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Coronavirus Third Wave: कब तक आ सकती है कोरोना की तीसरी लहर, बीएचयू के वैज्ञानिक ने दी अहम जानकारी

BHU के जंतु विज्ञान के जीन वैज्ञानिक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने कोरोना की तीसरी लहर अभी तीन महीने तक दूर रहने की जानकारी देने के साथ ही यह खुशखबरी भी दी है कि यह उतनी घातक नहीं होगी।

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Newstrack NetworkPublished By Deepak Kumar
Published on: 14 Sep 2021 1:37 AM GMT (Updated on: 14 Sep 2021 5:11 AM GMT)
Corona Third Wave
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कोरोना वायरस की तीसरी लहर। 

Coronavirus Third Wave: कोरोना की तीसरी लहर (Corona Third Wave) की संभावना और केरल सहित पूर्वोत्तर के राज्यों में बढ़ते मामलों के बीच एक राहत भरी खबर एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय काशी हिंदू के जंतु विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों की ओर से आ रही है।

इसके मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर अभी कम-से-कम तीन महीनों बाद ही दस्तक देगी और तो ओर इस लहर को टीकाकरण अभियान रोकने में काफी मदद करेगा, क्योंकि टीका लगवा चुके और कोरोना से ठीक हुए लोग एक विशेष प्रोटेक्टिव ग्रुप में सुरक्षित रहेंगे। पहले और दूसरे लहर को देखते हुए तीसरे लहर में भी बच्चे सुरक्षित होंगे।


कोरोना की तीसरी लहर अभी तीन महीने तक दूर

कोरोना की पहली लहर से ही इस नई वायरस जनित बीमारी पर बारीकी से अध्ययन करने वाले BHU के जंतु विज्ञान के जीन वैज्ञानिक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने कोरोना की तीसरी लहर अभी तीन महीने तक दूर रहने की जानकारी देने के साथ ही यह खुशखबरी भी दी है कि यह उतनी घातक नहीं होगी। वह बताते हैं कि अभी केरल और नॉर्थ ईस्ट के कुछ स्टेट्स में ही केस बढ़ रहे हैं, लेकिन अभी सिर्फ यूपी में 10-20 केस ही इतने बड़े स्टेट के होने के बावजूद भी आ रहे हैं तो यह बड़ी बात है। केरल के लोगों में 40 फीसदी ही सीरो पॉजिटिविटी डेवलप हुई थी, जबकि यूपी में 70 प्रतिशत लोगों में सीरो पॉजिटिविटी डेवलप हो चुकी थी।केरल में एक महीने बाद केस कम आने लगेंगे और वह भी यूपी की तरह हो जाएगा।

टीकाकरण अभियान कोरोना से लड़ने में होगा मददगार

फिलहाल अभी तीसरी लहर नहीं आएगी, लेकिन जैसा कि हर तीन महीने में एंटीबॉडी का स्तर गिर जाता है। इस लिहाज से अगले तीन महीने में एंटीबॉडी का लेवल गिर जाएगा तो तीसरी लहर आ सकती है, लेकिन अभी चल रहा टीकाकरण अभियान अलग से कोरोना के खिलाफ लड़ने में मदद करेगा और हमारी इम्यूनिटी 70 प्रतिशत से ज्यादा रहने पर उस एरिया या ग्रुप में कोरोना का असर कम रहेगा और धीरे-धीरे कोरोना वायरस की फ्रीक्वेंसी घटने लगती है और यही हमको देखने को मिलेगा।

वायरस को रोकना तो मुश्किल, लेकिन मृत्युदर कर सकते हैं कम : प्रोफेसर चौबे

प्रो. चौबे ने बताया कि कोरोना वायरस को तो रोकना मुश्किल है, लेकिन मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। समय-समय पर कोरोना की पीक बढ़ेगी फिर घटेगी। कुछ समय के बाद फिर गैप मिलेगा और जब एक बार फिर लोगों का एंटीबाॅडी कम होगा तो केस फिर से बढ़ेंगे। ऐसे में वे लोग जिनका टीकाकरण हो चुका है या फिर जो कोरोना से लड़कर ठीक हुए हैं, वह प्रोटेक्टिव ग्रुप में रहेंगे। ऐसे लोगों को भी दोबारा कोरोना होने पर इनकी मृत्युदर काफी कम है। ऐसे ग्रुप में दो-चार लाख लोगों में 1-2 की मृत्यु हो जाना बहुत बड़ी बात है। भले ही हमारी पूरी आबादी कोरोना संक्रमित हो जाए और हम मृत्युदर 0.1 या 1 प्रतिशत से भी नीचे रहेगी तो हम इस जंग को हम जीत लेंगे।

बड़ों की तुलना में बच्चे हो रहे कम प्रभावित

तीसरी लहर में बच्चों में कोरोना संक्रमण सबसे ज्यादा होने और अभी तक बचाव के लिए टीका न बनने के सवाल के जवाब में प्रो. चौबे ने बताया कि बच्चों की वैक्सीन पर कैडिला कंपनी काम कर रही है और उम्मीद है अगले 3-4 माह में बच्चों की वैक्सीन भी बाजार में आ जाएगी।

अगर पहली और दूसरी वेव में पूरी दुनिया में देखें तो बच्चे सबसे कम प्रभावित हुए हैं। ऐसे में बड़ों की तुलना में बच्चे कम प्रभावित हो रहे हैं। भले ही बच्चों में इंफेक्शन होगा, लेकिन बच्चे ठीक हो जाएंगे। इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि बच्चे स्कूल जा रहें हैं और कोरोना संक्रमित होते हैं और घर आने पर संयुक्त परिवार में रहने वाले दादा-दादी को भी संक्रमित कर सकते हैं। अगर इस स्थिति में दादा-दादी वैक्सीनेटेड न हो या उनको कोई और बीमारी हो तो उनको नुकसान पहुंच सकता है।

Deepak Kumar

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