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Omicron Update: ओमिक्रॉन के खिलाफ लड़ने वाली एंटीबॉडीज का चला पता
Omicron Update: हॉवर्ड ह्यूज मेडिकल इंस्टिट्यूट के शोधकर्ता डेविड वीसलर के मुताबिक स्पाइक प्रोटीन के खास हिस्सों को टारगेट करने वाली एंटीबॉडीज पर फोकस करके वायरस को खत्म किया जा सकता है।
Coronavirus New Variant Omicron Update: वैज्ञानिकों की एक इंटरनेशनल टीम ने उन एंटीबॉडीज का पता लगा लिया है जो ओमिक्रॉन तथा अन्य वेरियंट को न्यूट्रालाइज़ यानी खत्म कर सकती हैं। ये एंटीबॉडीज वायरस के स्पाइक प्रोटीन के उन हिस्सों को टारगेट करती हैं जो वायरस के म्यूटेट होने पर भी अपरिवर्तित रहती हैं।
इस महत्वपूर्ण खोज का मतलब ये है कि इन एंटीबॉडीज के टारगेट की पहचान करके ऐसी वैक्सीनें और एंटीबाडी ट्रीटमेंट डिज़ाइन किये जा सकते हैं जो न सिर्फ ओमिक्रॉन बल्कि भविष्य में आने वाले वेरियंट के खिलाफ भी प्रभावी हों। हॉवर्ड ह्यूज मेडिकल इंस्टिट्यूट (Howard Hughes Medical Institute) के शोधकर्ता डेविड वीसलर (Researcher David Weisler) के मुताबिक स्पाइक प्रोटीन के खास हिस्सों को टारगेट करने वाली एंटीबॉडीज पर फोकस करके वायरस को खत्म किया जा सकता है। डेविड वीसलर ने इस रिसर्च प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया है। इस रिसर्च के निष्कर्ष नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
ओमिक्रॉन वेरियंट के स्पाइक प्रोटीन में हुए 37 म्यूटेशन
ओमिक्रॉन वेरियंट के स्पाइक प्रोटीन में 37 म्यूटेशन हुए हैं। स्पाइक प्रोटीन के जरिये ही वायरस कोशिकाओं में घुसता है और उसमें चिपका रहता है। ऐसा माना जा रहा है कि इन्हीं म्यूटेशन के कारण ये वेरियंट इतना अधिक संक्रामक हो गया है। शोधकर्ताओं ने ये पता करने की कोशिश की कि ओमिक्रॉन में ऐसा क्या हुआ है कि वह शरीर के इम्यून सिस्टम के एंटीबाडी रेस्पॉन्स को चकमा दे देता है।
वीसलर और उनके सहयोगियों का अनुमान है कि कमजोर इम्यूनिटी वाले किसी इनसान में लम्बे समय तक संक्रमण बने रहने के दौरान वायरस में ढेरों म्यूटेशन होते गए होंगे। या फिर वायरस इंसानों से किसी अन्य जीव में पहुंचा होगा फिर वापस इंसानों को संक्रमित किया होगा।
ओमिक्रॉन पर वैक्सीनों का देखा प्रभाव
शोधकर्ताओं ने ओमिक्रॉन पर वैक्सीनों के प्रभाव को भी देखा है। रिसर्च में पता चला कि जिन लोगों को पहले के किसी वेरियंट का संक्रमण हुआ था उनकी एंटीबॉडी और जिन लोगों को वैक्सीन लगी है उनकी एंटीबाडी, ये दोनों ही ओमिक्रॉन का संक्रमण ब्लॉक करने में कम सक्षम हैं। शोधकर्ताओं ने फाइजर, मॉडर्ना, सिनोफार्म, स्पूतनिक, जॉनसन एंड जॉनसन और आस्ट्रा जेनेका की वैक्सीनों से उत्पन्न एंटीबॉडीज की पड़ताल की है।
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