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अगर रोज करेंगे योगाभ्यास,नहीं होंगे बीमार 60 की उम्र में भी रहेंगे जवान

suman
Published on: 30 Nov 2018 2:23 AM GMT
अगर रोज करेंगे योगाभ्यास,नहीं होंगे बीमार 60 की उम्र में भी रहेंगे जवान
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जयपुर:शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अच्छे आहार के साथ शारीरिक व्यायाम भी आवश्यक है। इसके लिए आप जिम जाने के बजाय घर पर ही योगाभ्यास कर सकते हैं। नियमित योगाभ्यास करने से शरीर के साथ मन भी स्वस्थ रहता है। आज के दौर में मोटापा और मधुमेह बहुत तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। टीवी पर अकसर इनके उपचार के तमाम विज्ञापन दिखाए जाते हैं। लेकिन ये नहीं बताया जाता कि ऐसे तरीके शरीर पर बुरा असर भी डाल सकते हैं। इसके उलट योगाभ्यास, मोटापा कम करने का अचूक माध्यम है और इसका आधार वैज्ञानिक है, जिसका साइड इफेक्ट भी नहीं है।दरअसल, योगासनों के जरिए पिट्यूटरी ग्लैंड के माध्यम से कुछ खास किस्म के हार्मोंस के सेक्रेशन में सक्रियता आती है, जिससे मोटापा तेजी से कम होता है। दूसरी ओर पेनक्रियाज से उन हार्मोंस का सेक्रेशन होता है, जो मधुमेह होने से भी रोकते हैं और अगर मधुमेह है तो उसे नियंत्रित करता है। पिट्यूटरी ग्लैंड आसनों से ज्यादा सक्रिय होता है और उसका लाभ तुरंत होता है। खासकर पश्चिमोत्तानासन ज्यादा लाभकारी है। अगर इसके साथ सर्वांगासन किया जाए तो दोनों ज्यादा प्रभावी होते हैं। बढ़ती  उम्र के प्रभावों को कम करना, वृद्ध अवस्था के नकारात्मक प्रभावों को कम करना, महिलाओं में मेनोपॉज के साइड इफेक्ट कम करना और मोटापे पर नियंत्रण में योगासन बेहद कारगर हैं।

योग विशेषज्ञ मानते हैं कि डायबिटीज, थॉइरॉयड, ओबेसिटी जैसे आज के दौर के सामान्य रोगों में जरूरी नहीं कि तमाम तरह के आसन किए जाएं। इसके लिए पांच आसनों का समुच्चय ही इन व्याधियों में बेहद लाभदायक है। इन पांच आसनों में शामिल हैं- वज्रासन, अर्द्धमत्स्येंद्रासन, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तानासन और भुजंगासन।

आसन के बाद हमें प्राणायाम करना चाहिए। सर्वप्रथम अनुलोम- विलोम करें। एक नाक से सांस लें, दूसरे से बाहर करें। कुछ देर सांस को स्थिर करना भी जरूरी है, जिसे कुंभक कहते हैं। दरअसल, बिना कुंभक के प्रणायाम नहीं हो सकता। कुंभक लगेगा, तो पूरक और रेचक प्रभावी होते हैं। जिसका अनुपात 1:2:2 का होता है। इसी प्रकार बंध लगाने से प्राणायाम ज्यादा प्रभावी होता है।

जिसमें तीनों बंध यानी मूलबंध, उड्डयान बंध और जालंधर बंध जरूरी हैं। जिसके चलते प्राणायाम का तुरंत लाभ मिलता है। दरअसल, तेजी से सांस लेना प्राणायाम नहीं है। इसके साथ ही कपालभाति, भस्त्रिका का नियमित अभ्यास भी लाभकारी है। प्राणायाम करने के बाद ध्यान लगाना आसान हो जाता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सूर्य नमस्कार भी बेहद उपयोगी है।

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हमारे तन-मन को स्वस्थ रखने में आहार और योगाभ्यास की बड़ी भूमिका होती है। इसलिए इनके प्रति कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। आसन करने के दौरान पसीना नहीं निकलना चाहिए। पसीना तो जिम और शारीरिक व्यायाम में निकलता है, योग के दौरान नहीं। आसन पहले बैठकर करें फिर पीठ के बल लेटकर और उसके बाद घुटने के बल।

आहार भी योग के प्रभाव को कारगर बनाता है। इसका अभिप्राय सात्विक खाना है। योग करने से पहले हमें लघु शंका से निवृत्त हो लेना चाहिए और योग करने के बाद भी। पहले भी टॉक्सिन निकलेंगे और योग करने के बाद भी शरीर से विजातीय द्रव्य निकल जाएंगे। योग करने के पंद्रह मिनट के बाद नीबू पानी आदि ले सकते हैं। ठोस खाद्य पदार्थ कम से कम आधे घंटे के बाद ही लें।

योगाभ्यास से जहां शरीर में रक्त संचरण अच्छी तरह होता है, वहीं शरीर के भीतरी अंगों की पर्याप्त मसाज भी हो जाती है। इस बात का भी ध्यान रखें कि किसी भी योगासन का अभ्यास अनुभवी और प्रशिक्षित योगाचार्य के निर्देशन में ही करें।

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