×

सावधान! कहीं आपका बच्चा भी तो नहीं देखता कॉर्टून, हो सकती है गंभीर बीमारी

Snigdha Singh
Written By Snigdha Singh
Published on: 5 July 2024 11:40 PM IST (Updated on: 5 July 2024 11:41 PM IST)
सावधान! कहीं आपका बच्चा भी तो नहीं देखता कॉर्टून, हो सकती है गंभीर बीमारी
X

Cartoon Effect on Children: कानपुर के श्यामनगर में रहने वाले इंजीनियर का पांच साल का बेटा ‘निंजा हथौड़ी’ की तरह बोलने की कोशिश करता है। कई लगातार उसके व्यवहार में यह बदलाव देखने के बाद उन्होंने उसके देर तक टीवी देखने पर पाबंदी लगाई तो उसने रो-रोकर पूरे घर को परेशान कर दिया। माल रोड के एक किराना कारोबारी की आठ साल की बेटी का भी कुछ यही हाल है। स्कूल से आते ही मोबाइल या टीवी पर कॉर्टून देखती है। कभी छोटा भीम की तरह बोलती है तो कभी ‘ऑगी’ की नकल उतारती है। डांट-फटकार का भी कोई असर नहीं होता। इस तरह घर-घर में निंजा, डोरेमॉन, छोटा भीम के अवतार सामने आ रहे हैं। मनोविज्ञानी इसे बड़ी चुनौती बता रहे हैं।

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में बाल मनोविज्ञान विभाग के आंकड़े इस खतरे की बड़ी तस्वीर सामने ला रहे हैं। पिछले छह महीने में ऐसे 28 बच्चे विभाग लाए गए, जिनके व्यक्तित्व में कार्टून कैरेक्टर समा गए हैं। उनकी बोली और व्यवहार का बदलाव परिजनों को चिंतित कर रहा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि कॉमिक सीरियल देखने की आदत ढाई से चार साल तक के बच्चों में भी है।

ऐसे-ऐसे मामले

चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट डॉ. आराधना गुप्ता बताती हैं कि अभिभावक जिन बच्चों को लेकर आते हैं, उनमें ज्यादातर की समस्या टीवी या मोबाइल के रास्ते आई है। यह बच्चे कार्टून किरदार की तरह कभी पतली तो कभी भारी आवाज में बोलने का प्रयास करते हैं। कुछ आंखें बड़ी कर डराने की कोशिश करते हैं। कुछ पैर पटक कर चलते हैं तो कुछ पैर जमीन पर घसीट कर चलते हैं। यह सब कार्टून चरित्रों की नकल है।

परिजनों ने डलवाई आदत

विशेषज्ञ बताते हैं कि बच्चों में कॉमिक सीरियल देखने की लत अभिभावकों की वजह से ही पड़ती है। पेरेंट्स के पास बच्चे के लिए समय नहीं है। बच्चा परेशान न करे, इसलिए वे उसे या तो टीवी के सामने बैठा देते हैं, या फिर मोबाइल दे देते हैं। लगातार देखने से कॉर्टून किरदार उनके भीतर समा जाता है। यह आदत उन्हें अलग-थलग करने लगती है।

बच्चों के पसंदीदा कॉर्टून

मिकी माउस, डोरेमॉन, छोटा भीम, डोनाल्ड डक, मिस्टर बीन, स्पंज बॉब, पावर पफ गर्ल्स, पोकेमॉन, बे-ब्लेड, मोगली जंगल बुक, टेलस्पिन, डक टेल्स, अलादीन, ऐलिस इन वंडरलैंड प्रमुख कॉर्टून हैं।

पांच दुष्प्रभाव

- मानसिक स्वास्थ्य पर असर

- आभासी दुनिया की आदत

- बच्चों में हिंसा के प्रति झुकाव

- परिवार से दूरी बढ़ना

- शारीरिक सक्रियता कम होना

बच्चों को समय दें

डॉ आराधना गुप्ता, चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के अनुसार ज्यादा कॉर्टून देखने का असर बच्चों के कोमल मन पर सीधा पड़ रहा है। पिछले छह महीने में 28 ऐसे बच्चे विभाग में आए, जो कॉर्टून किरदार की तरह बोलने, चलने लगे थे। इस प्रवृत्ति को रोकना जरूरी है। उम्र जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, ऐसे बच्चों में दिक्कतें आ सकती हैं। माता-पिता मोबाइल टीवी से बच्चों को बचाएं। उन्हें समय भी दें।



Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh, leadership role in Newstrack. Leading the editorial desk team with ideation and news selection and also contributes with special articles and features as well. I started my journey in journalism in 2017 and has worked with leading publications such as Jagran, Hindustan and Rajasthan Patrika and served in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi during my journalistic pursuits.

Next Story