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Diphtheria : बेहद खतरनाक है डिप्थीरिया, जानिए इसके बारे में

Diphtheria : डिप्थीरिया एक संक्रमण है जो कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया नामक जीवाणु के कारण होता है। यह जीवाणु एक विष छोड़ता है जो मरीज के गले में "ग्रे टिश्यू" के निर्माण का कारण बनता है, जिससे निगलने और सांस लेने में समस्या होती है।

Neel Mani Lal
Published on: 3 Oct 2024 6:37 PM IST
Diphtheria : बेहद खतरनाक है डिप्थीरिया, जानिए इसके बारे में
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सांकेतिक तस्वीर (Pic - Social Media)

Diphtheria : डिप्थीरिया एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है जो कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया नामक जीवाणु के कारण होती है। डिप्थीरिया से पीड़ित लोगों को सांस लेने और निगलने में गंभीर समस्या होती है और उनकी त्वचा पर घाव हो सकते हैं। सफल वैक्सीन और बेहतर रहने की स्थिति के कारण, डिप्थीरिया बहुत से देशों में प्रचलित नहीं है। लेकिन भारत, नाइजीरिया समेत कई देशों में इसके संक्रमण मिले हैं।

दुनिया के कई इलाकों में डिप्थीरिया को अभी भी एक स्थानिक बीमारी माना जाता है। इसमें एशिया, डोमिनिकन गणराज्य, पूर्वी यूरोप, हैती, दक्षिण प्रशांत और पश्चिम एशिया शामिल हैं। जानते हैं इस बीमारी के बारे में -

डिप्थीरिया एक संक्रमण है जो कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया नामक जीवाणु के कारण होता है। यह जीवाणु एक विष छोड़ता है जो मरीज के गले में "ग्रे टिश्यू" के निर्माण का कारण बनता है, जिससे निगलने और सांस लेने में समस्या होती है।

गर्म देशों में या गर्म मौसम में डिप्थीरिया से पीड़ित व्यक्ति की त्वचा पर घाव भी हो सकते हैं जो ठीक नहीं होते और "ग्रे टिश्यू" यानी एक झिल्ली से ढके हो सकते हैं।

डिप्थीरिया के विभिन्न प्रकार

डिप्थीरिया के दो मुख्य प्रकार हैं, जिनमें क्लासिकल रेस्पिरेटरी और क्यूटेनियस शामिल हैं। क्लासिकल रेस्पिरेटरी डिप्थीरिया सबसे आम प्रकार है जो नाक, गले, टॉन्सिल या स्वरयंत्र (वॉयस बॉक्स) को प्रभावित कर सकता है। मरीज के शरीर में प्रभावित झिल्ली कहाँ स्थित है, इसके आधार पर लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ लोग इस स्थिति को गले का डिप्थीरिया कहते हैं।

क्यूटेनियस डिप्थीरिया एक दुर्लभ प्रकार का डिप्थीरिया है। इसमें त्वचा पर चकत्ते, घाव या छाले हो जाते हैं। क्यूटेनियस डिप्थीरिया उष्णकटिबंधीय जलवायु या भीड़-भाड़ वाली जगहों पर अधिक आम है जहाँ लोग गंदगी वाले हालातों में रहते हैं।

कैसे होता है संक्रमण?

हवा में मौजूद बूंदों के जरिए से डिप्थीरिया संक्रमण हो सकता है। बैक्टेरिया युक्त बूंदें छींकने, खांसने और थूकने से संक्रमण फैलाती हैं। यह भी संभव है कि संक्रमित व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति द्वारा छुए गए खुले घाव या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा छुए गए कपड़ों के जरिए से बीमारी फैला सकता है। डिप्थीरिया एक से अधिक बार हो सकता है।

डिप्थीरिया के लक्षण

- गले में दर्द।

- कमज़ोरी या थकान।

- बुखार।

- गर्दन की ग्रंथियों में सूजन।

- नाक और गले में झिल्ली बनने के कारण सांस लेने में समस्या।

- निगलने में कठिनाई।

- नर्व्स, गुर्दे या हृदय की समस्याएँ (अगर बैक्टीरिया खून में प्रवेश कर जाता है)।

- संक्रमित व्यक्ति में आमतौर पर संपर्क के दो से पाँच दिन बाद डिप्थीरिया के लक्षण दिखाई देते हैं।

डिप्थीरिया की वजह

डिप्थीरिया श्वसन तंत्र की परत से चिपके बैक्टीरिया के कारण होता है। ये बैक्टीरिया एक विष उत्पन्न करते हैं जो श्वसन टिश्यू सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं। दो या तीन दिनों के भीतर, पीछे छोड़े गए टिश्यू एक भारी, ग्रे कोटिंग या झिल्ली बनाते हैं। इस कोटिंग में वॉयस बॉक्स, गले, नाक और टॉन्सिल के टिश्यू को कवर करने की क्षमता होती है। संक्रमित व्यक्ति के लिए, सांस लेना और निगलना मुश्किल हो जाता है।

परीक्षण और इलाज

मरीज के गले के पीछे या घाव से नमूना लेने के लिए एक स्वाब की लैब टेस्टिंग से बैक्टेरिया की मौजूदगी का पता चलता है।

डिप्थीरिया का उपचार तुरंत शुरू होता है - कभी-कभी लैब टेस्ट के नतीजों की पुष्टि होने से पहले भी। संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबायोटिक्स दी जाती है।

वैक्सीन है बचाव

डिप्थीरिया के खिलाफ टीकाकरण सबसे बड़ा सुरक्षा उपाय है। ये आमतौर पर शिशुओं में किया जाता है। इसे डीपीटी टीका (डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस) कहा जाता है। पेंटावेलेंट टीके, जो डिप्थीरिया और चार अन्य बचपन की बीमारियों के खिलाफ एक साथ टीकाकरण करते हैं, अक्सर यूनिसेफ जैसे संगठनों द्वारा विकासशील देशों में रोग निवारण कार्यक्रमों में उपयोग किए जाते हैं।



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Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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