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Depression Remedy: डिप्रेशन से निकलने में बेहद सहायक बन सकती है आपकी जादू की झप्पी

Depression Remedy डिप्रेशन को राहत चाहते हैं तो आपकी जादू की झप्पी काफी सहायक बन सकती है।

Preeti Mishra
Report Preeti MishraPublished By Divyanshu Rao
Published on: 3 March 2022 3:06 PM GMT (Updated on: 3 March 2022 4:27 PM GMT)
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डिप्रेशन की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया) 

Depression Remedy: डिप्रेशन एक साइलेंट किलर की तरह काम करता है, जिसका अगर वक़्त रहते ईलाज न हुआ तो यह ज़िन्दगी तक लील लेता है। मानसिक कारकों के अलावा हार्मोन्स का असंतुलित होना, गर्भावस्था और अनुवांशिक विकृतियाँ भी डिप्रेशन का कारण बन सकती है। ज्यादातर लोग आजकल एकांकी परिवार ही रहते हैं जिसमें कुल मिलाकर ज्यादा से ज्यादा तीन से चार लोग होते हैं।

जो अपनी ज़िन्दगी के भाग- दौड़ में ही लगे रहते हैं। ऐसे में बैठ कर एक- दूसरे की भावनाओं को समझने का वक़्त ही उनके पास नहीं होता। आजकल के मॉडर्न लाइफ स्टाइल में पड़ोस और रिश्तेदार भी कुछ सिकुड़ से गए हैं। comunication gap होने की वजह से पता ही नहीं चल पाता है की किसके मन में क्या चल रहा है।

अगर हाउसवाइफ है तो हो सकता है वो अपने बच्चों और पति के बिजी हो जाने की वजह से बिलकुल अकेले पड़ गयी हो या बच्चे , जिनके माता -पिता दोनों ही कामकाजी हो , या अपने काम में परेशान घर का मुख्य सदस्य ही क्यों न हो। मोबाइल की दुनिया भले ही एक क्लिक में दुनिया को हमसे जोड़ने की ताकत रखती हो मगर रिश्तों को खोखला करने के लिए भी यही सोशल प्लेटफार्म सबसे ज्यादा ज़िम्मेदार भी हैं। ऐसे में लोग डिप्रेशन की समस्या कब ग्रसित हो जाते हैं पता ही नहीं चलता।

WHO के अनुसार दुनियाभर में लगभग 30 करोड़ से ज़्यादा लोग इस समस्या से ग्रस्त है, भारत में यह आंकड़ा 5 करोड़ से ज़्यादा है जो कि एक बहुत गंभीर समस्या है। सामान्यतया डिप्रेशन किशोरावस्था या 30 से 40 साल की उम्र में शुरू होता है लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं के डिप्रेशन की समस्या से ग्रस्त होने की सम्भावना ज़्यादा होती है। सुबह उठते के साथ उदासी, थकावट और कमजोरी, स्वयं को अयोग्य या दोषी मानना इसकी आम समस्याओं में से एक है।

डिप्रेशन की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

इस धरती पर शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो जो अपने जीवन में असफलता, संघर्ष और किसी अपने से बिछड़ जाने के कारण दुखी न हुआ हो। मगर उस वक़्त उसके अपनों का साथ और प्यार उसको इस दुःख से उभरने में सहायक होता है। मगर जरा सोचिये, जो व्यक्ति इन कठिन समय से गुजर रहा हो और उसे अपनों का साथ और प्यार भी न मिले तो उसका अवसादग्रस्त होना लाज़मी है।

डिप्रेशन कोई बीमारी नहीं है ,बल्कि ये एक ऐसा अवसाद है , एक ऐसे मन की द्वन्द है जिसमें व्यक्ति अपने मन की बात दुसरों से साझा नहीं कर पाता है या दूसरे उसकी मनःस्तिथि को नहीं समझ पाते हैं। क्योकिं शारीरिक तौर पर उस व्यक्ति को कोई समस्या नहीं हो रही होती है बल्कि समस्या पूरी मानसिक होती है, जो दिखाई नहीं देती है। इसके अलावा हार्मोन्स का असंतुलित होना, गर्भावस्था और अनुवांशिक विकृतियाँ भी डिप्रेशन का कारण हो सकती है।

