Diabetes: डायबिटीज एक journey है आपके लाइफ की, इसे खुल कर जियें

Diabetes: भारत में लगातार बढ़ते इसके आंकड़ों के कारण भारत को डायबिटीज कैपिटल के नाम से भी जाना जाने लगा है। आज यहां 6 में से हर दो व्यक्ति इस रोग से ग्रसित है।

Preeti Mishra
Written By Preeti MishraPublished By Deepak Kumar
Published on: 4 March 2022 8:56 AM GMT
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डायबिटीज (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Health News Diabetes: डायबिटीज आज दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। चिंता की बात यह है कि भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत में लगातार बढ़ते इसके आंकड़ों के कारण भारत को डायबिटीज कैपिटल के नाम से भी जाना जाने लगा है। आज यहाँ 6 में से हर दो व्यक्ति इस रोग से ग्रसित है। डायबिटीज (Diabetes) एक स्थायी रोग (Chronic Disease )है, यानी एक ऐसी बीमारी जो लम्बे समय तक हमारे शरीर रहती है और जिसका पूरी तरह से ठीक होना मुश्किल होता है।

क्या कारण है डायबिटीज का

डायबिटीज (Diabetes) होने का प्रमुख कारण शरीर मे पैंक्रियाज द्वारा इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाना है। क्योँकि जब शरीर इन्सुलिन का उपयोग सही तरीके से नहीं कर पाता है तो खून में ग्लूकोस की मात्रा बढ़ने लगती है, जिससे डायबिटीज हो जाता है। डायबिटीज के दो प्रकार होते हैं- पहला टाइप 1 डायबिटीज (Diabetes) वह है जो हमें अनुवांशिक तौर पर होती है और दूसरा टाइप 2 डायबिटीज (Diabetes) जो ख़राब जीवन-शैली के कारण होती है। टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज में अकसर लोग कंफ्यूज हो जाते हैं। तो आइये समझते हैं इनके कुछ मुलभुत अंतर को।

किसी व्यक्ति को वंशानुगत कारणों से होने वाले डायबिटीज को टाइप-1 डायबिटीज कहा जाता है, जबकि कुछ लोगों में गलत लाइफस्टाइल और खान-पान के कारण होने वाली इस बीमारी को टाइप-2 डायबिटीज (Diabetes) कहते हैं।

क्या है टाइप 1 डायबिटीज

टाइप-1 में शरीर में इन्सुलिन बनना कम या बंद हो जाता है। जैसा की हम जानते हैं की इन्सुलिन एक तरह का हार्मोन है जो शुगर को रक्त में मिलाने में सहायक होता है। डायबिटीज टाइप-1 की समस्या किसी बच्चे में जन्म से या कम उम्र के बच्चों को भी हो सकती है। इस स्थिति में शरीर के अंदर इंसुलिन बिल्कुल नहीं बनता है। टाइप 1 डायबिटीज में वंशानुगत कारणों से पैंक्रियाज में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है। यानी इसमें अपने ही शरीर की कुछ कोशिकाएं दूसरी कोशिकाओं पर हमला करके उन्हें नष्ट कर देती हैं। हमारे ही शरीर की कुछ कोशिकाएं हमारे पैक्रियाज यानी अग्नाश्य की कोशिकाओं पर हमला करके इंसुलिन के उत्पादन को बाधित कर देती हैं। जिससे रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है। और शरीर डायबिटीज (Diabetes) का शिकार हो जाता है।

इलाज

डायबिटीज टाइप-1 में पेशंट इन्सुलिन पर निर्भर रहते हैं। उन्हें समय-समय पर इंसुलिन लेना होता है, क्योंकि इस स्थिति में शरीर में इंसुलिन बिल्कुल नहीं बनता है।

टाइप-2 डायबिटीज

ख़राब जीवन-शैली इस रोग के होने का मुख्य कारण है। इसमें शरीर में इंसुलिन कम बनता है। इंसुलिन कम बनने से रक्त में मौजूद कोशिकाएं इस हॉर्मोन के प्रति बहुत कम संवेदनशीलता दिखाती हैं जिस कारण भी रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है और व्यक्ति डायबिटीज (Diabetes) टाइप-2 का शिकार हो जाता है।

क्या हैं इसके लक्षण :

- बहुत ज्यादा प्यास लगना,

- ज्यादा बार पेशाब आना,

- थकावट और सुस्ती महसूस होना,

- त्वचा पर कट या घाव धीरे-धीरे ठीक होना,

- अक्सर भूखा महसूस होना,

- खुजली,

- त्वचा संक्रमण,

- धुंधला दिखना,

- बगैर कारण पता चले शरीर का वजन घटना,

- बार-बार मूड बदलना,

- सिर दर्द, चक्कर आना,

- टांग की मांसपेशियों में ऐंठन आदि।

इलाज

डायबिटीज टाइप-2 (Diabetes Type-2) में जरूरत होने पर ही इंसुलिन की डोज दी जाती है नहीं तो ऐसी दवाओं से चिकित्सा की जाती है, जो इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए पैंक्रियाज को प्रोत्साहित करें। इसके साथ ही सही जीवनशैली अपनाने पर जोर दिया जाता है। तनाव को कम करने के लिए शारीरिक गतिविधियों और ध्यान की सहायता ली जाती है।

याद रखें डायबिटीज अपने आप में कोई बीमारी नहीं है बल्कि इसकी वजह से कई गंभीर बीमारियां हमारे शरीर में आ जाती हैं। जैसे किडनी के रोग, आँखों का अंधापन, हाई बी पी, आंतो की समस्या आदि बहुत कुछ। इसलिए जरुरी ये है कि डायबिटीज को हमेशा कण्ट्रोल में रखने की कोशिश की जाये।

डायबिटीज (Diabetes) को अगर हम कण्ट्रोल में रखेंगे तो लम्बे समय तक हमे कोई परेशानी नहीं होगी। इसलिए डायबिटीज में बहुत जरुरी है कि एक ऐसी जीवन शैली अपनायी जाये जिसमें रोज टहलना, व्यायाम करना, योग करना, संतुलित आहार का सेवन करना और सबसे मुख्य अपने आप को खुश रखना ये सारी बातें मौजूद हों। याद रखें, डायबिटीज एक बीमारी नहीं बल्कि एक journey है आपके लाइफ की, इसलिए इसके साथ जीवन को अच्छे से जीना सीखें।

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Deepak Kumar

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