×

CLOVE: शरीर को शुद्ध और स्वस्थ रखने से लेकर घर की नकारात्मकता को दूर भगाता है ये छोटा सा फूल, जानिए इस्तेमाल के सटीक उपाय

CLOVE: सर्दी जुखाम से लेकर माइग्रेन और गठिया रोग जैसे कई रोगों में लाभकारी है लौंग, जानें इसकी खूबियां।

Jyotsna Singh
Published on: 15 Nov 2024 11:49 AM IST
CLOVE
X

CLOVE

CLOVE: गरम मसाले के तौर पर खास महत्व रखने वाली लौंग के बिना ना केवल कई तरह के पकवानों का स्वाद अधूरा है बल्कि पूजा पाठ में भी बिना लौंग के कई रीतियां अपूर्ण मानी जाती हैं। लौंग ने भारतीय खाने में अपने लिए एक ख़ास जगह बनाई है अपितु यह धार्मिक पूजा एवं अनुष्ठान में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसकी सुगन्धित महक आपके खाने में जायका लाती है तो वहीं इसके पौष्टिक गुण सेहत में सुधार लाने और कई रोगों को दूर करने में मददगार साबित होते हैं।

लौंग के गुण

लौंग एवं उसका तेल एंटी-ऑक्सीडेंट, कवकरोधी, जीवाणुरोधी, एंटी-वायरल, एंटी-सेप्टिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक जैसे उत्तम गुणों से समृद्ध है। लौंग में कम से कम 36 विभिन्न सामग्रियाँ होती हैं, जिसमें से सबसे महत्वपूर्ण है-यूगेनॉल। इसके अलावा पोटेशियम, सोडियम, फास्फोरस, लोहा, मैंगनीज, आहार फाइबर, आयोडीन, विटामिन के और सी, ओमेगा -3 फैटी एसिड, कैल्शियम और मैग्नीशियम आदि का भी लौंग एक प्रचुर स्रोत है। आयुर्वेद और चीनी दवा प्रणाली में लौंग के सूखे फूल की कलियों एवं पत्तियों के साथ-साथ तेल, व्यापक रूप से दवा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। साबुत लौंग या फिर उसका पाउडर और तेल आसानी से बाजार में हमेशा उपलब्ध मिलता है।

लौंग के इस्तेमाल से होने वाले फायदे

लौंग का इस्तेमाल अधिकतर गरम मसालों में किया जाता है। लेकिन इसमें कई ऐसे औषधीय गुण मौजूद हैं, जिससे शरीर की तमाम समस्याएं ठीक हो सकती हैं। लौंग में यूजेनॉल होता है, जो साइनस और दांतों के दर्द जैसी समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। लौंग की तासीर गर्म होती है। सर्दी-जुकाम की समस्या होने पर लौंग बहुत कारगर होता है। कई लोग इसका इस्तेमाल ज्यादातर चाय में डालकर करते हैं, जिससे चाय का स्वाद तो बढ़ता ही है, साथ ही सर्दी जुकाम की समस्या भी ठीक हो जाती है। रात में लौंग वाले दूध का सेवन करके सो जाएं, सुबह तक हल्का बुखार भी दूर हो जाएगा।लौंग के दो प्रकार होते हैं, एक जिसकी सुगंध तेज होती है और दूसरी लौंग, जिसका मशीनों के द्वारा तेल निकाला जाता है। दोनों किस्म की लौंग में कौन-सा लौंग अच्छा होता है, तो जो लौंग सुगंध में तेज, स्वाद में तीखा हो और दबाने पर तेल का आभास हो, वही लौंग स्वास्थ्य के लिए ज्यादा गुणकारी माना जाता है। लौंग के गुणों के चलते कई रोगों में सुधार के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है:-


-लौंग में एंटीफंगल जीवाणुरोधी, एंटीसेप्टिक और एनाल्जेसिक गुण होते हैं। इसके अतिरिक्त लौंग फैटी एसिड, फाइबर, विटामिन, ओमेगा-3 और खनिजों का एक अच्छा स्रोत है। लौंग शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ाता है। लौंग का इस्तेमाल खाने के अलावा मालिश के लिए भी किया जाता है, जिससे हड्डियों का दर्द भी ठीक होता है।

