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Dementia: बुज़ुर्ग महिलाओं की इस समस्या को अक्सर लोग कर देते हैं नज़रअंदाज़, जानिए कैसे बचें डिमेंशिया से
Dementia: जानिए क्या है डिमेंशिया जिसके लक्षण सबसे ज़्यादा बुज़ुर्ग महिलाओं में देखने को मिलते हैं। आइये जानते है कैसे इससे आप कर सकते हैं बचाव।
Dementia: मनुष्य के लिए बुढ़ापा कई समस्याओं को लेकर आता है वहीँ अगर आपके माता पिता भी बुढ़ापे के ओर बढ़ रहे हैं तो आप इस बात को अच्छे से समझ सकते हैं कि इस समय वो किन-किन समस्याओं से दो चार हो रहे हैं। ऐसे में एक ऐसी समस्या है 'डिमेंशिया (Dementia) ।' ये एक ऐसा शब्द है जो घटती याददाश्त, संज्ञानात्मक कौशल, तर्क और सोच क्षमता जैसे लक्षणों का वर्णन करने के लिए किया जाता है। आइये जानते हैं बुज़ुर्ग महिलाएं क्यों इससे ज़्यादा प्रभावित होतीं हैं।
डिमेंशिया से ऐसे करें बचाव
डिमेंशिया के मामले हर साल बढ़ रहे हैं और साल 2050 तक लगभग 130 मिलियन वैश्विक आबादी को प्रभावित करने की उम्मीद है। लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि महिलाओं में मामले पुरुषों की तुलना में अनुपातहीन रूप से अधिक हैं। और अभी भी महिला स्वास्थ्य में स्तन कैंसर के बारे में उतनी बात नहीं की जाती है जो हर साल समान संख्या में रोगियों को प्रभावित करता है।
गौरतलब है कि यूके में अल्जाइमर रिसर्च ग्रुप के अनुसार, 60 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में डिमेंशिया विकसित होने का जोखिम स्तन कैंसर (Breast Cancer) की तुलना में दोगुना है। ब्रिटेन में डिमेंशिया के 8,50,000 मरीजों में से 5 लाख से ज्यादा महिलाएं हैं। वहीँ 65 साल की उम्र के बाद हर 5 साल में जोखिम दोगुना हो जाता है।
हालाँकि महिलाओं डिमेंशिया विकसित होने के लिए कई चीज़ें ज़िम्मेदार हैं, लेकिन उम्र सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक है। दरअसल महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहती हैं और इसलिए, वे अपने बुढ़ापे के दौरान मनोभ्रंश के साथ रहती हैं। शारीरिक कसरत अनुपात, रक्तचाप में बदलाव और हार्मोनल कारण (एस्ट्रोजन) भी महिलाओं में इस बढ़ते जोखिम में योगदान देने वाले कुछ कारक हैं। एक और कारण देखभालकर्ता के रूप में उनकी भूमिका है। अधिकांश निम्न और मध्यम आय वर्ग के देशों में, मनोभ्रंश रोगियों की लगभग 90% पेशेवर और पारिवारिक देखभाल करने वाली महिलाएँ हैं। इस दौरान उन्हें कम समर्थन मिलता है और ये अलगाव उनकी याददाश्त और सोचने की क्षमता में गिरावट का प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है।
हालाँकि डिमेंशिया का अभी तक कोई इलाज नहीं है, लेकिन जीवनशैली में कुछ बुनियादी बदलाव महिलाओं में इस बीमारी के विकसित होने की संभावना को कम करने में मदद कर सकते हैं। आइये जानते हैं कि इसका जोखिम कैसे कम किया जा सकता है।
आहार पर दें उचित ध्यान
अगर आप अपने आहार में फाइबर, फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार एंटी-ऑक्सीडेटिव को शामिल करते हैं तो ये सभी आपके मस्तिष्क स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करते हैं।
प्रतिदिन करें व्यायाम
सप्ताह में कम से कम 5 बार 30 मिनट की वाक और नियमित व्यायाम रक्त परिसंचरण में मदद करने और संज्ञानात्मक हानि को रोकने के लिए एक बेहतर विकल्प है।
मोटापे से करें बचाव
सभी शोधकर्ताओं ने कूल्हे/कमर के अनुपात का मनोभ्रंश से सीधा संबंध पाया है। स्वस्थ जीवन शैली के साथ, विशेष रूप से गर्भावस्था के बाद, महिलाओं को शरीर का वजन सामान्य बनाए रखना चाहिए ताकि उनमें मनोभ्रंश विकसित होने की संभावना कम हो सके।
नशीले पदार्थों से रहे दूर
धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन मस्तिष्क के बिगड़ते स्वास्थ्य से जुड़ा है। जितनी जल्दी हो इससे दूरी बना लें।
भरपूर नींद लें
ऐसा माना जाता है कि लगातार नींद की कमी से मनोभ्रंश और अन्य बीमारियाँ विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। महिलाओं को हर रात 7-8 घंटे की गुणवत्तापूर्ण नींद लेनी ज़रूरी होती है।
नियमित स्वास्थ्य जांच
महिलाओं में अक्सर देखा गया है कि वो अपने स्वास्थ के प्रति काफी लापरवाह हो जातीं हैं। ऐसे में नियमित रूप से वो अपनी स्वास्थ जाँच करवाने से भी बचती नज़र आतीं हैं। आपको बता दें कि किसी भी चिकित्सीय स्थिति से बचने के लिए प्रत्येक महिला को वर्ष में एक बार अपने डॉक्टर से अवश्य मिलना चाहिए।
महिलाओं में मनोभ्रंश के बारे में जागरूकता फैलाना जरूरी है, क्योंकि इनमें से अधिकतर मामलों का निदान नहीं हो पाता है और जब बाद में निदान होता है, तो वे एडवांस स्टेज में होते हैं। हमें मनोभ्रंश रोगियों के लिए घर पर ही उनकी देखभाल को मजबूत करने पर काम करना चाहिए।