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Covishield Side Effects: कोरोना वैक्सीन और जानलेवा टीटीएस सिंड्रोम
Covishield Side Effects: एस्ट्रा ज़ेनेका ने कानूनी दस्तावेज़ में स्वीकार किया है कि उसका टीका "बहुत ही दुर्लभ मामलों में" थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम या टीटीएस के साथ थ्रोम्बोसिस नामक स्थिति का कारण बन सकता है।
Covishield Side Effects: कोरोना से बचाव के लिए "कोवीशील्ड" नाम से वैक्सीन डेवलप करने वाली कंपनी आस्ट्रा ज़ेनेका ने कबूला है कि इस वैक्सीन के भयंकर दुष्परिणाम हो सकते हैं। अभी तक कंपनी इस बात को सिरे से नकारती आई थी लेकिन अब चूँकि ब्रिटेन के लन्दन हाईकोर्ट में कंपनी के खिलाफ अरबों रुपये के मुआवजे का मुकदमा हो गया है सो अब कोर्ट में दाखिल दस्तावेजों ने ये बात स्वीकारी है कि –हाँ, वैक्सीन से गंभीर स्थिति और मौत तक मुमकिन है।
वैक्सीन बनाने वाली एस्ट्राजेनेका के टीके के संभावित दुष्परिणाम के कारण बीमार पड़े या मारे गए लोगों के प्रियजनों द्वारा 51 मुक़दमे लाये गए हैं। दावेदारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों का कहना है कि कुल दावे 12.5 करोड़ डालर तक हो सकती है। यानी 1050 करोड़ रुपये का मुआवजा।
एस्ट्रा ज़ेनेका ने कानूनी दस्तावेज़ में स्वीकार किया है कि उसका टीका "बहुत ही दुर्लभ मामलों में" थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम या टीटीएस के साथ थ्रोम्बोसिस नामक स्थिति का कारण बन सकता है।
टीटीएस के कारण मरीज़ों में रक्त के थक्के जम सकते हैं और साथ ही खून में प्लेटलेट की संख्या भी कम हो सकती है, जिससे गंभीर नुकसान पहुँच सकता है या उनकी मृत्यु भी हो सकती है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) या वैक्सीन के कारण इम्यूनिटी थ्रोम्बोसाइटोपेनिया और थ्रोम्बोसिस (वीआईटीटी) नामक साइड इफेक्ट से कम से कम 81 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग गंभीर स्थिति का शिकार हो गए।
एस्ट्रा ज़ेनेका के बारे में
-एस्ट्रा जेनेका की कोरोना वैक्सीन को पहली बार दिसंबर 2020 में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई थी।
-यूके फार्मास्युटिकल वॉचडॉग मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार कोरोना संकट के दौरान यूके में दी गयी 5 करोड़ खुराक में से 81 लोगों की मृत्यु संभावित रूप से वैक्सीन के कारण रक्त के थक्कों से हुई है।
-इसके अनुसार, वैक्सीन के परिणामस्वरूप लोगों में टीटीएस डेवलप होने की संभावना 50,000 में से 1 के बीच आंकी गई है।
-ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अनुसार, एस्ट्रा जेनेका वैक्सीन को महामारी के दौरान वैश्विक स्तर पर 60 लाख से अधिक लोगों की जान बचाने का श्रेय दिया जाता है।
भारत में टीकाकरण
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में दिसंबर 2021 तक दी गयी 1 अरब 30 करोड़ डोज़ में से 90 फीसदी कोवीशील्ड की वैक्सीन थीं। उस समय सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया प्रति माह 25 करोड़ खुराकों का प्रोडक्शन कर रहा था।
-भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ने अप्रैल 2020 में घोषणा की कि वह ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिल कर वैक्सीन निर्माण करेगा। दुनिया में सात कंपनियों ने ऐसे सहयोग की घोषणा की थी।
-16 जनवरी 2021 को भारत में कोवीशील्ड वैक्सीन की पहली डोज़ लगाई गयी।
विकिपीडिया पर भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से उपलब्ध जानकारी के मुताबिक भारत में 1,02,57,89,302 लोगों को कोवैक्सिन या ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन या स्पुतनिक वी की एक खुराक दी गई। 95,20,33,158 लोगों को दोनों खुराक दी गयी। 22,85,93,024 लोगों को बूस्टर खुराक दी गई।
2021 में ही उठी थी चिंता
कोरोना महामारी के भीषण दौर में जब वैक्सीनें डेवलप हुईं थीं तभी कुछ रिसर्च पेपर्स में वैक्सीन और थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) का जिक्र किया गया था। इस पेपर के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि टीटीएस ज्यादातर 20 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं को प्रभावित करता है और किसी भी पूर्वगामी जोखिम कारक की निर्णायक रूप से पहचान नहीं की गई है। अधिकांश विशेषज्ञों की राय थी कि सामूहिक टीकाकरण जारी रहना चाहिए लेकिन सावधानी के साथ। जिन टीकों से टीटीएस होने की अधिक संभावना है उसे उन युवा रोगियों को नहीं दिया जाना चाहिए जिनके लिए वैकल्पिक टीका उपलब्ध है।
