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Uterine Cancer: सावधान! गर्भाशय के कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा है Diabetes के रोगियों को

Uterine cancer: शरीर में गर्भाशय, या गर्भ, वह स्थान है जहां एक महिला के गर्भवती होने पर बच्चा बढ़ता है। आमतौर पर गर्भाशय का कैंसर 60 साल की उम्र की महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलता है।

Preeti Mishra
Published on: 21 April 2022 6:25 PM IST
Attention Diabetes patients are at highest risk of uterine cancer
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गर्भाशय का कैंसर: Photo - Social Media

Diabetes and uterine cancer: गर्भाशय का कैंसर (uterine cancer) महिलाओं में सबसे ज्यादा खतरनाक रूप से होने वाला कैंसर है। बता दें कि अन्य प्रकार के कैंसर की तुलना में इसके मामले सबसे ज्यादा होते हैं। महिलाओं में होने वाले गर्भाशय के कैंसर जिसे एंडोमेट्रिअल कार्सिनोमा (endometrial carcinoma) के नाम से भी जाना जाता हैं। इसमें गर्भाशय में मौजूद स्वस्थ कोशिकाएं अनियमित रूप से बढ़कर गांठ का रूप लेने लगती हैं जिससे कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है।

गौरतलब है कि शरीर में गर्भाशय, या गर्भ, वह स्थान है जहाँ एक महिला के गर्भवती होने पर बच्चा बढ़ता है। आमतौर पर गर्भाशय का कैंसर 60 साल की उम्र की महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलता है।

सामान्यतः गर्भाशय के कैंसर दो प्रकार के हो सकते हैंः

- एंडोमेट्रियल कैंसर (सामान्य): एंडोमेट्रियल कैंसर को ठीक किया जा सकता है। गर्भाशय कैंसर को बच्चेदानी का कैंसर भी कहा जाता है।

- गर्भाशय सारकोमा (दुर्लभ): गर्भाशय सार्कोमा बहुत दुर्लभ होते हैं। गर्भाशय सारकोमा अक्सर अधिक आक्रामक और इलाज में कठिन होते हैं। गर्भाशय सारकोमा मायोमेट्रियम में विकसित होता है यानी गर्भाशय की मांसपेशियों की दीवार में।

जब एंडोमेट्रियम की कोशिकाएं असामान्य रूप से शरीर में बढ़ने लगती हैं तो इसे एंडोमेट्रियल कैंसर भी कहा जाता है। कुछ शोध में एबॉट सामने आयी है कि डायबिटीज और गर्भाशय के कैंसर के बीच सीधा संबंध है। यानी डायबिटीज से ग्रसित लोगों में गर्भाशय के कैंसर होने की सम्भावना औरों के मुकाबले ज्यादा होती है। अकसर देखा गया है कि डायबिटीज का रोग मोटापे से संबंधित होता है, जो कैंसर के लिए एक जोखिम कारक है।

इन लोगों को गर्भाशय कैंसर का होता है ज्यादा जोखिम

गर्भाशय कैंसर के लिए कई जोखिम कारक में से कई एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के बीच संतुलन से संबंधित हैं। इनमें मोटापा, पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम नामक एक स्थिति या निर्विरोध एस्ट्रोजन लेना भी शामिल है। लिंच सिंड्रोम के रूप में जाना जाने वाला एक आनुवंशिक विकार हार्मोन से असंबंधित भी एक जोखिम कारक है।

गर्भाशय का कैंसर: Photo - Social Media

इसके होने के कई जोखिम कारक हैं जिनमें कुछ प्रमुख हैं :

- डायबिटीज (diabetes) के रोगियों में गर्भाशय के कैंसर होने की प्रबल सम्भावना होती है। चूँकि डायबिटीज में भी रोगी अधिक वजन से ग्रसित हो जाते हैं जो गर्भाशय के कैंसर होने का प्रमुख करक होता है। कुछ शोध से यह पता चला है कि डायबिटीज और गर्भाशय के कैंसर के बीच भी सीधा संबंध है।

- महिलाओं की बढ़ती उम्र उनमें गर्भाशय के कैंसर की संभावना को बढा देती है। वैसे 60 वर्ष की आयु के बाद ही अधिकांश गर्भाशय कैंसर होते हैं।

