Global Handwashing Day: सही से हाथ धुलें, डायरिया, निमोनिया व सांस की बीमारियों से बचें

Global Handwashing Day: मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने अपील की है कि कोविड समेत अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए हाथों की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना है ।

Purnima Srivastava
Report Purnima SrivastavaPublished By Monika
Published on: 15 Oct 2021 5:31 AM GMT
Global Handwashing Day
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ग्लोबल हैंडवाशिंग डे (फोटो : सोशल मीडिया ) 

Global Handwashing Day: कोरोना ने हर किसी को हाथों की पूर्ण स्वच्छता की अहमियत अच्छी तरह से समझा दिया है । हाथों को स्वच्छ रखकर कोरोना ही नहीं बल्कि कई अन्य तरह की संक्रामक बीमारियों से बचा जा सकता है, क्योंकि हाथों के जरिये मुंह व नाक के रास्ते कई बीमारियाँ शरीर के अन्दर प्रवेश कर जाती हैं । इस बारे में समुदाय को पूरी तरह जागरूक करने के लिए ही हर साल 15 अक्टूबर को Global Handwashing Day (विश्व हाथ धुलाई दिवस) मनाया जाता है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने अपील की है कि कोविड समेत अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए हाथों की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना है । उन्होंने साबुन-पानी से हाथों की सही तरीके से सफाई (sabun paani se hatho ki safai) के छह प्रमुख चरण बताये हैं, जिसे सुमन-के विधि से समझा जा सकता है । एस का मतलब है पहले सीधा हाथ साबुन-पानी से धुलें, यू- फिर उलटा हाथ धुलें, एम-फिर मुठ्ठी को रगड़-रगड़कर धुलें, ए- अंगूठे को धुलें, एन-नाखूनों को धुलें और के- कलाई को अच्छी तरह से धुलें । इस विधि से हाथों की सफाई की आदत बच्चों में बचपन से ही डालनी चाहिए। इसकी अहमियत भी समझानी चाहिए ।

वहीं, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.शिवानंद श्रीवास्तव का कहना है कि रिपोर्ट बताती हैं कि शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों की होने वाली कुल मौत में करीब 17 प्रतिशत निमोनिया और 13 प्रतिशत डायरिया की चपेट में आने से होती हैं । अगर हाथों की स्वच्छता का पूरा ख्याल (hathon ki swachata ) रखा जाए तो इस आंकड़े में निश्चित रूप से कमी लाते हुए बच्चों के जीवन को बचाया जा सकता है। शुरूआती दिनों में बच्चे इन्हीं दोनों बीमारियों की चपेट में कई-कई बार आते हैं, क्योंकि वह इधर-उधर चीजों को छूने के बाद ऊँगली मुंह में डाल लेते हैं या तो उन्हीं अनदेखी गंदगी से भरे हाथों से कुछ खा-पी लेते हैं। वही डायरिया का प्रमुख कारण बनता है । लम्बे समय तक डायरिया (diarrhea) की चपेट में रहने से बच्चे कुपोषण की भी जद में आ जाते हैं , जो कि उनके पूरे जीवन चक्र को प्रभावित करता है। इसलिए जरूरी है कि बचपन में ही हाथों की सही सफाई की आदत बच्चों में डालें। इसे उनके व्यवहार में शामिल करने की कोशिश करें । यह ध्यान रहे कि मां बच्चे को छूने व स्तनपान कराने से पहले, खाना बनाने व खाने से पहले, खांसने-छींकने के फ़ौरन बाद, बीमार व्यक्तियों की देखभाल के बाद और शौच के बाद साबुन-पानी से 40 सेकेण्ड तक अच्छी तरह से हाथों को अवश्य धुलें। कोरोना से बचने के लिए बाहर से घर आने पर साबुन-पानी से पहले हाथ व पैर अच्छी तरह धुलें तभी अन्दर प्रवेश करें। इसके अलावा कोई वस्तु या सतह को छूने के बाद भी हाथों को धुलें या सेनेटाइज करें। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.बीएन अग्रवाल का कहना है कि सांस सम्बन्धी कई बीमारियाँ हाथों की सही तरीके से साफ़-सफाई न होने से पैदा होतीं हैं । गले के संक्रमण का भी बहुत बड़ा कारण भी यह बनता है । हाथों को अच्छी तरह से धुलने के बाद लोग कपड़े से पोंछ लेते हैं, जिससे उस सफाई का कोई मतलब नहीं रह जाता है, इसलिए हाथों को धुलने के बाद उसे हवा में ही सुखाएं। अपने को संक्रमण से बचाएं ।

ग्लोबल हैंडवाशिंग डे (फोटो : सोशल मीडिया )

इन स्थितियों में हाथों की स्वच्छता का रखें खास ख्याल (swachata ka khayal)

-खाना बनाने और खाना खाने से पहले।

•-शौच के बाद ।

•-नवजात शिशु को हाथ लगाने से पहले ॥

•-खांसने या छींकने के बाद ।

•-बीमार व्यक्तियों की देखभाल के बाद ।

•-कूड़ा-कचरा निपटान के बाद।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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