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Heat Wave Today: मेंटल हेल्थ पर असर डाल रही हीट वेव, जाने इसकी वजह

Mental Health: एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब आप बार-बार किसी ऐसी चीज़ के संपर्क में आ रहे हैं, जो आपके अनुकूल नहीं है, तो यह आपके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है। य

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalBy Monika
Published on: 11 Jun 2022 8:39 AM IST (Updated on: 11 Jun 2022 8:39 AM IST)
Heat wave affecting mental health
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मेंटल हेल्थ पर असर डाल रही हीट वेव (photo: social media )

Heat wave se Nuksan: हीटवेव (Heatwave)हमें शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी प्रभावित करती है। लोग अत्यधिक गर्मी के दौरान बदतर मूड का अनुभव करते हैं। इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की छठी आकलन रिपोर्ट में कहा गया है कि - जलवायु परिवर्तन से संबंधित गर्मी के चरम में वृद्धि वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health )के लिए विविध जोखिम पैदा करती है,जिसमें आत्महत्या (Suicide) में वृद्धि तक शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा जोखिम में बच्चे, किशोर और पहले से मानसिक बीमारी से ग्रसित लोग होते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब आप बार-बार किसी ऐसी चीज़ के संपर्क में आ रहे हैं, जो आपके अनुकूल नहीं है, तो यह आपके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है। यह आपको मानसिक बीमारी होने की ओर अधिक संवेदनशील बनाने वाला होता है।

लोगों को चिड़चिड़ा और क्रोधित करने वाली हीट वेव के बीच एक संबंध भी है। हीट वेव को सामाजिक अस्थिरता से भी जोड़ा जा सकता है। 2013 के एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि बढ़ते तापमान के कारण लोगों के बीच हिंसा में वृद्धि हुई है। जिस तरह से हर गुजरते साल के साथ तापमान अधिक से अधिक बढ़ रहा है, उसके मद्देनजर ये निष्कर्ष चिंता की बात है। इस स्टडी के लेखकों के अनुसार आने वाले दशकों के लिए अनुमानित वर्षा और तापमान व्यवस्था में बड़े संभावित परिवर्तनों को देखते हुए निम्न और उच्च आय वाले दोनों देशों में मानव संघर्ष की बढ़ी हुई दरें मानवजनित जलवायु परिवर्तन के एक बड़े और महत्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव का प्रतिनिधित्व कर सकती हैं।

बढ़ती गर्मी के बीच आत्महत्या की दर में वृद्धि

यही नहीं, मनोवैज्ञानिक एक्सपर्ट्स का तो ये भी कहना है कि बढ़ती गर्मी के बीच आत्महत्या की दर में वृद्धि हुई है। नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित 2018 के एक अध्ययन के आंकड़ों में भी, बढ़ते तापमान और आत्महत्या की बढ़ी हुई दरों के बीच एक कड़ी मिली। यहां तक कि यह सुझाव भी दिया जा रहा है कि आत्महत्या पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव स्वयं पर आर्थिक मंदी के प्रभाव के बराबर हो सकता है।

इस अध्ययन ने ट्विटर पर 60 करोड़ से अधिक संदेशों का और अधिक विश्लेषण किया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि तापमान में वृद्धि ने डिप्रेशन की दर को कितना बढ़ा दिया है। अध्ययन में ट्विटर पोस्ट में "अकेला," "उदास," "अकेला," और "फंस" जैसे अवसाद भरे शब्दों को ध्यान में रखा गया।

मानसिक स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बावजूद, पिछले दशक में जलवायु परिवर्तन पर 50,000 से अधिक चिकित्सा शोध पत्रों में से 1 फीसदी से भी कम ने मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित प्रभावों का पता लगाया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि हाशिए पर रहने वाले समुदाय, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के मामले में भी जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले हैं। यह अंततः असमानता को बढ़ाने।के लिए काम कर सकता है। जलवायु परिवर्तन भी चिंता, अवसाद और आत्महत्या के बढ़ते जोखिम का हिस्सा है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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