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Chandipura Vesiculovirus : क्या है चांदीपुरा वायरस, जो बच्चों को कर रहा बीमार, जानिए इसके लक्षण और बचाव
Chandipura Vesiculovirus :चांदीपुरा वायरस जिसने गुजरात में अपना आतंक मचाया हुआ है जिसकी वजह से 6 बच्चों की मौत हो गयी है जानिए क्या है इसके लक्षण और बचाव।
Chandipura Vesiculovirus : गुजरात में कुछ समय से एक वायरस ने आतंक मचाया हुआ है जो बच्चों पर अटैक कर रहा है। जिसके चलते 6 बच्चों की मौत हो गयी। जिसकी वजह थी चांदीपुरा वायरस। इसका पता गुजरात सरकार ने बच्चों के खून के नमूनों को पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी में भेजकर किया।
ये वायरस जिसका नाम चांदीपुरा है एक मच्छर जनित बीमारी है जिसका शिकार हुए बच्चों की 24 से 48 घंटे के अंदर मौत हो जाती है। वहीँ डॉक्टर्स का कहना है कि इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में मृत्यु दर 85 प्रतिशत है। जिससे पता चलता है कि ये बीमारी कितनी गंभीर है।
क्या है चांदीपुरा वायरस
मानसून आते ही कई तरह की बीमारियां सक्रिय हो जाती है। वहीँ मक्खियों, मच्छरों और कीड़ों का प्रकोप भी अपेक्षाकृत बढ़ जाता है। जिसकी वजह से संक्रामक रोग और सक्रियता से बढ़ने लगते हैं।
कैसे फैलता है चांदीपुरा वायरस
दरअसल चांदीपुरा वायरस एक संक्रामक बीमारी है जो सेंड फ़्लाइज़ के काटने से फैलता है। वहीँ पीछे कुछ समय में गुजरात के अरावली और साबरकांठा ज़िलों में बच्चों की मौत के बाद और इससे प्रभावित बच्चों के खून के नमूने लिए गए जिससे उनकी मौत का कारण चांदीपुरा वायरस का पता चला है।
गुजरात में जहाँ इस वायरस की चपेट में आये बच्चों के माता पिता को इस वायरस के बारे में ज़्यादा कुछ जानकारी नहीं थी जिसकी वजह से बच्चों की जब ज़्यादा तबियत बिगड़ी तब वो उन्हें अस्पताल इलाज के लिए ले गए। लेकिन इसमें से कुछ बच्चो की जान नहीं बचाई जा सकी। जिसके बाद डॉक्टर्स ने इनकी मौत के लिए चांदीपुरा वायरस होने की आशंका जताई।
वहीँ डॉक्टर्स ने बताया कि बच्चों में तेज़ बुखार, दस्त और उल्टी के लक्षण थे जिसके बाद उन्हें मस्तिष्क का दौरा पड़ा और इससे गुर्दे और हृदय पर तेजी से असर पड़ा। ऐसे में डॉक्टर्स ने तुरंत इस ओर इलाज शुरू किया और डॉक्टर्स का मनना है कि ये जापानी एन्सेफलाइटिस या चांदीपुरा वायरस हो सकता है। आपको बता दें कि इसके पहले भी गुजरात में पिछले साल इस वायरस का मामला आया था वहीँ बरसात के मौसम में इस तरह के वायरस काफी सक्रीय हो जाते हैं जिसकी वजह से चांदीपुरा संक्रमण के मामले भी देखे गए हैं।
फिलहाल ये उम्मीद की जा रही है कि जून के अंत से अक्टूबर तक इसके मामले कम हो सकते हैं। वहीँ आपको बता दें कि चांदीपुरा एन्सेफलाइटिस एक वायरस है। जिसका पता पहली बार 1965 में नागपुर क्षेत्र के चंडीपुरा इलाके में हुई थी जहाँ इससे प्रभावित मरीजों के ब्लड सैंपल लिए गए थे और जाँच किया गया। इसी वजह से इसका नाम चांदीपुरा पड़ा। ये वायरस रेत मक्खी के काटने से फैलता है।
दरअसल सैंड फ्लाई मच्छर से छोटी एक मक्खी होती है और जिसका रंग रेत जैसा होता है। वहीँ इस मक्खी के पंख बालों वाले होते हैं। इस मक्खी का आकार 1.5 से 2.5 मिलीमीटर तक होता है। आपको बता दें कि भारत में रेत मक्खियों की कुल 30 प्रजातियाँ हैं। जिनमे सैंडफ़्लाइज़ रात में सबसे अधिक सक्रिय होती हैं इसके साथ ही इनके काटने से बहुत दर्द होता है। आप उन्हें नग्न आँखों से देख भी नहीं सकते हैं। दिन के समय ये मक्खियां अंधरे वाली जगहों और दीवारों की दरारों में रहतीं हैं। और रात को ये सक्रीय हो जातीं हैं। मादा मक्खी जब अंडे देने वाली होती है तो इसे हर 3 या 4 दिन में रक्त की आवश्यकता होती है। इसे लेकर स्वास्थ विभाग का कहना है कि ये मखियाँ ज़्यादातर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में पाई जाती हैं। लेकिन अब इनका प्रकोप शहरी क्षेत्रों की झुग्गी बस्तियों में भी बढ़ रहा है।