कोरोनाः अब सस्ता व जल्द होगा टेस्ट, फेलुदा करेगा करेगा ऐसे काम

'फेलुदा' से टेस्ट में इस मशीन की जरूरत नहीं पड़ती इसलिए इससे किए जाने वाले टेस्ट की कीमत भी कम रहेगी। अनुमान है कि 'फेलुदा' तकनीक से टेस्ट की कीमत करीब 500 रुपये आयेगी और टेस्ट करने में दो घंटे का समय लगेगा।

राम केवी
Published on: 6 May 2020 12:39 PM GMT
कोरोनाः अब सस्ता व जल्द होगा टेस्ट, फेलुदा करेगा करेगा ऐसे काम
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नई दिल्ली। देश में कोराना संक्रमण की संख्या बढ़ती जा रही है और साथ ही इससे होने वाली मौतों की संख्या में भी इजाफा देखने को मिल रहा है। लेकिन राहत की बात यह है कि बड़ी संख्या में लोग कोरोना से ठीक भी हो रहे है। अभी तक कोरोना टेस्ट के लिए क्यू-पीसीआर मशीन का उपयोग किया जा रहा है, जो महंगी होने के साथ रिपोर्ट देने में ज्यादा समय लगाती है।

चिकित्सकों का कहना है कि अगर कोरोना संक्रमण की पहचान जल्दी हो जाए तो इस पर काबू पाया जा सकता है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने इस दिशा मे कदम बढ़ा दिए है। सीएसआईआर ने कागज की स्ट्रिप के जरिये कोरोना वायरस का टेस्ट करने की तकनीक ईजाद की है, जिसे 'फेलुदा' नाम दिया गया है। इस तकनीक का उपयोग तत्काल टेस्टिंग (रैपिड मास टेस्टिंग) के लिए बड़े पैमाने पर किया जा सकता है।

सीएसआईआर ने 'फेलुदा' के उत्पादन और विकास के लिए टाटा संस के साथ एमओयू साइन किया है। बताया जा रहा है कि मई के आखिरी सप्ताह तक इससे टेस्टिंग का काम शुरू कर दिया जायेगा। पूरी तरह स्वदेशी इस 'फेलुदा' तकनीक की खूबी यह है कि बिना क्यू-पीसीआर मशीन के इसका उपयोग किया जा सकता है। क्यू-पीसीआर मशीन महंगी होती है और 'फेलुदा' से टेस्ट में इस मशीन की जरूरत नहीं पड़ती इसलिए इससे किए जाने वाले टेस्ट की कीमत भी कम रहेगी।

इतना सस्ता हो जाएगा टेस्ट

अनुमान है कि 'फेलुदा' तकनीक से टेस्ट की कीमत करीब 500 रुपये आयेगी और टेस्ट करने में दो घंटे का समय लगेगा। 'फेलुदा' तकनीक को सीएसआईआर की इंस्टीट्यूट आफ जेनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायलाजी (आईजीआईबी) ने विकसित किया है।

बताते चले कि देश भर में अब कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों में तेजी आ रही है। ऐसे में बड़े पैमाने पर टेस्ट किए जाने की जरूरत है। सरकार ने कुछ निजी क्षेत्र के जांच केंद्रों को कोरोना टेस्ट करने की छूट दी थी लेकिन 4500 रुपये की कीमत होने के कारण निजी क्षेत्रों में ज्यादा टेस्ट नहीं हो पा रहे है। इस बीच मास टेस्टिंग को भी आजमाया गया लेकिन इसकी रिपोर्ट भी विश्वसनीय न होने के कारण इसे रोक दिया गया।

राम केवी

राम केवी

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