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शीत लहर न डाले दिल पर कहर: दिल के मरीज़ सर्दियों में ऐसे रखें खास ख्याल

केजीएमयू के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ वीएस नारायण के मुताबिक, खराब गुणवत्ता या धुआं सबसे खराब प्रकार के दिल के दौरे का एक महत्वपूर्ण कारण है, जिससे समय से पहले मौत हो सकती है ।दिल की समस्या वाले लोगों के लिए इन दिनों ज़्यादा जोखिम रहता है।

Shivakant Shukla
Published on: 29 Dec 2018 1:27 PM GMT
शीत लहर न डाले दिल पर कहर: दिल के मरीज़ सर्दियों में ऐसे रखें खास ख्याल
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लखनऊ:डॉक्टरों के मुताबिक सर्दी के महीनों में दिल के दौरे पड़ने के मामले बढ़ जाते हैं, खास तौर पर सुबह के समय क्योंकि उस वक्त ब्लड वेसल्स सिम्पेथेटिक एक्टिविटी के कारण संकुचित होती हैं और अगर वातावरण में धुआं हो तो जोखिम दोगुना हो सकता है। डॉक्टरों के मुताबिक, सर्दियों में हवा की धीमी गति और आद्र्रता के स्तर में बढ़ोत्तरी हो जाती है। इस कारण से धुएं की स्थिति बिगड़ने लगती है, क्योंकि प्रदूषक तत्व हवा में नीचे बने रहते हैं और इधर-उधर फैल नहीं पाते।

सिविल अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ आशुतोष बताते हैं कि सर्दियों के शुरुआती दिनों के दौरान अधिक धुंध और स्मॉग होता है । सर्दियों में बारिश के दौरान तापमान में गिरावट आती है। इस कारण ठंड में दिल का खास ख्याल रखने की ज़रुरत पड़ती है। उन्होंने सर्दियों में दिल के दौरे के कुछ खास कारण बताए...

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सर्दियों में शरीर के तापमान को बरकरार रखने के लिए दिल को दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है। इस वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ता है और यह खून में कई किस्म के बदलाव भी लाता है जिनमें खून का का थक्का जमने का जोखिम भी शामिल है। इसके अलावा, सर्दियों के मौसम में ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाती हैं जिससे ब्लड सर्क्युलेशन संकुचित होने लगता है और यह भी हार्ट अटैक का कारण बनता है। हार्ट में ऑक्सीजन की अधिक मांग होने, शरीर का तापमान असामान्य ढंग से कम होने, छाती में संक्रमण पैदा करने वाले वायु प्रदूषकों के चलते हार्ट अटैक के मामले बढ़ सकते हैं।

केजीएमयू के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ वीएस नारायण के मुताबिक, खराब गुणवत्ता या धुआं सबसे खराब प्रकार के दिल के दौरे का एक महत्वपूर्ण कारण है, जिससे समय से पहले मौत हो सकती है ।दिल की समस्या वाले लोगों के लिए इन दिनों ज़्यादा जोखिम रहता है।

स्मॉग से होने वाले नुकसानों में आंखों में लालिमा, खांसी या गले में जलन, सांस लेने में कठिनाई प्रमुख है। स्मॉग से तीव्र अस्थमा के दौरे पड़ सकते हैं, साथ ही यह दिल के दौरे, स्ट्रोक, को भी बढ़ा सकता है। बच्चे, वृद्ध, मधुमेह, हृदय और फेफड़ों की बीमारियों वाले रोगी विशेष रूप से स्मॉग के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं और इसलिए खुद को बचाने के लिए इन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

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सिविल अस्पताल के हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ आशुतोष ने सुझाव देते हुए कहा, "अस्थमा और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस वाले मरीजों को स्मॉग वाले दिनों में दवा की खुराक में बढ़ोत्तरी कर लेनी चाहिए, स्मॉग की स्थिति में जॉगिंग, रनिंग जैसी गतिविधियों से बचें, स्मॉग के दौरान पैदल चलने से बचें, जितना संभव हो बाहर जाने से बचें, स्मॉग के घंटों के दौरान धीरे-धीरे ड्राइव करें, दिल के रोगियों को स्मॉग के दौरान सुबह के टहलना बंद कर देना चाहिए, फ्लू और निमोनिया के टीके लगवा लें।"

कुछ नियमों का पालन करने से हार्ट अटैक से बचा जा सकता है-

- सुबह ठंड में सैर करने से बचें, क्योंकि ऐसा करने से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है जो हार्ट पर दबाव बढ़ाता है।

- सैर का समय बदलने से आपको न सिर्फ पर्याप्त धूप मिलेगी जो कि विटामिन डी का स्रोत होती है, बल्कि शरीर को गर्मी भी मिलेगी ।

- घर से बाहर जाते समय शरीर को गर्म कपड़ों से अच्छी तरह से ढककर रखे।

- अपने व्यायाम का अनुशासन बनाए रखें और सर्दियों में आलस न करें।

- हल्के शारीरिक व्यायाम को जारी रखें, लेकिन साथ ही अपना ब्लड प्रेशर भी जांचते रहें।

- खाना और दवाएं समय से लेते रहें ताकि मौसम की मांग के मुताबिक शरीर ढलता रहे।

- इसी तरह, वायु प्रदूषण और अन्य कारणों की वजह से होने वाले संक्रमण से बचने का हर संभव प्रयास करें।

- अगर संक्रमण हो भी जाए तो तुरंत डॉक्टरी परामर्श लें, जिससे मरीज को आराम मिल सकें।

- दिल के रोगियों को तला भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसे पचाने के लिए शरीर को ज़्यादा काम करना पड़ता है।

- ऐसा भोजन करें, जो दिल के लिए सेहतमंद हो और आपकी सेहत बेहतर बनाने में मददगार हो।

अगर दिल के रोगी इन सभी बातों का ध्यान रखें तो वह सर्दी में हार्ट अटैक से बच सकते हैं।

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Shivakant Shukla

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