फ़ाइज़र और मॉडर्ना भी सवालों के घेरे में
वैसे, सिर्फ आस्ट्रा ज़ेनेका की कोरोना वैक्सीन पर सवाल नहीं हैं बल्कि फ़ाइज़र और मॉडर्ना की वैक्सीन भी संदेह के घेरे में है। कुछ समय पहले साइंस पत्रिका "वैक्सीन" में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की शोध शाखा ग्लोबल वैक्सीन डेटा नेटवर्क के शोधकर्ताओं ने पाया है कि कोरोना टीकों ने 13 तरह के विकारों को बढ़ा दिया है जिन्हें "ख़ास प्रकार की प्रतिकूल घटनाएं" माना जाता है। आठ देशों - अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, न्यूजीलैंड और स्कॉटलैंड के 99 मिलियन टीकाकरण वाले लोगों पर किए गए अध्ययन में बताया गया है कि जिन लोगों को कुछ प्रकार के एमआरएनए टीके मिले, उनमें मायोकार्डिटिस यानी ह्रदय की सूजन का खतरा अधिक पाया गया। फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना के एमआरएनए टीकों की पहली, दूसरी और तीसरी खुराक में मायोकार्डिटिस के दुर्लभ मामले पहचाने गए। मॉडर्ना वैक्सीन की दूसरी खुराक के बाद मायोकार्डिटिस उच्चतम दर देखी गई। ये अपेक्षित दरों की तुलना में 6.1 गुना ज्यादा थी। एस्ट्राजेनेका के टीके की तीसरी खुराक प्राप्त करने वाले व्यक्तियों में पेरिकार्डिटिस का जोखिम 6.9 गुना तक बढ़ गया।
अध्ययन में बताया गया कि मॉडर्ना की पहली और चौथी खुराक प्राप्त करने वालों में जोखिम क्रमशः 1.7 गुना और 2.6 गुना बढ़ गया। अध्ययन में यह भी बताया गया कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लेने वालों में एक दुर्लभ ऑटोइम्यून डिसऑर्डर - गुइलेन-बैरी सिंड्रोम - विकसित होने का खतरा अधिक था, और रक्त के थक्के बनने का जोखिम 3.2 गुना ज्यादा था। मॉडर्ना वैक्सीन लेने के बाद न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर ‘एक्यूट डिसेमिनेटेड एन्सेफेलोमाइलाइटिस’ डेवलप होने का जोखिम 3.8 गुना अधिक है, और एस्ट्राजेनेका का टीका लेने के बाद जोखिम 2.2 गुना बढ़ गया है।
ब्रिटेन में आस्ट्रा ज़ेनेका का ताजा मामला
ब्रिटेन में वैक्सीन रोल-आउट के हिस्से के रूप में सरकार ने तय किया था कि दवा कंपनियों को उनकी दवा के किसी प्रतिकूल रिएक्शन के कारण कानूनी कार्रवाई का सामना करने की स्थिति में प्रोटेक्शन मिलेगा। तभी से ब्रिटिश सरकार एक वैक्सीन क्षति भुगतान योजना (वीडीपीएस) भी चलाती है, लेकिन पीड़ितों का तर्क है कि 1,20,000 पौंड स्टर्लिंग (1 करोड़ 26 लाख रुपये) का उसका एकमुश्त भुगतान बेहद अपर्याप्त है और 2007 से उस स्तर पर रुका हुआ है। अपने को वैक्सीन के दुष्प्रभाव से पीड़ित लोगों का ब्रिटेन में एक अभियान ग्रुप बना हुआ है जिसका नाम है "वैक्सीन इंजर्ड एंड बेरिव्ड यूके" (वीआईबीयूके)।
जब बोरिस जॉनसन प्रधानमंत्री थे तभी इस अभियान के आयोजकों में से एक महिला ने पीएम को पात्र लिखा था कि उनके पति को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रा जेनेका वैक्सीन लेने के बाद मस्तिष्क में स्थाई डैमेज हो गया था। उक्त महिला केन स्कॉट ने कहा है कि हम लगभग तीन वर्षों से सरकार से पैरवी कर रहे हैं, कोरोना वैक्सीन से पीड़ित या शोक संतप्त लोगों के लिए उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए वीडीपीएस सुधार की मांग कर रहे हैं कि अन्य परिवार कभी भी इस स्थिति में न हों।
लेकिन अब तक, सरकार और एस्ट्रा ज़ेनेका ने उन लोगों के लिए कोई दया या चिंता नहीं दिखाई है जो वैक्सीन के शिकार हुए हैं। अभियान ग्रुप के वकीलों का कहना है कि अगर सरकार पीड़ितों की मदद से इनकार करती रही तो टीकाकरण में जनता के विश्वास को खोने का जोखिम है जो भविष्य में किसी भी महामारी के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है।
क्या कहा एस्ट्रा ज़ेनेका ने?
इस बीच एस्ट्रा ज़ेनेका ने एक बयान में कहा है कि - हमारी सहानुभूति उन लोगों के प्रति है जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है या स्वास्थ्य समस्याओं की सूचना दी है। नैदानिक परीक्षणों और वास्तविक आंकड़ों में साक्ष्य के आधार पर, एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफ़ोर्ड वैक्सीन को लगातार एक स्वीकार्य सुरक्षा प्रोफ़ाइल दिखाया गया है और दुनिया भर के नियामक लगातार कहते हैं कि टीकाकरण के लाभ अत्यंत दुर्लभ संभावित जोखिमों से अधिक हैं।