- दांत में होने वाले दर्द की बात करें तो उसे चुटकियों में ही दूर भगाने के लिए साबुत एवं लौंग का तेल दोनों ही योग्य हैं। संक्रमित दांत के आसपास सूजन को कम करने और दर्द को दूर करने में लौंग अत्यंत सहायक है।

बस एक छोटे से रुई के गोले को लौंग के तेल में थोड़ा सा भिगोएं और प्रभावित दांत और उसके आसपास के मसूड़ों पर हल्के हाथों से लगाएं। वैकल्पिक रूप से, आप दो लौंग को पीसकर, उसमें जैतून के तेल मिलाएं और प्रभावित क्षेत्र पर इस मिश्रण को लगाएं। यदि आपके पास लौंग की पत्तियाँ हैं तो उन्हें क्रश करके भी आप अपने दर्द हो रहें दांत पर कुछ मिनट के लिए लगा सकते हैं।

-लौंग में एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक होने के नाते, लौंग दुर्गन्ध भरी सांस से छुटकारा प्राप्त करने में बहुत सहायक होती है। लौंग मुँह से आने वाली दुर्गन्ध साँस के कारक - बैक्टीरिया को मार सकता है। इसके अलावा वे जीभ, तालू और गले के ऊपरी भाग से बैक्टीरिया की सफाई में मदद करते हैं। और इसकी सुगन्धित महक तो है ही जो बदबूदार सांस का खात्मा करने के लिए बहुत है।

-यह गर्भावस्था से संबंधित उबकन और सुबह होने वाली उलटी एवं जी-मचलाई के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।उबकन से राहत पाने के लिए, लौंग के तेल की कुछ बुँदे एक रुमाल पर गिराएं और उसे सूंघे। आप दो-तीन लौंग की कलियाँ चबाकर भी खा सकते हैं। उलटी को रोकने के लिए लौंग के पाउडर में शहद मिलाकर उसका उपभोग करें। आप एक गर्म गिलास पानी में लौंग के तेल की कुछ बूंदें मिलाकर भी धीमी गति से पी सकते हैं।

-लौंग में मौजूद तत्व गैस बनने से रोकने और ’पेट फूलना’-ब्लोटिंग को राहत देने में सहायक होते हैं। यह पाचन प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वे पाचन तंत्र में मौजूद एंजाइम के उत्पादन को बढ़ावा देती है। उसकी कार्यशीलता में सुधार लाते हैं।


-लौंग जठरांत्र मार्ग की चिकनी अस्तर को शिथिल कर उल्टी, दस्त, पेट में गैस, गैस्ट्रिक परेशानी और पेट दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं।

-पाचन शक्ति में सुधार लाने के लिए आप इस छोटी सी जड़ी बूटी को थोड़ी सी मात्रा में अपने दैनिक आहार में शामिल करें। इसके अलावा, आप एक लौंग को मुँह फ्रेश करने के लिए भोजन के बाद खा सकते हैं। इसके अलावा, लौंग का तेल सूजन को कम करने और पेट में बैक्टीरिया को मार, पेट को संक्रमण-मुक्त रखने में बेहद प्रभावी हैं।

-अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण के कारण, लौंग का तेल सूजन को कम करने और जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों में दर्द और गठिया के दर्द को कम करने में अत्यंत प्रभावी हैं। इसमें कैल्शियम, ओमेगा -3 फैटी एसिड और लौह जैसे हड्डियों के लिए महत्वपूर्ण खनिज निहित हैं जो आपके जोड़ों और हड्डियों की ताकत व स्वास्थय में सुधार लाने में सक्षम है।

-जोड़ों में दर्द, सूजी हुई मांसपेशियों, गठिया और सन्धिवात के दर्द से राहत पाने के लिए थोड़े से लौंग के तेल में जैतून तेल जैसा कोई भी वाहक तेल मिलाएं और इस मिश्रण से रोजाना दिन में कई बार प्रभावित क्षेत्र की मालिश करें। इसका अन्य विकल्प यह है कि आप कुछ लौंग की कलियों को भून कर उन्हें एक कोमल कपड़े में लपेट लें और फिर इस पाउच को प्रभावित क्षेत्र पर रखें। इसे तब तक सेक लें जब तक यह गर्म है और आपका दर्द कम ना हो जाएं।