क्या होते है इसके शुरुआती लक्षण

अलग -अलग लोगों में इसके अलग -अलग लक्षण दिखाई देते हैं। लेकिन कुछ सामान्य लक्षण है जो ज्यादातर डिप्रेशन से पीड़ित लोगों में देखे गए जैसे दिनभर खासकर सुबह के टाइम में बहुत उदासी लगना , थकावट और कमजोरी के साथ -साथ खुद को अयोग्य या दोषी मानना , बहुत ज्यादा या बहुत कम सोना , एकाग्रता की कमी के साथ- साथ कोई फैसला नहीं ले पाना, अचानक से वजन बढ़ना या घटना , बहुत ज्यादा आलस्य होना , इनके अलावा बार -बार मृत्यु या आत्महत्या का विचार आना भी इसका एक प्रमुख कारण है।

एक शोध के अनुसार , अगर किसी व्यक्ति को इनमे से 5 या उससे अधिक लक्षण 2 सप्ताह या उससे ज़्यादा समय तक बने रहते है तो DSM-5 (परिक्षण तकनीक) के अनुसार उसे डिप्रेशन हो सकता है। डिप्रेशन कई बार मरीज को मानसिक के साथ -साथ शारीरिक रूप से भी प्रभावित करती है जैसे थकावट, दुबलापन या मोटापा, हार्ट डिसीज़, सर दर्द, अपचन इत्यादि। शुरुआत में इन लक्षणों को कोई डिप्रेशन के तौर पर नहीं लेता है। कई इलाज करने बाद भी अगर कारण का पता न चले तो तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

आजकल डिप्रेशन के लिए कई सारे अलग–अलग ईलाज उपलब्ध है। एक मनोरोग चिकित्सक डिप्रेशन के प्रकार और गंभीरता के आधार पर सही उपाय का चुनाव करता है जैसे–काउंसलिंग, व्यव्हार परिवर्तन, ग्रुप थेरेपी, दवाइयाँ या मिश्रित पद्धति। सही ईलाज के बाद डिप्रेशन के मरीजों में से अधिकांश पूरी तरह ठीक होकर अपनी सामान्य ज़िन्दगी में लौट जाते हैं।

कैसे करें डिप्रेशन के मरीज़ो की सहायता

अगर आपका भी कोई अपना या परिचित इन समस्याओं से गुज़र रहा हो तो बिना देर किये उसकी सहायता करें। उससे ज्यादा से ज्यादा बातें करें। उसके मन की बातों को समझने की कोशिश करें। अपनी राय न बना लें याद रखें सामने वाला इस वक़्त बहुत नाज़ुक समय से गुज़र रहा है उसे आपके प्यार और सहारे की जरुरत है। उसकी बातों को अपने दिमाग से नहीं बल्कि दिल सुने और समझे। तत्काल राय बना कर उसके भीतर की भावनाओं को न दबाएँ।

डिप्रेशन को दूर करने के लिए अच्छे मनोचिकित्सक से परामर्श ज़रूर लेनी चाहिए। ऐसे मरीज़ को अकेला न रहने दे, दोस्तों के साथ बहार लें जाएँ, लोगों से मिले जुलने के लिए प्रेरित करें , खूब गपशप करे हां मगर ये धयान में रखें की आपकी बातों से परेशान न हो रहा हो। जो बात मरीज़ को परेशान करती हो ऐसी बातें न करें। सुबह शाम टहलने के लिए प्रेरित करें , sad song और दुःख भरी बातों को करने से बचें , हर वक़्त उसकी कमी निकलना तत्काल बंद करें, उसके अंदर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाएं , अच्छी और सकारात्मक बातें हमेशा कहें।

याद रखें, नकारात्मक और हाताशा से भरी हुई बातें इंसान को मन के किसी गहरे अँधेरे कुऐ में ले जाती है। जहाँ से जीवन जीने की लालसा लगभग समाप्त हो जाती है। इसलिए डिप्रेशन के मरीज़ों के साथ पुरे प्यार और हमदर्दी के साथ रहें। याद रखें , आपका उनके प्रति सकारात्मक रवैया उनके जीवन में रौशनी की एक उम्मीद बन सकता है। लोगों का साथ, प्यार , और मरीज़ के प्रति सकरात्मक उम्मीद मरीज़ के ठीक होने में जादुई तरीके से काम करता है।

Divyanshu Rao

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