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Heart Failure: एचआईवी मरीजों को हार्ट फेल होने का ज्यादा खतरा, जानें लक्षण और कारण

Heart Failure Causes: भारत में हार्ट फेलियर के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इस बीच एक चिंताजनक स्टडी सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि सामान्य लोगों के मुकाबले एचआईवी मरीजों को हार्ट फेलियर का खतरा ज्यादा होता है।

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Newstrack NetworkPublished By Shreya
Published on: 30 Dec 2021 3:51 PM IST
Heart Failure: एचआईवी मरीजों को हार्ट फेल होने का ज्यादा खतरा, जानें लक्षण और कारण
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हार्ट फेल (सांकेतिक फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Heart Failure Causes: भारत में हार्ट फेलियर (Heart Failure) एक बड़ी समस्या बन कर उभरा है। हार्ट फेल होने के मामले लगातार देश में बढ़ते जा रहे हैं। इस बीच एक चिंताजनक स्टडी सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि सामान्य लोगों के मुकाबले एचआईवी मरीजों (HIV patients) की हृदय गति रुकने यानी हार्ट फेलियर (Heart Failure) का खतरा ज्यादा होता है। यह स्टडी मेयो क्लिनिक प्रोसिडिंग्स (Mayo Clinic Proceedings) में प्रकाशित की गई है। इसमें वैज्ञानिकों ने HIV पीड़ितों के हार्ट फेलियर के खतरे और उम्र लिंग व समुदाय विशेष की वजह से पड़ने वाले अंतर का पता लगाया है।

अमेरिका स्थित कैसर परमानेंट डिवीजन ऑफ रिसर्च में एचआईवी महामारी विशेषज्ञ और इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक माइकल जे सिल्वरबर्ग (Michael J. Silverberg) ने बताया कि इस नई स्टडी में एचआईवी के 38 हजार 868 मरीजों को शामिल किया गया था और अध्ययन एचआईवी (HIV) संक्रमितों के दिल पर पड़ने वाले असर से लेकर हृदय की गति रुकने तक के पहलुओं को शामिल किया गया है।

अध्ययन में देखा गया कि सामान्य लोगों के मुकाबले एचआईवी मरीजों की हृदय गति रुकने का खतरा 68 फीसदी तक ज्यादा था। जबकि यह रिस्क 40 साल से कम उम्र की महिलाओं और एशियाई या प्रशांत द्वीपीय लोगों के लिए और भी ज्यादा था। स्टडी में शामिल शोधकर्ताओं का कहना है कि शुरुआती आंकड़ों में यह निकलकर सामने आया है कि HIV पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के कार्डियक फंक्शन पर ज्यादा असर डालता है। इसकी वजह हार्मोन रेगुलेशन को माना जा रहा है।

(कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

क्या होता है एड्स या एचआईवी (Kya Hota Hai HIV)?

एचआईवी (Human Immunodeficiency Virus- HIV) एक प्रकार के जानलेवा इंफेक्शन से होने वाली गंभीर बीमारी है। इसे एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है। एचआईवी से संक्रमित होने पर जानलेवा इंफेक्शन व्यक्ति के इम्यून सिस्टम पर हमलाकर उसे कमजोर बनाता है, जिसकी वजह से शरीर सामान्य बीमारियों से लड़ने में भी सक्षम नहीं हो पाता। किसी भी मरीज को एचआईवी होने में करीब 2 से 8 साल तक का समय लग सकता है।

यह बेहद पुरानी बीमारी है। एड्स का पहला मरीज (AIDS' First Patient) साल 1981 में सामने आया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 37 मिलियन से ज्यादा लोग HIV के शिकार हो चुके हैं और 1981 में एड्स की खोज के बाद अब तक 30 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

क्या है एड्स होने के कारण (AIDS Hone Ke Karan)?

असुरक्षित यौन संबंध।

रक्त के आदान-प्रदान से।

मां से शिशु में संक्रमण द्वारा।

हृदय गति रुकना (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

हार्ट फेलियर क्या होता है (Kya Hota Hai Heart Failure)?

हार्ट फेलियर तब होता है, जब आपका दिल शरीर के अन्य अंगों तक पर्याप्त मात्रा में रक्त सही तरीके से नहीं पहुंचा पाता। इस स्थिति में हार्ट की पंप करने की गति कम हो जाती है। इसके अलावा हृदय गति रुकने की स्थिति तब भी बन जाती है जब व्यक्ति की मांसपेशियां बहुत अधिक सख्त हो जाएं। ऐसा होने पर शरीर में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है।

हार्ट फेल होने के लक्षण (Heart Failure Ke Lakshan In Hindi)

दिल की धड़कनें अचानक से बढ़ जाना।

पल्स रेट का अनियमित रहना।

सांस फूलने की समस्या होना।

टांगों या टखनों में सूजन की समस्या होना।

बहुत जल्दी थक जाना।

भूख ना लगना।

पेट में सूजन आना।

वजन का अचानक से बढ़ना।

लगातार खांसी आना।

गर्दन की नसों में उभार आना।

हार्ट फेल होने के कारण (Heart Failure Ke Karan)

अगर दिल तक ऑक्सीजन पहुंचाने वाली कोरोनरी धमनियों (Coronary Arteries) में किसी तरह की रुकावट पैदा हो जाए, ऐसे में दिल तक खून की सप्लाई सही तरीके से नहीं हो पाती है और इससे दिल रक्त को ठीक से पंप नहीं कर पाता और दिल की गति रूक जाती है। बता दें कि कोरोनरी धमनियां दिल में ब्लड की सप्लाई करने का काम करती हैं। इसके अलावा किसी अन्य बीमारी की वजह से भी हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ सकता है। ऐसी बीमारी, जिसमें दिल को अपनी क्षमता से ज्यादा काम करना पड़ रहा है तो हार्ट फेलियर की स्थिति बन जाती है। हार्ट फेल होने की अन्य वजहों में फेफड़ों में ब्लड क्लॉट का होना, किसी दवा से रिएक्शन होना, किसी एलर्जी का होना या कई बार किसी वायरस से संक्रमण होने को भी शामिल किया गया है।

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