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Hypertension in pregnancy: गर्भावस्था में हाइपरटेंशन क्यों है माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक ?
Hypertension in pregnancy: गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
Hypertension in pregnancy: आजकल की लाइफस्टाइल में हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बहुत ही तेज़ी से बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। आमतौर पर यह समस्या होने का मुख्य कारण ख़राब लाइफस्टाइल, अनियमित खान -पान और अत्यधिक तनाव को ही माना जाता है। आज यह समस्या हर आयु वर्ग के लोगों को चपेटे में ले रही है। ख़ास कर युवा वर्ग के लोग इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव झेल रहे हैं। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान भी महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर की समस्याओं को देखा जाता है।
बता दें कि प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। कई बार तो जानकारी के आभाव में यह मां और शिशु दोनों की मृत्यु का कारण भी बन जाता है।
क्यों होता है गर्भावस्था के दौरान हाइपरटेंशन?
गर्भावस्था एक महिला के लिए बेहद ही नाज़ुक दौर होता है। एक नन्ही सी जान उसके पेट में पल रही होती है। ऐसे में शारीरिक बदलाव ना सिर्फ बाहरी बल्कि अंदरि रूप से भी हो रहा होता है। गर्भावस्था के दौरान हाइपरटेंशन होना गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर बढ़ जाने का संकेत देता है। आमतौर पर, गर्भावस्था के लगभग पांच महीने बाद ही हाइपरटेंशन की दिक्कत शुरू होती है। बता दें कि यह समस्या ना सिर्फ गर्भवती महिला बल्कि उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी प्रभावित करने वाली बीमारी होती है। आंकड़ों की मानें तो भारत में, कुल गर्भवती महिलाओं में से लगभग 6 से 8 प्रतिशत को हाइपरटेंशन की समस्या होती है। हालाँकि जब गर्भवती महिला के ब्लड प्रेशर की रीडिंग 140/90 मिमी एचजी से ज़्यादा हो , तब गर्भावस्था दौरान होने वाले हाइपरटेंशन का निदान संभव है।
गर्भावस्था के दौरान हाइपरटेंशन कितना ख़तरनाक?
गर्भावस्था का समय महिलाओं के लिए काफी चुनौती से भरा होता है। अगर उसमें हाइपरटेंशन की समस्या और हो जाए तो उस महिला को कई खतरनाक प्रभावों का भी सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि प्रीक्लेम्पसिया, एक्लम्पसिया (ऐंठन) और गंभीर मामलों में पीआरईएस सिंड्रोम, प्रसवपूर्व रक्तस्राव, प्रसवोत्तर रक्तस्राव, इंट्राक्रैनील रक्तस्राव, इंट्राहेपेटिक रक्तस्राव, एडिमा, जलोदर, हेलप सिंड्रोम, एन्ड ऑर्गन डैमेज की वजह से लिवर, किडनी फेलियर, कोग्युलेशन डिसऑर्डर, क्रोनिक हाइपरटेंशन आदि जैसी खतरनाक समस्याएं गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर बढ़ने के कारण हो सकते हैं ।
गौरतलब है कि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के मूत्र में प्रोटीन की अत्यधिक मात्रा होने के कारण प्रीक्लेम्पसिया की स्थिति हो जाती है। बता दें कि प्रिक्लेम्पसिया एक्लेम्पसिया का शुरूआती चरण है जिसमें गर्भवती महिला को दौरे भी पड़ने लगते हैं। हालाँकि कई मामलों में, गर्भावस्था के आखरी दिन करीब आने पर एक्लेम्पसिया का असर देखा गया है। जो गर्भवती महिला के साथ उसके पेट में पल रहे बच्चे के लिए बेहद खतरनाक होता है।
उल्लेखनीय है कि गर्भावस्था के समय हाइपरटेंशन होने से गर्भ में पल रहे शिशु का विकास बेहद धीरे-धीरे होने के कारण शिशु के सही विकास में अवरोध का कारण बन जाता हैं। बता दें कि स्टिल बर्थ, गर्भपात, ऑपरेटिव इंटरफेरेंस बढ़ना, समय से पहले जन्म हो जाना जैसे समस्याएं गर्भावस्था के समय हाइपरटेंशन होने के कारण हो सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान हाइपरटेंशन होने का कारण ?
गर्भावस्था के दौरान कुछ स्थितियां होती हैं जो गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर के जोखिम को काफी बढ़ा सकती हैं। जिनमें गर्भावस्था से पहले से मौजूद हाई ब्लड प्रेशर, शरीर में ग्लूकोज़ का स्तर बढ़ जाना और किडनी, मूत्रपिंड का स्वास्थ्य ठीक न होना जैसी परिस्थितियां हो सकती हैं। इसके अलावा, प्लेसेंटा यानी नाल का वस्क्युलराइज़ेशन का ठीक न होना यानि नाल का ठीक से विकास ना होना भी गर्भावस्था के दौरान हाइपरटेंशन होने का मुख्य कारण बन सकता है।
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के साथ उसके अजन्मे बच्चे और उस परिवार के लिए भी बेहद ख़ास पल होता होता है। ऐसे में सतर्कता के साथ आने वाली परेशानी को दूर करना ही समझदारी होती है। इस दौरान की गयी थोड़ी सी भी लापरवाही खतरनाक रूप ले सकती हैं।