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Fatty Liver Kya Hai: फैटी लिवर क्या होता है, बढ़ा देता है हार्ट अटैक का खतरा, जानें निपटने के उपाय

Fatty Liver In Hindi: फैटी लीवर रोग लीवर सेल्स में अतिरिक्त फैट का निर्माण है। यह हर 10 में से एक व्यक्ति को प्रभावित करता है। आइए जानते हैं इस रोग के बारे में विस्तार से।

Shreya
Written By Shreya
Published on: 5 March 2025 7:30 AM IST (Updated on: 5 March 2025 7:31 AM IST)
Fatty Liver Kya Hai: फैटी लिवर क्या होता है, बढ़ा देता है हार्ट अटैक का खतरा, जानें निपटने के उपाय
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Fatty Liver (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Fatty Liver Kya Hota Hai: हाल ही में एक स्टडी सामने आई, जिसमें बताया गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम योगदान देने वाले आईटी सेक्टर के लगभग 84 प्रतिशत कर्मचारियों को MAFLD की समस्या है। एमएएफएलडी का मतलब होता है, मेटाबोलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड फैटी लीवर डिजीज। वैज्ञानिकों द्वारा की गई इस स्टडी में फैटी लीवर के कारणों का भी खुलासा हुआ।

रिसर्चर्स ने बताया कि सेंडेंटरी लाइफस्टाइल, जिसमें डेस्क पर लंबे समय तक बैठे रहना, शिफ्ट में काम, वर्क रिलेटेड स्ट्रेस, अपर्याप्त नींद, अनहेल्दी डाइट का सेवन और शारीरिक गतिविधि की कमी शामिल है, के चलते कर्मचारियों में MAFLD सहित कई गैर-संचारी रोगों का खतरा बढ़ जाता है। आइए जानते हैं क्या होता है फैटी लीवर और इससे बचने के लिए क्या किया जा सकता है।

फैटी लीवर क्या होता है (Fatty Liver In Hindi)?

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

फैटी लीवर को हेपेटिक स्टीटोसिस (Hepatic Steatosis) भी कहा जाता है। इस स्थिति में लीवर में बहुत अधिक फैट जमा हो जाता है। बैटर हेल्थ चैनल के मुताबिक, फैटी लीवर रोग (स्टीटोसिस) लीवर सेल्स में अतिरिक्त फैट का निर्माण है। यह हर 10 में से एक व्यक्ति को प्रभावित करता है। वैसे तो लीवर में कुछ फैट का होना आम बात है, लेकिन अगर वसा लीवर के वजन का 10 फीसदी से ज्यादा है, तो यह फैटी लीवर कहलाता है, जिसके चलते आपमें अधिक गंभीर जटिलताएँ विकसित हो सकती हैं।

भारत में फैटी लीवर की स्थिति (Fatty Liver Status In India)

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के अनुसार, भारत की लगभग 38 फीसदी आबादी फैटी लिवर या नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) से पीड़ित है और चिंता की बात ये है कि यह रोग केवल व्यस्कों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि लगभग 35% बच्चों में भी ये दिक्कत देखी जा रही है। वहीं, जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपेटोलॉजी में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार, भारत में हर 3 में से 1 व्यक्ति को फैटी लिवर है।

फैटी लीवर की वजह (Fatty Liver Hone Ki Vajah)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मोटापे और टाइप 2 डायबिटीज की वजह से फैटी लीवर का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है। इसके अलावा बहुत ज्यादा शराब पीना भी इस बीमारी को न्यौता देने जैसा है। हालांकि फैटी लीवर नॉन-अल्कोहलिक भी होता है। फैटी लीवर के जोखिम कारकों (Risk Factors for Fatty Liver) में शामिल हैं-

1- अधिक कैलोरी का सेवन

2- शराब का अधिक सेवन

3- हाई ट्राइग्लिसराइड्स

4- हाई ब्लड कोलेस्ट्रॉल

5- डायबिटीज

6- मोटापा या अधिक वजन होना, विशेष रूप से पेट के आसपास

7- एक निष्क्रिय थायराइड

8- कुछ दवाइयाँ

9- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) होना

10- लिवर से जुड़ी पारिवारिक बीमारी होना।

फैटी लीवर के चलते होने वाली समस्याएं (Health Problems Caused By Fatty Liver)

(फोटो साभार -सोशल मीडिया)

बता दें अगर एक बार लीवर सेल्स में बहुत ज्यादा फैट जमा हो जाए यानी कि फैटी लीवर की समस्या हो जाए तो इसके चलते शरीर में अन्य बीमारियां भी अपना ठिकाना ढूंढ लेती हैं। इसके चलते आपको ये समस्याएं हो सकती हैं-

1- लीवर की विफलता (Liver Failure): फैटी लीवर अगर गंभीर हो जाए तो यह लीवर सिरोसिस में बदल सकती है और फिर लीवर फेलियर का खतरा बढ़ सकता है।

2- किडनी फेलियर (Kidney Failure): इसके अलावा फैटी लीवर की बीमारी किडनी फेलियर की भी वजह बन सकती है। खासकर, नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) से पीड़ित लोगों में क्रोनिक किडनी रोग का खतरा ज्यादा होता है।

3- हार्ट डिजीज और हार्ट अटैक (Heart Disease And Heart Attack): फैटी लीवर हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा सकता है। दरअसल, इसके चलते रक्तप्रवाह में हानिकारक कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है, जिससे धमनियों में प्लाक का निर्माण हो सकता है और इस तरह दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है।

4- उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure): फैटी लीवर के मरीजों में ब्लड प्रेशर हाई होने की समस्या भी देखी जाती है और इससे दिल का दौरा, स्ट्रोक, हृदय गति रुकना जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं।

5- कैंसर (Cancer): दरअसल, फैटी लीवर डिजीज के कुछ प्रकारों में लीवर में सूजन और कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जिससे अनियंत्रित कोशिका विभाजन बढ़ सकता है और यह कैंसर का रूप ले सकता है।

इसके अलावा फैटी लीवर के मरीजों को फाइब्रोसिस और सिरोसिस की समस्या भी हो सकती है।

फैटी लीवर के प्रकार (Fatty Liver Types In Hindi)

फैटी लीवर मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं, नॉन-अल्कोहलिक और अल्कोहलिक।

नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज (NAFLD): यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लीवर में फैट जमा हो जाता है। लेकिन यह रोग शराब न पीने वाले लोगों में देखा जाता है। इसे मेटाबॉलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टेटोटिक लिवर डिजीज (MASLD) भी कहा जाता है।

अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज: इसमें शराब पीने की वजह से लीवर में वसा जमा होने लगता है। यह शराब से जुड़े लीवर रोगों का सबसे आम चरण है।

फैटी लीवर के लक्षण (Fatty Liver Symptoms In Hindi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

फैटी लीवर रोग में आमतौर पर कोई खास लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं। हालांकि जो लक्षण दिखते हैं, वो इस प्रकार से हैं:-

1- थकान

2- आम तौर पर अस्वस्थ महसूस करना

3- पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द

4- वजन कम होना

इसके अलावा गंभीर फैटी लीवर रोग का शिकार होने पर पीड़ित में निम्नलिखित संकेत दिख सकते हैं:-

1- पीली आंखें और त्वचा (पीलिया)

2- चोट

3- गहरे रंग का मूत्र

4- सूजा हुआ पेट

5- खून की उल्टी होना

6- काला मल

7- खुजली वाली त्वचा।

फैटी लीवर का इलाज कैसे होता है (Fatty Liver Treatment In Hindi)

अगर आपमें ऊपर बताए गए लक्षण हैं तो डॉक्टर से तुरंत अपॉइंटमेंट लें। इन्हें जानने के बाद डॉक्टर आपसे ब्लड टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं, जिसे लीवर फंक्शन टेस्ट कहा जाता है। इससे आपके लीवर के स्वास्थ्य की जांच होगी। इसके अलावा लीवर में फैट का पता लगाने के लिए आपसे अल्ट्रासाउंड और एमआरआई स्कैन कराने के लिए भी कहा जा सकता है।

फैटी लीवर के लिए कोई मेडिकल या सर्जिकल उपचार नहीं हैं, लेकिन कुछ उपाय इससे होने वाले नुकसान को रोकने या उलटने में मदद कर सकते हैं।

फैटी लीवर से बचाव कैसे करें (Fatty Liver Prevention Tips In Hindi)?

(फोटो साभार -सोशल मीडिया)

फैटी लीवर के जोखिम को कम करने या इसके इलाज के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव करने जरूरी हैं। साथ ही हेल्दी डाइट भी इस रोग से लड़ने में मदद करती है। आप इस तरह फैटी लीवर के खतरे को कम कर सकते हैं-

1- वजन मेंटेन करें: सबसे पहले फैटी लीवर की समस्या को कम करने के लिए डॉक्टर जो सलाह देते हैं, वो है स्वस्थ रूप से वजन कम करने की। स्वस्थ वजन मेंटेन करने से फैटी लीवर के खतरे को भी टाला जा सकता है।

2- स्वस्थ आहार: फैटी लीवर से बचने के लिए या फिर इसे कम करने के लिए डाइट पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। पहले तो अधिक चीनी, नमक, ज्यादा तली-भुनी चीजों, शराब पीने, रिफाइंड अनाज, और मैदा खाने से बचें। इसके अलावा उन चीजों को शामिल करें, जिससे लीवर हेल्थ बेहतर हो, जैसे कि हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, दलिया, ओट्स, मिलेट्स, ब्राउन राइस, फैटी फिश, सीड्स एंड नट्स, हल्दी, सेब, मूंग दाल और ग्रीन टी आदि।

3- शराब के सेवन से बचें: जैसा कि आपने पढ़ा शराब के सेवन से फैटी लीवर का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में अपने इस आदत को टाटा बाय-बाय कहना जरूरी है।

4- डायबिटीज को करें कंट्रोल: डायबिटीज फैटी लीवर के जोखिम कारकों में से एक है। ऐसे में फैटी लीवर से निपटने के लिए डायबिटीज को कंट्रोल करना बेहद जरूरी है।

5- एक्टिव रहें: इसके अलावा शारीरिक गतिविधि बेहद जरूरी है। अगर आप शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहते हैं तो इससे मोटापा, डायबिटीज जैसे रोगों का खतरा बढ़ता है। इससे भी फैटी लीवर की समस्या हो सकती है। ऐसे में इसके खतरे को टालने के लिए नियमित एक्सरसाइज करें। इसके अलावा वॉक, साइकलिंग जैसी एक्टिविटीज से भी आप खुद को एक्टिव रख सकते हैं।

नोट- यह खबर सामान्य जानकारी के लिए है। न्यूजट्रैक इसकी सत्यता, सटीकता या असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।

Admin 2

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