयु की केवल 1.9 प्रतिशत महिलाओं ने कभी सर्वाइकल जांच करवाई है। इस खास सर्वे में सिर्फ 57 फीसदी महिलाएं ही स्क्रीनिंग के लिए आगे आईं।

आईआईपीएचजी के प्रोफेसर डॉ वोरा ने अहमदाबाद मिरर से कहा कि एचपीवी में, पहले यौन शुरुआत या भागीदारों की अधिक संख्या, एचपीवी की अधिक संभावना और बाद में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का खतरा होता है। स्क्रीनिंग और टीकाकरण दोनों आवश्यक हैं। प्रारंभिक उपचार के अच्छे परिणाम हैं। एक महिला के जीवन में दो बार डीएनए आधारित स्क्रीनिंग की जानी चाहिए, पहले 30-35 की उम्र के बीच और फिर 40-45 साल की उम्र में।

डॉ वोरा ने कहा कि यूके और ऑस्ट्रेलिया 2025 तक सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने के कगार पर हैं। इसके लिए उन देशों में संभवतः किशोर लड़कियों और लड़कों के सरकारी वित्त पोषित टीकाकरण और नियमित जांच को धन्यवाद दिया जाना चाहिए। भारत में इस टीकाकरण और नियमित जांच पर ज्यादा से ज्यादा जोर देना चाहिए। तभी हम इस भयंकर बीमारी से ठीक तरह से लड़ पाएंगे और आधी आबादी को एक सुरक्षित जीवन दे पाएंगे।

क्या होता है सर्वाइकल कैंसर?

सर्वाइकल कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में होता है। ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के विभिन्न उपभेद, एक यौन संचारित संक्रमण, अधिकांश सर्वाइकल कैंसर पैदा करने में भूमिका निभाते हैं। एचपीवी के संपर्क में आने पर, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली आमतौर पर वायरस को नुकसान पहुंचाने से रोकती है। हालांकि, यह वायरस लोगों के एक छोटे प्रतिशत में वर्षों तक जीवित रहता है। जिससे कुछ गर्भाशय ग्रीवा कोशिकाएं कैंसर कोशिकाएं बन जाती हैं। कोई भी व्यक्ति स्क्रीनिंग टेस्ट करवाकर और एचपीवी संक्रमण से बचाव करने वाला टीका प्राप्त करके सर्वाइकल कैंसर के विकास के अपने जोखिम को कम कर सकते हैं।

क्या हालत हैं भारत में ?

GLOBOCAN 2020 के अनुसार भारत में, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर 18.3 प्रतिशत यानि 123,907 मामलों के साथ तीसरा सबसे आम कैंसर है। यह कैंसर मृत्यु दर 9.1 प्रतिशत के साथ मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। भारत में हर साल 122,844 महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का पता चलता है और 67,477 महिलाओं की इस बीमारी से मौत हो जाती है। भारत में 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र की 432.2 मिलियन महिलाओं की आबादी है, जिन्हें कैंसर होने का खतरा है। यह 15-44 वर्ष की आयु की महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है।

Preeti Mishra

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Content Writer (Health and Tourism)

प्रीति मिश्रा, मीडिया इंडस्ट्री में 10 साल से ज्यादा का अनुभव है। डिजिटल के साथ-साथ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी काम करने का तजुर्बा है। हेल्थ, लाइफस्टाइल, और टूरिज्म के साथ-साथ बिज़नेस पर भी कई वर्षों तक लिखा है। मेरा सफ़र दूरदर्शन से शुरू होकर DLA और हिंदुस्तान होते हुए न्यूजट्रैक तक पंहुचा है। मैं न्यूज़ट्रैक में ट्रेवल और टूरिज्म सेक्शन के साथ हेल्थ सेक्शन को लीड कर रही हैं।

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