- हाई फैट वाली डाइट का अत्यधिक सेवन गर्भाशय के कैंसर सहित कई कैंसर का खतरा भी बढा सकता है। बता दें कि वसायुक्त खाद्य पदार्थों में कैलोरी की अधिकता होने के कारण मोटापे की समस्या होती है। शरीर का अत्यधिक वजन गर्भाशय कैंसर का जोखिम पैदा करता है।

- आनुवांशिक या कैंसर के परिवारिक हिस्ट्री भी इस बीमारी के विकास के लिए उच्च जोखिम में हैं। बता दें कि लगभग 5 प्रतिशत गर्भाशय के कैंसर वंशानुगत कारकों से जुड़े होते हैं।

- जिन महिलाओं में कुछ डिम्बग्रंथि ट्यूमर होते हैं उनमें उच्च एस्ट्रोजन का स्तर और कम प्रोजेस्टेरोन का स्तर होने के कारण ये हार्मोन परिवर्तन गर्भाशय के कैंसर के खतरे को बढ़ा देते हैं।

- यदि 12 वर्ष की आयु से पहले मासिक धर्म शुरू होता है, तो ऐसे में गर्भाशय के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। क्योंकि गर्भाशय अधिक वर्षों तक एस्ट्रोजन के संपर्क में रहता है।

- लेट मेनोपॉज भी इसके प्रमुख कारक माना जाता है। बता दें कि 50 साल की उम्र के बाद भी मेनोपॉज होने से इसका खतरा भी बढ़ जाता है। क्योंकि इसमें गर्भाशय लंबे समय तक एस्ट्रोजन के संपर्क में रहता है।

- गर्भधारण न करने वाली महिलाओं में भी इस कैंसर के होने की प्रबल जोखिम होता है।

- अन्य कैंसर के इलाज के लिए विकिरण चिकित्सा कोशिका डीएनए को नुकसान पहुंचाकर दूसरे प्रकार के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती है।

- मेनोपॉज के लक्षणों को दूर करने के लिए कुछ महिलाएं प्रोजेस्टेरोन के बिना एस्ट्रोजन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराती है, जो गर्भाशय के कैंसर के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है।

- स्तन कैंसर के इलाज के लिए ली जाने वाली टैमोक्सीफेन दवा गर्भाशय में एस्ट्रोजन की तरह काम कर गर्भाशय के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।

गर्भाशय कैंसर के रोकथाम के लिए इसके लक्षणों को पहचानना बेहद जरुरी है।

पीरियड्स के अलावा अन्य दिनों में ब्लीडिंग होना, शारीरिक संबंध बनाते हुए बहुत ज्यादा दर्द महसूस होना, बार-बार पेशाब आना, मेनोपॉज से पहले महिलाओं में मासिक धर्म के बीच योनि से रक्तस्राव, पेट के नीचे दर्द या श्रोणि में ऐंठन, मेनोपॉज उपरांत महिलाओं में पतला सफेद या स्पष्ट योनि स्राव, 40 से अधिक उम्र की महिलाओं में बहुत लंबा, भारी या बार-बार योनि से रक्तस्राव होना, बिना किसी कारण वज़न घटना और योनी से बदबूदार लिक्विड आना गर्भाशय कैंसर के कुछ प्रमुख लक्षण माने जाते हैं।

गर्भाशय के कैंसर का इलाज

अधिकांश लोगों को गर्भाशय के कैंसर में सर्जरी की ही आवश्यकता होती है। लेकिन इसके अलावा भी रोगी के स्वास्थ्य के ऊपर निर्भर करता है कि उसे कौन सी ट्रीटमेंट देनी है। इसके अन्य इलाज़ में कीमोथेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है, रेडिएशन थेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए लक्षित विकिरण किरणें भेजती है, हार्मोन थेरेपी में कैंसर के इलाज के लिए हार्मोन देती है या उन्हें ब्लॉक करती है, इम्यूनोथेरेपी में यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने में मदद करती है और टारगेट थेरेपी में जो विशिष्ट कैंसर कोशिकाओं को फैलने से रोकने के लिए दवाओं का उपयोग करती है।

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Shashi kant gautam

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