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Intermittent Fasting: जानें क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग, अल्जाइमर से करती है बचाव

Intermittent Fasting : इस पर एक टीम ने रिसर्च किया और OXR नाम के जीन की पहचान की जोकिि सीमित और समिति आहार की मदद से लाइफ़स्पन बढ़ाने और दिमाग को नेचुरल रूप से इंगेज करने पर प्रभाव डालता है।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 1 Feb 2024 2:00 PM IST (Updated on: 1 Feb 2024 2:00 PM IST)
Intermittent Fasting
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Intermittent Fasting (Photos - Social Media)

Intermittent Fasting : हिंदू धर्म में व्रत को अक्षर धार्मिक आस्था के साथ जोड़कर देखा जाता है इससे स्वास्थ्य को भी बहुत सारे लाभ मिलते हैं बता दे कि उपवास के दौरान हमें सीमित समय में खाना खाना होता है जिस कारण इसके कई लाभ होते हैं इसके बारे में बहुत से लोगों को पता नहीं होता लेकिन शोधकर्ता टीम द्वारा इस पर अध्ययन करने के बाद पाया गया की इंटरमीडिएट फास्टिंग यानी सभी राम उपवास से बहुत सारे फायदे होते हैं यह जीवन काल को बढ़ाने में भी मददगार होते हैं आई आपको बताते हैं कि यह किस तरह से बॉडी के लिए लाभदायक होता है। एक अध्ययन में यह पाया गया कि डाइटरी पैटर्न और लिमिटेड कैलोरी खाने को अपनी डाइटिंग हैबिट में शामिल करने से स्वास्थ्य के लिहाज से काफी फायदेमंद होता है। इस पर एक टीम ने रिसर्च किया और OXR नाम के जीन की पहचान की जोकिि सीमित और समिति आहार की मदद से लाइफ़स्पन बढ़ाने और दिमाग को नेचुरल रूप से इंगेज करने पर प्रभाव डालता है।

Intermittent Fasting


ओएक्सआर1 जीन

न्यूरोलॉजिकल डिजीज और एजिंग से बचाने वाला महत्वपूर्ण फैक्टर है जिसका सिद्धांत एक साथ जुड़ा है। यह सीमित और संयमित आहार का प्रभाव - एजिंग की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है और न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज की रफ्तार को कम कर सकता है। फ्रूट फ्लाई और ह्युमन सेल्स पर आधारित अध्ययन में एजिंग और न्यूरोडिजेनेरेटिव डिजीज के संबंधित चिकित्सीय लक्षणों की पहचान की गई है। इस स्टडी के परिणाम से हमें ओएक्सआर1 जीन के महत्व को समझने में मदद मिल सकती है। खासकर न्यूरोलॉजिकल डिजीज और एजिंग के साथ जुड़े चिकित्सीय संभावनाओं को समझने में मदद मिलती।

Intermittent Fasting


ऐसे किया शोध

अलग-अलग जेनेटिक बैकग्राउंड वाली लगभग 200 मक्खियों की प्रजाति को स्कैन किया गया।

मक्खियों को दो तरह की डाइट में पाला गया - सामान्य डाइट और रिस्ट्रिक्टेड डाइट (केवल 10% पोषण)।

ओएक्सआर1 जीन के लॉस के कारण इंसानों में न्यूरोडिजेनेरेटिव डिजीज और समय से पहले मृत्यु का खतरा हो सकता है।

चूहों में ओक्सआर1 जीन का बढ़ना, एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (एएलएस) के मॉडल में जीवित रहने में सुधार कर सकता है।

इंसानों में ओएक्सआर1 जीन का लॉस न्यूरोडिजेनेरेटिव डिजीज और प्रीमेच्योर डेथ से जुड़ा हो सकता है, जबकि चूहों में इसका बढ़ना एएलएस के मॉडल में सुधार कर सकता है।

यह अनुसंधान ओएक्सआर1 जीन के महत्व को सुझाव देता है और चिकित्सीय दृष्टि से न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए नए दृष्टिकोण को खोल सकता है।

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Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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