-लौंग का उपयोग श्वसन तंत्र में प्रभावी होता है। लौंग और लौंग का तेल कफ निस्सारक, जीवाणुरोधी और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण श्वसन तंत्र के लिए बहुत प्रभावी हैं।

-लौंग आम सर्दी, भरी हुई नाक, गले में खराश, वायरल संक्रमण, अस्थमा, तपेदिक, ब्रोंकाइटिस और विभिन्न साइनस की स्थिति के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, यह छोटी परंतु बृहत सामाग्री फेफड़ों के कैंसर के लिए एक संभावित केमोप्रोटेक्टिवे एजेंट के रूप में कार्य कर सकता है।

-श्वसन प्रणाली के विकार से राहत पाने के लिए रोजाना दिन में दो से तीन बार लौंग से बनी हुई चाय पियें। आप लौंग के तेल की कुछ बूंदें गर्म पानी में डालकर उससे भाप भी ले सकतें हैं। श्वसन प्रणाली के विकारों से बचाव करने के लिए, नियमित रूप से रोजाना दो-तीन लौंग चबाकर खाएं।

-लौंग का उपयोग सिर दर्द के लिए लाभकारी है। चाहे आपके सिर-दर्द का कारक माइग्रेन है, सर्दी है या फिर तनाव, लौंग का तेल जल्दी से इससे छुटकारा पाने में मदद कर सकता है। लौंग के तेल में दर्द से राहत दिलाने के लिए उत्तम एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण है। साथ ही में इसका ठंडा और सुखदायक प्रभाव दर्द से छुटकारा दिलाने में सहायक हैं।


एक रुमाल पर लौंग के तेल की कुछ बूंदें डालकर उससे अपने माथे पर 15 मिनट के लिए रख लें। इससे आपके सिर की रक्त-वाहिकाएं खुल जाएंगी और आपको सिर दर्द से राहत मिलेगी। सिरदर्द दूर करने के लिए दो लौंग और चुटकीभर कपूर को पीसकर इसमें नारियल तेल मिला लें। इस मिश्रण से सिर की अच्छी तरह मालिश करें, इससे सिर का दर्द दूर होगा।

-लौंग कान दर्द में लाभकारी है। आप एक चमच्च कूटे हुए लौंग में एक-चौथाई गर्म जैतून का तेल मिला सकते हैं। इस मिश्रण को तीस मिनट के लिए छोड़ दें और फिर छलनी की मदद से छान लें। प्राप्त तेल की कुछ बूंदें कम से कम दस मिनट के लिए कान में डालें और फिर रूई की मदद से बाहर निकाल दें।

लौंग का इस्तेमाल कई तरह से सौंदर्य बढ़ाने में किया जा सकता है-

लौंग में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो त्वचा के कोलेजन लेवल को बनाए रखते हैं। इससे त्वचा को समय से पहले बूढ़ा होने से रोका जा सकता है। लौंग के पानी में एंटी बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। इससे चेहरे पर होने वाले एक्ने और पिंपल्स से छुटकारा मिलता है। लौंग के पानी से चेहरे के दाग-धब्बे दूर होते हैं और त्वचा का ग्लो भी बढ़ता है। लौंग के तेल से त्वचा की झुर्रियां और फ़ाइन लाइन्स कम होती हैं। लौंग के तेल और नारियल तेल को मिलाकर चेहरे पर मसाज करने से त्वचा की चमक बढ़ती है। लौंग के तेल का इस्तेमाल बालों पर नेचुरल कंडिशनर की तरह किया जा सकता है। इससे बालों का रुखापन और दोमुंहें बालों की समस्या दूर होती है। बालों को जल्दी लंबा करने के लिए रोज़ लौंग के तेल से मालिश करनी चाहिए।



