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NAFLD : बढ़ रही फैटी लिवर बीमारी, सरकार ने जारी की गाइडलाइन, जानिए जोखिम और बचाव

NAFLD : भारतीयों में नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) देश में लिवर रोग का एक महत्वपूर्ण कारण बनकर उभर रही है।

Neel Mani Lal
Published on: 27 Sept 2024 6:16 PM IST
Fatty Liver
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सांकेतिक तस्वीर (Pic - Social Media)

NAFLD : भारतीयों में नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) देश में लिवर रोग का एक महत्वपूर्ण कारण बनकर उभर रही है। ये दुनिया भर में सबसे आम और सबसे पुरानी लिवर बीमारी है, और दुनिया भर में एक तिहाई वयस्कों को प्रभावित करती है।

साइलेंट महामारी

एनएएफएलडी एक मूक महामारी बन सकता है, और इसका सामुदायिक प्रसार 9 फीसदी से 32 फीसदी तक हो सकता है। हालातों को देखते हुए केंद्र सरकार ने एनएएफएलडी के बारे में संशोधित परिचालन दिशानिर्देश और प्रशिक्षण मॉड्यूल जारी किए हैं।

एनएएफएलडी से संबंधित रोगी देखभाल और परिणामों को बेहतर बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए दो दस्तावेज़ों को जारी करते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि भारत ने एनएएफएलडी को एक महत्वपूर्ण गैर-संचारी रोग (एनसीडी) के रूप में मान्यता देने में अग्रणी भूमिका निभाई है। मेटाबोलिज्म यानी चयापचय रोगों के मुख्य कारणों में से एक लिवर है।

एनएएफएलडी है क्या?

एनएएफएलडी एक लिवर की बीमारी है जो लिवर की कोशिकाओं में एक्सट्रा फैट जमा होने के कारण होती है। ये जरूरी नहीं कि यह शराब के अधिक सेवन के कारण हो। वैसे लिवर में कुछ फैट होना सामान्य बात है। लेकिन अगर लिवर के वजन का 5 फीसदी से ज्यादा फैट है, तो इसे फैटी लीवर (स्टीटोसिस) कहा जाता है। एनएएफएलडी में कई तरह की स्थितियाँ शामिल हैं, जो साधारण फैटी लीवर (एनएएफएल या साधारण स्टेटोसिस) से लेकर गैर-अल्कोहल स्टीटोहेपेटाइटिस (एनएएसएच) तक हैं। कई गैर-संचारी रोग (एनसीडी), जैसे मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर, लिवर के स्वास्थ्य से जुड़े होते हैं। यानी लिवर की खराब सेहत बहुत कुछ बिगाड़ सकती है।

क्या है संशोधित गाइड लाइन

संशोधित दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि जोखिम कारकों में मोटापा (60 से 90 प्रतिशत), चयापचय सिंड्रोम, पेट का मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर और असामान्य ब्लड लिपिड स्तर (53 प्रतिशत), इंसुलिन प्रतिरोध और टाइप 2 मधुमेह (40 फीसदी से 80 फीसदी), गतिहीन जीवन शैली और हाई कैलोरी आहार, मुख्य रूप से अस्वास्थ्यकर फैट और ज्यादा शुगर का सेवन शामिल हैं।

रोकथाम के उपाय

रोकथाम के लिए फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर आहार की सिफारिश की जाती है।

नियमित शारीरिक गतिविधि, जिसमें प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाली एरोबिक एक्सरसाइज और सप्ताह में दो बार शक्ति प्रशिक्षण शामिल है, आवश्यक है।

इसके अतिरिक्त, व्यक्ति को गतिहीन समय को कम करना चाहिए और आगे लीवर की क्षति को रोकने के लिए शराब से सख्ती से बचना चाहिए।

कोई दवा नहीं

दिशानिर्देश में कहा गया है कि समय पर हस्तक्षेप और बीमारी की प्रगति को रोकने के लिए एनएएफएलडी की प्रारंभिक जांच और निदान महत्वपूर्ण है।

वर्तमान में एनएएफएलडी के उपचार के लिए कोई विशिष्ट दवा स्वीकृत नहीं है। एनएएफएलडी प्रबंधन के लिए दवाएं अभी भी डेवलपमेंट की स्टेज में हैं, और किसी विशेष दवा को मानक उपचार के रूप में अनुमोदित नहीं किया गया है।



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Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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