वैक्सीन के बाद भी संक्रमण की संभावना

वैक्सीन लगने के बाद इफेक्टिव इम्यूनिटी शरीर में वायरस को गंभीर बीमारी पैदा करने से रोकती है

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Pallavi Srivastava
Published on: 20 May 2021 10:28 AM GMT (Updated on: 20 May 2021 10:32 AM GMT)
वैक्सीन के बाद भी संक्रमण की संभावना
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नई दिल्ली। भारत समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना टीकाकरण जोर शोर से चल रहा है। टीका लगवाने के बाद भी बिना लक्षणों के टेस्ट पॉजिटिव आना या हल्की सी बीमारी हो जाना सामान्य बात है। अगर कोई टीका लगने के बाद संक्रमित होता है तो उसे टीके की विफलता नहीं मानना चाहिए। वैसे भी कोई भी टीका सौ फीसदी सुरक्षा की गारंटी नहीं देता है। इसके अलावा हर इंसान का शरीर, जेनेटिक संरचना इत्यादि अलग अलग होती है सो कोई टीका, दवा, बीमारी या इलाज किसी व्यक्ति पर कैसा प्रभाव डालेगी ये पहले से नहीं बताया जा सकता। ज्यादातर टीके संक्रमण के फैलाव को रोकते हैं, भले ही वे स्टरलाइजिंग इम्युनिटी मुहैया ना करा सकें। यह संभव है कि टीका लगवाने के बाद आपको कोरोना बीमारी हो जाए। लेकिन टीका लगने की वजह से बीमारी गंभीर नहीं होगी और जान को खतरा नहीं होगा। अगर टीका लगा है तो आपको बिना लक्षण वाला संक्रमण हो सकता है और बीमारी का असर हल्का ही होगा। फाइजर-बायोनटेक टीका कोरोना के मूल वायरस और कई वेरिएंट से होने वाली बीमारी की रोकथाम में सर्वाधिक कारगर पाया गया है।

दो तरह की इम्यूनिटी

दरअसल, टीके से शरीर में दो तरह की इम्यूनिटी पैदा होती है। एक इफेक्टिव इम्यूनिटी और दूसरी स्टरलाइजिंग इम्यूनिटी। स्टरलाइजिंग इम्यूनिटी वायरस से पूरी तरह सुरक्षा मुहैया कराती है। इसका मतलब है कि फिर वायरस का कोई कण शरीर की कोशिकाओं में नहीं घुस सकता। शरीर में वायरस अपने जैसे वायरस भी नहीं बना पाता और आगे उसका प्रसार भी रुक जाता है। लेकिन इस अवस्था को हासिल करना मुश्किल है। शरीर में वायरस के प्रवेश को रोक पाना लगभग असंभव है। वहीं इफेक्टिव इम्युनिटी शरीर में वायरस को गंभीर बीमारी पैदा करने से रोकती है। लेकिन इससे आप ना तो संक्रमण से बच सकते हैं और ना ही वायरस को आगे फैलने से रोका जा सकता है।

ज्यादातर टीके शरीर में वायरस को सीमित करते हैं, फिर भी वायरस अपने जैसे दूसरे वायरस बना सकते हैं। लेकिन टीका लगवाने से शरीर को पर्याप्त एंटीबॉडी मिलती है और वायरस से दूसरे वायरस बनने की रफ्तार भी धीमी होती है। इसीलिए हमें बीमारी में कमी देखने को मिल रही है, जो अच्छी बात है। लेकिन अब भी हमें वायरस रेप्लीकेशन के मामले दिख रहे हैं, जिससे बिना लक्षणों वाला संक्रमण होता है।


साइड इफेक्ट

कोई भी टीका लगने के बाद त्वचा का लाल होना, टीके वाली जगह पर सूजन और कुछ वक्त तक इंजेक्शन का दर्द होना आम बात है। कुछ लोगों को पहले तीन दिनों में थकान, बुखार और सिरदर्द भी होता है। इसका मतलब होता है कि टीका अपना काम कर रहा है और शरीर ने बीमारी से लड़ने के लिए जरूरी एंटीबॉडी बनाना शुरू कर दिया है। लेकिन अगर कोई भी साइड इफेक्ट न आये तो ये नहीं समझना चाहिए कि टीका काम नहीं कर रहा है क्योंकि यहां भी वही थ्योरी काम करती है कि हर शरीर का रेस्पोंस अलग अलग तरह का होता है।

अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) का कहना है कि अगर आपका शरीर प्रतिरोध क्षमता विकसित कर लेता है जो टीकाकरण का लक्ष्य है तो फिर हो सकता है कि आपके कुछ एंटीबॉडीज पर किए गए टेस्ट पॉजिटिव आएं। इससे पता चलता है कि आपको पहले कभी कोरोना संक्रमण हुआ था।


टीके के बाद संक्रमण

अगर डबल डोज वाले टीके की पहली डोज के बाद कोरोना संक्रमण हो जाता है तो दूसरी डोज के लिए कुछ हफ्तों का इन्तजार करने की सलाह दी जा रही है। ये अंतर कितने दिनों का होना चाहिए इस बारे में कोई एक राय नहीं है क्योंकि संक्रमण के साथ शरीर में एंटीबाडी बन जाती है जो बचाव ढाल का काम करती है। लेकिन ये ढाल कितने दिन तक बनी रहेगी इस बारे में अलग अलग राय है। बहरहाल, ये माना जा रहा है कि संक्रमण के बाद 90 दिन तक शरीर में एंटीबाडी रहती है। इस दिशा में अभी कई रिसर्च चल रहीं हैं।

Pallavi Srivastava

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