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Heart Attack Symptoms: नहाते वक्त बाथरूम में ही ज्यादातर हो रहा हार्ट अटैक, जानिए कारण और बचने के उपाय

Heart Attack Cardiac Arrest Causes : बाथरूम और शौचालय में ह्रदय गति रुकने के कारण सबसे ज्यादा मौत के मामले सामने आते हैं। एक्सपोर्ट्स जानिए बाथरूम में हार्ट अटैक आने के कारण और इससे बचने के उपाय।

Bishwajeet Kumar
Written By Bishwajeet Kumar
Published on: 1 Jun 2022 9:53 AM IST
Heart Attack In Bathroom
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Heart Attack In Bathroom (Image Credit : Social Media)

Heart Attack In Bathroom: आज के दौर में कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest) या हार्ट अटैक (Heart Attack) का खतरा काफी तेजी से बढ़ता जा रहा। आए दिन हमें कहीं ना कहीं से ऐसी खबरें सुनने को मिल ही जाती है कि किसी की कार्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक की वजह से मौत हो गई। हालांकि कई बार हार्ट अटैक आने के बावजूद भी समय से उपचार मिलने पर लोगों की जान बच जाती है, मगर कभी-कभी हालात ऐसे होते हैं जब उपचार मिलने में देरी होती है। हार्ट अटैक से मौत के मामलों में अक्सर यह देखा जाता है कि बाथरूम या शौचालय में हार्ट अटैक आने से (Heart Attack Happen In Bathroom) किसी की मौत हो गई। क्या आपने कभी गौर किया है कि आखिर बाथरूम में ही हार्ट अटैक क्यों आते हैं? और क्यों ऐसे हालात में मरीज की मौत जल्दी हो जाती है? आइए जानते हैं कि आखिर क्यों हार्ट अटैक बाथरूम में आता है? और यह बाथरूम में ज्यादा जानलेवा कैसे साबित हो रहा है।

बाथरूम में हार्ट अटैक से क्यों बढ़ जाता है मौत का खतरा?

बीते कुछ सालों में दुनिया भर में हार्ट अटैक से मौत के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। इनमें ज्यादातर मौत का कारण बाथरूम में हार्ड अटैक आना रहा है। एक अमेरिकी रिसर्च कंपनी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन की हालिया रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक के 10 फ़ीसदी से अधिक मामले बाथरूम में ही होते हैं और ऐसे मामलों में ज्यादातर लोगों की मौत हो जाती है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कार्डियक अरेस्ट अथवा हार्ट अटैक का खतरा बाथरूम या शौचालय में और ज्यादा बढ़ जाता है।

दरअसल कार्डियक अरेस्ट एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें पीड़ित का ह्रदय काम करना बंद कर देता है। जिसके कारण शरीर के सभी महत्वपूर्ण अंगों को सुचारु रुप से ऑक्सीजन सप्लाई नहीं हो पाता है, फल स्वरूप व्यक्ति चंद सेकंड में ही बेहोश हो जाता है। वही हार्ट अटैक के दौरान अजय को ऑक्सीजन आपूर्ति सुचारू रूप से नहीं हो पाती है जिसके कारण रक्त नालियों में थक्का जमने लगता है। इन दोनों ही अवस्था में अगर वक्त रहते उपचार ना मिले तो मरीज की मौके पर मौत हो सकती है और यह खतरा तब बढ़ जाता है जब मरीज बाथरूम या शौचालय में हो क्योंकि ऐसे जगह बहुत ही प्राइवेट होते हैं और मरीज अकेला होता है ऐसे में जब तक उसके उपचार को शुरू किया जाता है तब तक मरीज की मृत्यु हो चुकी होती है।

बाथरूम में क्यों होता है हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट?

शौचालय और बाथरूम में अचानक से हार्ट अटैक होने का खतरा इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि मल अथवा मूत्र त्याग के दौरान व्यक्ति दबाव बनाता है ऐसे में अचानक दबाव के कारण ऑटोमेटिक नर्वस सिस्टम (Automatic Nervous System) और संतुलित हो जाता है रक्तचाप तेजी से घटने लगता है। जिसके कारण मस्तिक से समेत पूरे शरीर में रक्त के प्रभाव पर असर पड़ता है, फल स्वरूप व्यक्ति मूर्छित या बेहोश हो जाता है और अगर समय से इलाज ना हो पाए तो ऐसी स्थिति में पीड़ित व्यक्ति की मौत हो जाती है।

इसके अलावा बाथरूम में हार्ट अटैक आने का खतरा पानी के तापमान के कारण भी बढ़ जाता है। नहाते वक्त अचानक से जब शरीर पर अत्यधिक ठंडा या गर्म पानी पड़ता है तो इससे शरीर के तापमान में तेजी से गिरावट या बढ़त आती है जिसके कारण रक्तचाप असंतुलित हो जाता है। अगर व्यक्ति ज्यादा ठंडे पानी से नहाता है तो उसके शरीर का रक्त मस्तिष्क की ओर तेजी से प्रभावित होने लगता है जिसके कारण रक्त धमनियों और नलियों पर दबाव बढ़ता है। इसके साथ ही गर्म पानी से नहाने पर भी ब्लड प्रेशर पर तेरी से प्रभाव पड़ता है, इन दोनों ही स्थितियों में व्यक्ति का ऑटोमेटिक नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है, जिसके कारण अचानक तबीयत बिगड़ने लगती है। कई मामलों में व्यक्ति को उल्टी भी आने लगती है और घबराहट होती है। जिससे पीड़ित व्यक्ति इधर-उधर भागने का प्रयास करता है, ऐसी स्थिति में बेहोशी का खतरा और बढ़ जाता है। अगर समय से उपचार ना मिले तो मृत्यु का खतरा और बढ़ जाता है।

इन बातों का ध्यान रखकर बच सकते हैं बाथरूम में हार्ट अटैक से

बाथरूम या शौचालय में हार्ट अटैक के खतरे से बचने के लिए सबसे ज्यादा ध्यान मल अथवा मूत्र त्याग के दौरान हमें अपने शारीरिक दबाव पर देना चाहिए। अचानक से ज्यादा जोर लगाकर इन क्रियाओं को करने से बचना चाहिए जिससे नर्वस सिस्टम पर प्रभाव कम पड़े। इसके अलावा नहाते वक्त हमें पानी के तापमान को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कभी भी अधिक गर्म या अत्यधिक ठंडे पानी से नहीं नहाना चाहिए। अगर अधिक ठंडे या अधिक गर्म पानी से नहाना हो तो शरीर के तापमान को अचानक ना बढ़ने दें धीरे-धीरे करके तापमान के संपर्क में आने से हार्ट अटैक के खतरे से बचा जा सकता है।

इसके अलावा अचानक ठंडे या गर्म पानी से नहाने के बाद बाथरूम से बाहर निकलते वक्त भी हमें तापमान का ध्यान रखना चाहिए। साथ ही अगर आप हार्ट के पेशेंट हैं या आप किसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं तो ज्यादातर प्रयास करना चाहिए कि बाथरूम के दरवाजे को अंदर से बंद ना करें। ऐसी स्थिति में अगर आप को दिल का दौरा पड़ता है तो आपको समय रहते उपचार मिलने की संभावना रहती है जिससे आप की जान बच सकती है।



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Bishwajeet Kumar

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