TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

कोरोना मरीजों में बढ़ रहा हार्ट अटैक का खतरा? जाने लक्षण और इलाज

एक्सपर्ट्स का कहना है कोरोना से ठीक होने के बाद इंफेक्शन के साइड इफेक्ट लंबे समय तक शरीर में रह सकते हैं और अब तो हार्ट डैमेज के भी मामले सामने आने लगे हैं ।

Network
Newstrack Network NetworkPublished By Monika
Published on: 5 May 2021 3:02 PM IST (Updated on: 5 May 2021 3:06 PM IST)
Corona positive people dying of heart attack
X

हार्ट अटैक (प्रतीकात्मक)  फोटो: सोशल मीडिया 

नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस (coronavirus) की दूसरी लहर पहले से कई ज्यादा खतरनाक है। अस्पतालों (hospitals) में कोरोना मरीजों (corona patients) के लिए बेड नहीं मिल रहे, ऑक्सीजन (oxygen) की भी किल्लत देखने को मिल रही है । जिसके चलते डॉक्टरों ने मरीजों को होम क्वारंटाइन की सलाह दी है । हेल्थ ऑथोरिटीज (Health authorities) का कहना है कि 80 फीसद से मरीजों को हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत नहीं है । वे घर पर ही डॉक्टर्स के संपर्क से रिकवर (recover)हो सकते हैं । लेकिन ये भी सच है कि इस इंफेक्शन के साइड इफेक्ट (side effects) लंबे समय तक शरीर में रह सकते हैं और अब तो हार्ट डैमेज के भी मामले सामने आने लगे हैं ।

ऑक्सफोर्ड जर्नल द्वारा की गई स्टडी में पता चला है कि कोविड-19 से गंभीर रूप से पीड़ित तकरीबन 50 प्रतिशत हॉस्पिटलाइज्ड मरीजों का रिकवरी के महीने भर बाद हार्ट डैमेज हुआ है । इसलिए उन सभी मरीजों को रिकवर होने के बाद भी अपने हार्ट रेट को चेक करते रहना चाहिए । इसकी अनदेखी करने पर मरीज़ की जान को खतरा हो सकता है ।

इस मामले पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड-19 का इंफेक्शन बॉडी में इंफ्लेमेशन को ट्रिगर करता है, जिससे दिल की मांसपेशियां कमजोर पड़ने लगती हैं । इससे धड़कन की गति प्रभावित होती है और ब्लड क्लॉटिंग की समस्या असामान्य रूप से उत्पन्न होने लगती है । दूसरा वायरस सीधे हमारे रिसेप्टर सेल्स पर हमला कर सकता है, जिसे ACE2 रिसेप्टर्स के रूप में जाना जाता है । यह मायोकार्डियम टिशू के भीतर जाकर भी उसे भी उसे नुकसान पहुंचा सकता है । मायोकार्डाइटिस जैसी दिक्कतें जो कि हार्ट मसल की इन्फ्लेमेशन है अगर इसका समय पर देखभाल नहीं किया गया तो इससे हार्ट फेल हो सकता है ।

हार्ट फेल कब होता है?

हार्ट फेल उस समत होता है जब किसी इंसान के दिल की मांसपेशियां खून को उतनी कुशलता के साथ पम्प नहीं कर पाती जितने की उसे ज़रूरत होती है । ये एक क्रॉनिक समस्या है जिसका समय पर इलाज न होने से कंडीशन बिगड़ सकती है ।

क्या है इसका इलाज?

शरुआती स्टेज पर इलाज मिलने से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। हार्ट फेलियर के एडवांस केस में जरूरत पड़ने पर लेफ्ट वेंट्रीकुलर असिस्ट डिवाइस (LVAD) प्रोस्यूजर या थैरेपी के साथ एक हार्ट ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। LVAD लेफ्ट वेंट्रिकुलर को मदद करता है जो कि हार्ट का सबसे प्रमुख पम्पिंग चैंबर है।



\
Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

Next Story