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कोरोना इफेक्ट स्टडीः दूसरी लहर में डेल्टा वैरिएंट के संक्रमण से ठीक हुए लोग दिल को लेकर रहें सतर्क, खतरनाक है ये
विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना वायरस हमारे हार्ट पर धीरे-धीरे बहुत ही बुरा प्रभाव डालता है। जिसके कारण संक्रमण से ठीक हो जाने के बाद भी कई मरीजों की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई।
देश में कोरोना संक्रमण के ग्राफ (Covid19 Graph) में इन दिनों थोड़ी गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन देश में अभी भी कोरोना से हालात गंभीर ही बने हुए हैं। हर रोज देशभर में कोरोनावायरस संक्रमण के दो लाख से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में कोरोनावायरस से शरीर के किन किन अंगो पर विशेष दुष्प्रभाव पड़ता है इसके बारे में समझना हमें बहुत जरूरी है। भारत में कोरोना वायरस के दूसरी लहर में होने वाली मौतों को अगर देखें तो ज्यादातर लोगों का मौत हृदय गति रुकने से ही हुई थी।
कोरोनावायरस (Corona Virus) के डेल्टा वैरिएंट के कारण भारत ही नहीं दुनिया के बहुत से देशों में इससे संक्रमित मरीजों में हार्ट संबंधित समस्याएं देखने को मिलीं। इनमें से ज्यादातर लोगों की मौत कोरोना वायरस संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो जाने के बाद हुई। कोरोनावायरस से ठीक होने के बाद होने वाली लगभग ज्यादातर मौतों में मौत का सबसे बड़ा कारण हार्ट अटैक ही रहा। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (World Health Organization) के हिसाब से कोरोना वायरस के कारण 75 फ़ीसदी मौत दिल के संबंधित बीमारियों से ग्रसित लोगों का हुआ।
विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना वायरस हमारे हार्ट को बहुत ही धीरे-धीरे प्रभावित करता है। कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद मरीज के दिमाग पर भी बेहद बुरा असर पड़ता है। वहीं मरीज के मानसिक तनाव में आने के कारण दिल पर बहुत ही गहरा असर पड़ता है। जिसके कारण सीने में दर्द, बेहोशी आने जैसे कई तरह के समस्याओं से जूझना पड़ता है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसार
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) के एक रिसर्च के मुताबिक कोरोनावायरस से ठीक होने वाले 50 फ़ीसदी से अधिक मरीजों का कार्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक के कारण मृत्यु हो गया। हालांकि इनमें से ज्यादातर मरीज पहले से ही ब्लड प्रेशर या हार्ट के किसी छोटे समस्या से परेशान चल रहे थे। रिसर्च में बताया गया कि कोरोना संक्रमण होने के बाद मरीज के दिल की मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं। जिसके कारण दिल की धड़कन पर असर पड़ता है और खून ठीक तरीके से पंप ना होने के पर गाढ़ा होने लगता है। इसी के कारण किसी को ब्रेन हेमरेज या हर्ट अटैक जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के अनुसार
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) के एक शोध में पाया गया है कि कोरोना संक्रमित होने के बाद संक्रमित मरीज के फेफड़े बहुत ही धीरे-धीरे काम करते हैं। जिसके कारण शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। लेकिन ऑक्सीजन के इस मांग की पूर्ण मात्रा में पूर्ति नहीं होने के कारण इसका गहरा प्रभाव हमारे हार्ट पर पड़ता है। जिसके कारण संक्रमित मरीज को दिल में दर्द जैसी समस्याएं होने लगती हैं। वहीं जब ऑक्सीजन की पूर्ति बिल्कुल ही ठीक तरीके से नहीं हो पाती है तो संक्रमित व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक आ जाता है।
इन बातों का रखें ध्यान
कोरोनावायरस संक्रमण होने पर या संक्रमण से ठीक होने के बाद हमें अपने शरीर को अच्छे तरीके से मॉनिटर करते रहना चाहिए। अगर किसी भी संक्रमित मरीज को या फिर कोई ऐसा व्यक्ति जो हाल ही में कोरोना वायरस से संक्रमित होकर ठीक हुआ हो उसे पेट में दर्द, घबराहट, उल्टी मालूम होना, जोर से खांसी आना, दिल में हल्का दर्द होना या मांसपेशियों में खिंचाव जैसा कोई भी लक्षण दिखे तो तुरन्त ही उन्हें डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। इसके अलावा कोरोनावायरस से संक्रमित व्यक्ति या संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति को अपने रक्तचाप का विशेष ध्यान रखना चाहिए।