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कॉलेजों में बिकने वाले जंक फूड स्टूडेंट्स में बांट रहे बीमारियां

बर्गर, छोले भटूरे, समोसे,  चाऊमिन, मोमोज़, ये किसी होटल का मेन्यू नहीं बल्कि लखनऊ यूनिवर्सिटी की कैंटीन का मेन्यू चार्ट है। यूनिवर्सिटी के सभी स्टूडेंट्स इन जंक फूड्स को बड़े चटकारे ले लेकर खाते हैं। 

Manali Rastogi
Published on: 8 Dec 2018 5:15 PM IST
कॉलेजों में बिकने वाले जंक फूड स्टूडेंट्स में बांट रहे बीमारियां
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लखनऊ: बर्गर, छोले भटूरे, समोसे, चाऊमिन, मोमोज़, ये किसी होटल का मेन्यू नहीं बल्कि लखनऊ यूनिवर्सिटी की कैंटीन का मेन्यू चार्ट है। यूनिवर्सिटी के सभी स्टूडेंट्स इन जंक फूड्स को बड़े चटकारे ले लेकर खाते हैं। इनमें से किसी को भी इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि यह जंक फूड इनकी सेहत को कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं।

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तेल में डूबे समोसे, भटूरे, चाऊमिन खाकर अधिकतर स्टूडेंट्स अपनी सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। केवल लखनऊ यूनिवर्सिटी ही नहीं, शहर के सभी कॉलेजों का यही हाल है। कॉलेज कैंपस की कैंटीन में खाने के नाम पर केवल फ़ास्ट फ़ूड ही मिलता है। इसलिए स्टूडेंट्स के पास और कोई ऑप्शन नहीं बचता।

सभी कैंटीनों का एक सा हाल

राजधानी में कुल मिलाकर करीब 16 यूनिवर्सिटीज और 32 डिग्री कॉलेज हैं। इन सभी कॉलेजों की कैंटीन में खाने के लिए स्टूडेंट्स को फ़ास्ट फ़ूड ही मिलता है। इनकी मेन्यू लिस्ट में समोसा, बर्गर, पिज़्ज़ा, चाऊमिन, मोमोज़, कोल्ड्रिंक जैसी चीजें ही हैं। लविवि, टेक्नो कॉलेज, आईटी कॉलेज, अवध कॉलेज, नैशनल पीजी कॉलेज, जैसे बड़े कॉलेजों की कैंटीन की पड़ताल की गई तो पता चला कि इनमें से किसी भी कैंटीन में दाल चावल, रोटी सब्ज़ी जैसे पौष्टिक आहार की कोई व्यवस्था नहीं है।

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यहां तक कि अधिकतर कॉलेजों के बाहर भी फ़ास्ट फ़ूड के ठेले ही दिखाई देते हैं। मजबूरी में स्टूडेंट्स को इन्हीं चीजों से पेट भरना पड़ता है। कई यूनिवर्सिटीज़ के कैंपस बहुत बड़े हैं। दिनभर क्लास अटेंड करने के बाद स्टूडेंट्स इतना थक जाते हैं कि कैंटीन में जो मिलता है वही खा लेते हैं। आईटी कॉलेज की सुनन्दा ने बताया कि अभी तो एग्ज़ाम की वजह से कैंटीन बन्द हो गयी है, लेकिन हर रोज़ कैंटीन में हमलोग फ़ास्ट फ़ूड ही खाते हैं।

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टेक्नो कॉलेज की अक्षरा के तो फेवरेट हैं मोमोज़। उन्हें जब फ़ास्ट फ़ूड से होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया तो उन्होंने कहा कि कम पैसे में भरपेट खाना मिल जाता है, इसलिए वो इसके नुकसान के बारे में ज़्यादा नहीं सोचती और आसपास कोई अच्छा खाना नहीं मिलता इसलिए इन जंक फ़ूड से ही काम चला लेती हैं।

लखनऊ यूनिवर्सिटी की कैंटीन में तो हर किसी की प्लेट में केवल समोसे , छोले भटूरे और चाऊमिन ही नज़र आई। छोले समोसे खा रहे अजीत ने कहा कि इतना बड़ा कैम्पस है, एक डिपार्टमेंट से दूसरे तक जाने में 5 से 10 मिनट लग जाते हैं। इसलिए भूख ज़्यादा लगती है। ऐसे में जो भी यहां मिलता है हम उसे ही खा लेते हैं।

3 साल पहले फ़ास्ट फ़ूड हटाने के लिए बनाई गई थी नीति

कॉलेजों में बिकने वाले जंक फूड स्टूडेंट्स को कई बीमारियों की चपेट में ला रहे हैं। लगभग 3 साल पहले केंद्र सरकार ने शैक्षिक संस्थानों से जंक फूड और ज़्यादा फैट वाले ड्रिंक्स को दूर करने के लिए नीतियां भी बनाईं। संयत लोढ़ा ने इनकी जगह 80% ग्रीन फ़ूड मुहैय्या कराने का सुझाव भी दिया लेकिन कॉलेज की कैंटीनों में ग्रीन फूड तो दूर, कोई पौष्टिक खाना भी नहीं मिलता।

जंक फूड से युवाओं की सेहत को है खतरा

रेलवे हॉस्पिटल के फिजीशियन डॉ आर के वर्मा बताते हैं कि जंक फूड के ज़्यादा सेवन से युवाओं में डायबिटीज़, हायपर टेंशन, मोटापा, स्ट्रेस जैसी बीमारियां होने का बहुत ज़्यादा खतरा होता है। केजीएमयू के एंडोक्राइन सर्जन डॉ आनंद ने बताया कि फ़ास्ट फ़ूड और ज़्यादा तली हुई चीजें खाने से लड़कियों में ब्रेस्ट कैंसर और पीसीओडी जैसी इनफर्टिलिटी की दिक्कतें बढ़ रही हैं। कम उम्र की लड़कियां जंक फूड के कारण बांझपन का शिकार हो रही हैं।

उनका कहना है कि स्टूडेंट्स को स्वस्थ्य रहने के लिए फ़ास्ट फ़ूड की जगह दाल चावल, रोटी, सब्ज़ी जैसे पौष्टिक खाने को तरजीह देनी चाहिए। इस विषय पर लखनऊ यूनिवर्सिटी के पीआरओ प्रोफेसर एन के पांडे का कहना है कि उन्होंने कुछ समय पहले नई कैंटीनों के लिए टेंडर बनाया जिसमें पौष्टिक खाने की व्यवस्था होगी। जैसे ही टेंडर पास होगा, स्टूडेंट्स को हेल्थी फ़ूड खाने को मिलेगा।



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