लौंग का इस्तेमाल करे मुंहासों के लिए -

लौंग मुँहासों के साथ-साथ ब्लैकहेड्स, व्हाइटहेड्स, सकाररिंग और त्वचा से संबंधित अन्य समस्याओं का इलाज करने में भी उपयोग किया जा सकता है। यह मुंहासों को तो कम करता ही है परंतु साथ ही में यह मुँहासों के बाद त्वचा पर रह जाने वाली ब्लेमिशेस या निशान को रोकने में बहुत प्रभावी है। लौंग में निहित रोगाणुरोधी गुण, बैक्टीरिया को मार मुँहासों को अप्रभावित क्षेत्र को ग्रस्त करने से रोकता है। मुँहासों का इलाज करने के लिए, 1:10 के अनुपात में लौंग का तेल और जोजोबा या नारियल तेल मिलाकर प्रभावित क्षेत्र पर रुई की मदद से दिन में दो बार तब तक लगाएं जब तक आप इच्छित परिणाम प्राप्त ना हो।

लौंग के नुकसान-

इसी प्रकार से यदि लौंग के अनेक स्वास्थ्य-लाभ हैं तो कुछ दुष्प्रभाव भी हैं। गर्म-प्रवृत्ति का होने की वजह से अधिक मात्रा में लौंग का सेवन करने से आपके शरीर को इसके नकारात्मक प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है, जो कि निम्नलिखित हैं। अत्यधिक रूप से इसका सेवन आपके गुर्दों एवं आँतों को नुकसान पहुँचा सकता है।

इसमें उपस्थित यौगिक आपके रक्त को पतला बना सकते हैं जिससे ब्लीडिंग का खतरा बढ़ सकता है। जिन लोगों का रक्त-शर्करा स्तर सामान्य स्तर से कम है उन्हें इसके सेवन से बचना चाहिए। यदि आप इसका सेवन कर भी रहे है तो निरंतर अपने रक्त-शर्करा की जांच करते रहें। इसके अत्यधिक सेवन से आपके शरीर में हल्की जलन भी हो सकती है। इससे कामोत्तेजना की प्रक्रिया भी धीमी हो सकती हैं और आप स्तंभन दोष से भी ग्रस्त हो सकते हैं। यह संभव है कि आपको लौंग से एलर्जी हों। गर्भावस्था एवं स्तन-पान करा रहीं महिलाओं को भी इसका मौखिक सेवन कम करना चाहिए। इसकी एलर्जी प्रतिक्रिया शिशु के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है।


लौंग का फूल क्यों नहीं खाना चाहिए ?

लौंग का फूल खाया जाए तो इससे व्यक्ति को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम की समस्या हो सकती है यानी व्यक्ति को पाचन संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है। लौंग के फूल के सेवन से व्यक्ति को एलर्जी की समस्या भी हो सकती है। अगर आपकी बॉडी सेंसिटिव है तो भूल कर भी लौंग के फूल का सेवन न करें। प्रेगनेंसी में भी लौंग के फूल को नहीं खाना चाहिए। इसकी तासीर बेहद ही गर्म होती है। इसके सेवन से ब्लीडिंग का खतरा बढ़ सकता है। डायबिटीज के मरीज यदि लो ब्लड शुगर की समस्या का सामना करते हैं तो भूल कर भी लौंग के फूल का सेवन न करें। यदि किसी व्यक्ति को किडनी से संबंधित समस्या है तो ऐसे लोग भी अपनी डाइट से लौंग के फूल को निकाल दें। जिन व्यक्तियों को आंखों में जलन रहती है ये लोग भी लौंग के फूल का सेवन ना करें वरना इससे समस्या बढ़ सकती है या पैदा हो सकती है।

गमले में लौंग का पौधा लगाने का तरीकाः

सबसे पहले, गमले में जल निकासी के लिए छेद करें। गमले में मिट्टी और गोबर की खाद मिलाकर भरें। लौंग के पौधे के लिए जल निकासी वाली बलुई-दोमट मिट्टी चाहिए। लौंग के बीजों को 24 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। गमले में मिट्टी को थोड़ा नम करें। पानी में भिगे हुए लौंग को मिट्टी में 1 इंच गहराई तक बोएं। गमले को धूप वाली जगह पर रखें। लौंग के बीजों को अंकुरित होने में 2-3 सप्ताह लग सकते हैं। जब पौधे 3-4 इंच ऊंचे हो जाएं, तो उन्हें पतला करें और केवल सबसे मज़बूत पौधों को रहने दें। पौधे को नियमित रूप से पानी दें। हर 2-3 महीने में एक बार पौधे को जैविक खाद दें। लौंग का पौधा 3-4 साल में फूल और फल देना शुरू कर देगा।


