TRENDING TAGS :
हार्ट अटैक के लिए अगर 90 मिनट के अंदर इलाज मिले तो कुछ मुश्किल नहीं
40 वर्षीय विवेक को दिल का दौरा (हार्ट अटैक) पड़ा, घरवाले उसे तुरंत अस्पताल लेकर पहुंच गये। जहां तत्काल हार्ट स्पेशियलिस्ट ने विवेक की जांच कर उसे टेम्प्रेरी पेसमेकर लगा कर धड़कनों को बढ़ाया गया जिससे विवेक की जान बच गयी।
लखनऊ: 40 वर्षीय विवेक को दिल का दौरा (हार्ट अटैक) पड़ा, घरवाले उसे तुरंत अस्पताल लेकर पहुंच गये। जहां तत्काल हार्ट स्पेशियलिस्ट ने विवेक की जांच कर उसे टेम्प्रेरी पेसमेकर लगा कर धड़कनों को बढ़ाया गया जिससे विवेक की जान बच गयी।
यह भी पढ़ें: रामविलास पासवान के बेटे छोटे पासवान भी हो गए मौसम वैज्ञानिक
इसके बाद एंजियोग्राफी कर दिल की धमनियों की ब्लॉकेज का पता लगाकर एंजियोप्लास्टी करके धमनी को खोलकर ब्लड सप्लाई शुरू कर दिया गया। आलमबाग स्थित अजंता अस्पताल एंड हार्ट केयर में हुए विवेक के उपचार में उसका वक़्त पर अस्पताल पहुंचना और डॉक्टरों द्वारा सही समय पर उसका इलाज करना सबसे अहम बात थी।
यह भी पढ़ें: लदने वाले हैं पासपोर्ट के दिन, अब आएगा चिप वाला ई-पासपोर्ट
ऑपरेशन करने वाले डॉ अभिषेक शुक्ला ने बताया कि विवेक को जब लाया गया था तो हमने जांच में पाया कि उनकी दिल की धड़कन का रेट 20 प्रति मिनट तथा ब्लड प्रेशर भी काफी कम था यानी उन्हें गंभीर हार्ट अटैक पड़ा था।
यह भी पढ़ें: बुलंदशहर हिंसा: 25 दिन बाद पकड़ा गया इंस्पेक्टर सुबोध का हत्यारा प्रशांत नट, कबूला जुर्म
उन्होंने बताया कि इसके बाद घरवालों की सहमति लेकर उन्हें तुरंत ही कैथ लैब में शिफ्ट करके उन्हें टेम्परेरी पेसमेकर लगाकर आगे का उपचार करने लायक बनाया। डॉ अभिषेक ने बताया कि पिछले छह माह में विवेक जैसे 30 गंभीर केस हमारे अस्पताल में आये, जिनका हम लोगों ने उचित उपचार करते हुए उनकी जान बचाने में सफलता हासिल की।
उन्होंने बताया कि दिल के मरीज़ के इलाज के लिए समय सबसे अहम चीज़ है। मरीज को जब दिल का दौरा पड़ता है, उसके बाद अगर इलाज न मिले तो आमतौर पर जीवन और मृत्यु के बीच का फासला 90 मिनट का रहता है, लेकिन अगर इन 90 मिनट के अंदर मरीज विशेषज्ञ के पास पहुंच गया और उसे उचित इलाज मिल गया तो एक बार फिर से जिंदगी की गाड़ी पटरी पर दौड़ने लगती है।
इसे गोल्डन पीरियड आवर भी कहते हैं। विवेक के केस में भी यही हुआ। इसीलिए इस डेढ़ घंटे की अवधि को ‘गोल्डन पीरियड’ का नाम दिया गया है। डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन की डिग्री रखने वाले डॉ अभिषेक बताते हैं कि विवेक के केस में उनके घरवालों की भी तारीफ करनी होगी कि समय रहते उन्होंने विवेक को अस्पताल पहुंचाकर घर का चिराग बुझने से बचा लिया।
डॉ अभिषेक शुक्ला ने बताया कि अजंता हॉस्पिटल एंड हार्ट केयर में पिछली जून माह में कैथ लैब स्टार्ट की गयी थी, उसके बाद से उन्होंने 150 से ज्यादा दिल के मरीजों का एंजियोप्लास्टी, पेसमेकर आदि से इलाज किया है। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मरीज के अस्पताल पहुंचने के बाद 60 मिनट में एंजियोप्लास्टी हो जानी चाहिये लेकिन मैं अपनी टीम की प्रशंसा करना चाहूंगा कि हम लोगों ने कई मरीजों की एंजियोप्लास्टी 15 से 30 मिनट के अंदर ही कर दी जिसके अच्छे परिणाम देखने को मिले।
सरकारी अस्पताल के बराबर खर्च में मिल रहा अत्याधुनिक सुविधायुक्त इलाज
उन्होंने बताया कि उनका व वरिष्ठ सर्जन डॉ अनिल खन्ना का अस्पताल में हार्ट केयर की नींव रखने का उद्देश्य ही यही है कि चूंकि सरकारी अस्पतालों में मरीजों की वेटिंग इतनी ज्यादा हो रही है कि समय पर इलाज मिलने से लोग वंचित हो रहे हैं इसलिए क्यों न सरकारी अस्पताल जैसे खर्च में ही अजंता अस्पताल में हार्ट के मरीजों को उपचार दिया जाये।
उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि 24 घंटे उपचार की सुविधा के साथ हम अपने इस उद्देश्य को लेकर लगातार आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि सफल उपचार के बाद जब मरीज और उनके परिजनों के चेहरे पर जो खुशी हमें दिखती है और वह खुशी जो हमें संतोष देती है, उससे हमारा काम करने का जज्बा और बढ़ता है।
उन्होंने बताया कि अजन्ता हार्ट केयर में 16 बेड का आईसीयू, अत्यानुधिक कैथ लैब, आईएबीपी मशीन, पेसमेकर 2डी इको मशीन की सुविधा मौजूद है। उन्होंने बताया कि वह 90 प्रतिशत एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी का प्रोसेस हाथ की नस से ही करते हैं। एंजियोग्राफी वाले मरीजों को उसी दिन घर भेज दिया जाता है।