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सावधान! तीसरी लहर से बच्चों को खतरा, बचाव के लिए अभिभावकों को उठाने होंगे ये कदम
Coronavirus Third Wave : उत्तर प्रदेश के प्रमुख इपिडीमियोलॉजिस्ट डॉ. अमित सिंह का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने में सबसे बड़ी भूमिका अभिभावकों की है।
Coronavirus Third Wave: कोविड-19 के वायरस के लगातार नये वेरिएंट आने से उसकी तीसरी लहर कब आएगी, इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। साथ ही चूंकि पहली लहर में मृत्यु दर 55 से अधिक उम्र वालों की रही और दूसरी लहर में 30 से अधिक उम्र वालों की अधिक रही, ऐसे मेे तीसरी लहर 18 साल के अधिक उम्र वालों पर खतरा माना जा रहा है। कोरोना से बचाव के लिए सरकार का फोकस भी 18 साल से अधिक उम्र वालों को अधिकतम वैक्सीनेट करने का है लेकिन 18 साल से कम उम्र वाले बच्चे अभी भी खतरे में हैं क्योंकि इनके लिए अभी कोई वैक्सीन अपने यहां नहीं है। ऐसे में इनको तीसरी लहर से बचाने के लिए अभिभावकों पर इनकी इम्युनिटी बढ़ाने की बड़ी जिम्मेदारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इम्युनिटी स्ट्रांग होने से बच्चों को कोरोना ही नहीं किसी भी बीमारी से बचाया जा सकता है।
बच्चों पर कोरोना संक्रमण के खतरे पर विशेषज्ञों की राय
उत्तर प्रदेश के प्रमुख इपिडीमियोलॉजिस्ट डॉ. अमित सिंह का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने (Protect Children From Coronavirus) में सबसे बड़ी भूमिका अभिभावकों (Parents) की है। उन्होंने कहा कि बच्चों की इम्युनिटी स्ट्रांग (Strong Immunity) करने से लेकर बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) और मास्क के इस्तेमाल के संबंध में सबसे बेहतर काउंसर पेरेंट होते हैं। क्योंकि उन्हें बच्चे के स्वभाव और रुचियों की जानकारी होती है।
उन्होंने कहा कि पेरेंट्स को बच्चों को कुछ इस तरह ट्रीट करना होगा जैसे ये सब चीजें उनके और बच्चों के लिए जरूरी हैं। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इम्युनिटी बूस्ट करने के लिए क्यूबा ऐसा पहला देश था जहां दिन में फिक्स समय सायरन बजता था और सब लोग बाहर धूप में बैठते थे। डॉ. सिंह ने कहा अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में बीचेज का चलन है जहां सेमी न्यूड कंडीशन में लोग सन बाथ लेते हैं।
उन्होंने कहा कि बच्चों पर अंकुश न लगाकर उन्हें स्वाभाविक रूप से खाने व खेलने दें। जब पर्याप्त खेलेंगे कूदेंगे तो जो खाएंगे हजम भी होगा और इम्युनिटी भी स्ट्रांग होती जाएगी।
संक्रमण से बचाव के लिए बच्चों के खान-पान पर ध्यान
डॉ. सिंह कहते हैं कि अक्सर यह कहा जाता है कि बच्चों को जंक फूड जैसे पिज्जा, बर्गर, चाऊमीन आदि से बचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसमें भी यही फार्मूला है। बच्चों की हैबिट को अचानक से नहीं बदला जा सकता है लेकिन चाउमीन, मैगी में कुछ अंश सब्जियों के डालकर यदि हम उबाल लेते हैं तो बेशक सब्जी के वो टुकड़े बच्चे न खाएं लेकिन उसका कुछ अंश तो सीधे बच्चों को मिल ही जाएगा। हां इसमें अभिभावकों की मेहनत थोड़ा बढ़ जाएगी।
बच्चे सीधे तौर पर फल नहीं खा रहे तो उन्हें कस्टर्ड दे सकते हैं। दूध में भी फ्लेवर एड कर दिया जा सकता है। जिससे उस स्वाद के बहाने बच्चे पी लेंगे। जो लोग अंडा खाते हैं वह बच्चों को अंडा भी दे सकते हैं। फल और सब्जी प्रोटीन के अच्छे स्रोत होते हैं लेकिन इन्हें बच्चों के स्वाद को परख कर डिश बनाकर पेश किया जा सकता है। इनमें चना, राजमा, हरी मटर, उबले चने भी शामिल किये जा सकते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियों का सूप बनाकर भी बच्चों को दिया जा सकता है।
बच्चों का इलाज के घरेलू नुस्खे
विशेषज्ञ ने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि नवजात शिशुओं को पीलिया हो जाता है। जिसमें बच्चे को सुबह की धूप दिखाने को कहा जाता है। गांव देहात में तो अक्सर माताएं धूप में बच्चों को सुला देती हैं या लिटा देती है।
पुराने जमाने में बच्चों को तेल मालिश या उबटन लगाने को प्रेरित किया जाता था इस बहाने बच्चे उतनी देर धूप में रहते थे। यह साप्ताहिक कार्यक्रम हुआ करता था। इस इम्युनिटी स्ट्रांग होती थी।
बच्चों की करें इम्युनिट बूस्ट
इंडियन वेटरिनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट इज्जतनगर (आईवीआरआई) के पूर्व निदेशक और सीनियर वायरोलाजिस्ट डॉ.राजकुमार सिंह ने कहा है कि विटामिन-डी की बात करें तो इसे सीधे तौर पर कोरोना संक्रमण को रोकने में कारगर नहीं कहा जा सकता है, लेकिन इम्युनिट बूस्ट करके इसके संक्रमण को रोकने में मददगार जरूर है।
ब्रिटेन की साइंटिफिक एडवाइजरी कमीशन आन न्यूट्रीशियन और नेशनल इंस्टिट्यूट आफ हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस ने भी कोरोना में विटामिन-डी की भूमिका को लेकर रिपोर्ट तैयार की है। और विटामिन डी को फायदेमंद बताया है। रिपोर्ट के मुताबिक दिन में करीब आधा घंटा धूप लेने से शरीर को 10 माइक्रोग्राम विटामिन-डी मिलती है। लेकिन इस दौरान शरीर के अधिकतम अंग खुले रहने चाहिए। इससे शरीर को जो विटामिन-डी मिलता है उससे रोग प्रतिरोधी क्षमता स्ट्रांग होती है और कोविड जैसे किसी भी तरह के संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है।
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