कहां होती है लौंग की पैदावार

इंडोनेशिया, लौंग का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। जंजीबार में लौंग का 90 प्रतिशत उत्पादन होता है। सुमात्रा, जमैका, ब्राज़ील, पेबा, और वेस्ट इंडीज़ में भी लौंग का उत्पादन होता है। भारत में, कर्नाटक में करीब 10 फ़ीसदी और केरल में 5 फ़ीसदी से ज़्यादा लौंग का उत्पादन होता है। ज्यादातर लौंग एशियन कॉन्टिनेंट में ही उगाई जाती है, इसके अलावा लौंग साउथ इंडिया में उगाया जाता है. लौंग के पेड़ का फल मौसम पर निर्भर करता है. अगर इसके लिए उपयुक्त मौसम नहीं मिला तो इसमें फल नहीं आएंगे। ये गर्म और ह्यूमिड मौसम में अच्छे से उगाई जाती है और इसे अच्छी बारिश की भी जरूरत होती है। इसके पेड़ को पार्शियल शेड चाहिए होती है।

लौंग के पौधे को लेकर कुछ खास बातें

लौंग के पौधे करीब 4 से 5 साल में फल देना शुरू कर देते हैं। इसके फल पौधे पर गुच्छों में लगते हैं। इनका रंग लाल गुलाबी होता है। इसका पौधा 10-12 मीटर तक बढ़ता है। ये असल में फ्लावर बड्स यानी लौंग के पेड़ के फूलों की कली होती है जो असल में खिली नहीं होती है। अगर ये फूल खिल गए तो इसे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।अगर लौंग की कली टूट गई तो इसकी कीमत कम हो जाएगी। फार्म्स में सिर्फ इसे हाथों से ही तोड़ा जाता है।

हर तरह की नकारात्मकता की दुश्मन है लौंग, इस तरह करें इस्तेमाल

घर की पूजा पाठ में यदि लौंग का इस्तेमाल सही विधि से किया जाए तो हर तरह की नकारात्मकता को दूर भगाया जा सकता है।

-घर में सुख सौभाग्य के लिए प्रतिदिन फूलों के साथ दो लौंग भी पूजा में अर्पित करें। इसके अलावा एक लाल रंग के कपड़े में 5 लौंग और 5 कौड़ियों बांधकर तिजोरी या फिर अलमारी में रख दें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा होती है और घर में धन का आगमन होता है।


-उधार पैसे वापस लाने के लिए

अगर कोई व्यक्ति आपके द्वारा दिए गए पैसे वापस करने में आनाकानी कर रहा है तो अमावस्या या फिर पूर्णिमा के दिन रात के समय 21 लौंग कपूर में रखकर जला दें और मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए हवन कर लें। ऐसा करने से राहु केतु का दुष्प्रभाव कम हो जाएगा।

-दीपक में लौंग डालकर जलाने से धन की कमी दूर होती है। इसके अलावा, व्यक्ति की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है और जीवन में खूब पैसा कमाते हैं।

-शुक्रवार के दिन एक दीपक में 5 लौंग डालकर जलाएं। इसके बाद दीपक को घर के मंदिर या मुख्य द्वार पर रखें। मान्यता है कि इस उपाय से मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं।

-पर्स में लौंग और कपूर रखने से मान-सम्मान में बढ़ोतरी भी होती है।

-लौंग को पानी में उबालें और अपने घर के चारों ओर छिड़कें । धन और समृद्धि को आकर्षित करने के लिए एक हरी मोमबत्ती लें। मोमबत्ती पर 7/9 लौंग चिपका दें। अपनी दिल की इच्छा कहें और मोमबत्ती जला दें। सूर्यास्त के बाद ऐसा करें।



Sonali kesarwani

Sonali kesarwani

Content Writer

Content Writer

Next Story