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Kala Jeera Ke Fayde: वेट लॉस के लिए कारगर उपाय के साथ महत्वपूर्ण औषधि है काला जीरा, कई खास विधियों से होता है इस्तेमाल
Kala Jeera Ke Fayde aur Nuksan Kya Hai: भारतीय रसोई में शामिल रहने वाला बेहद खास मसाला है काला जीरा(Black Cumin)। आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार, काला जीरा को कृष्ण जीरक भी कहा जाता है।
Kala Jeera Ke Fayde: भारतीय मसालों में से एक सेहत के लिए बेहद फायदेमंद मसाला है काला जीरा । वहीं काले जीरे को शाही जीरा भी कहते हैं। यह कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों ने भरपूर होता है। साथ ही सेहत के लिए कई रूपों में फायदेमंद है।
सामान्य जीरा के फायदे तो आमतौर पर सभी जानते हैं, पर काले जीरे के बारे में बहुत कम ही लोगों को पता होता है। जबकि काला जीरा बेहद ही उपयोगी मसाला है, जो बहुत सारी शारीरिक परिस्थितियों और समस्याओं में लाभकारी होता है। खासकर यह वजन कम करने में सहायक होता है। हम आपको काले जीरे की कुछ ऐसी प्रयोग विधियों के बारे में बता रहे हैं, जिसके जरिए तेजी से वजन कम किया जा सकता है। काला जीरा हमारे शरीर में इम्यूनिटी बढ़ाने में बोन मैरो, नेचुरल इंटरफेरॉन और रोग-प्रतिरोधक सेल्स की मदद करता है। यह थकान और कमजोरी दूर करता है, शरीर में ऊर्जा का संचार करता है और उसे मजबूत बनाता है। अपने एंटीमाइक्रोबियल गुणों के कारण काला जीरा पेट संबंधी कई समस्याओं में लाभकारी है।
काले जीरे में पाए जाते हैं ये औषधीय गुण
इसका इस्तेमाल खड़े मसाले के तौर पर किया जाता है। लेकिन देखा जाए तो काला जीरा अपने आप में एक औषधि है, जिसमें कार्मिनेटिव, एंटीस्पैज्मोडिक और एंटी माइक्रोबॉयल जैसे गुण पाए जाते हैं। ऐसे में इस्तेमाल पाचन और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही दर्द नाशक के तौर पर भी किया जाता है।
काले जीरे में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी होता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करता है और कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करता है।
काले जीरे के सेवन से वज़न कम होता है। यह शरीर से अनावश्यक फैट को बाहर निकालने में मदद करता है।
काले जीरे के एंटीमाइक्रोबियल गुणों की वजह से यह पेट से जुड़ी कई समस्याओं में फ़ायदेमंद होता है। काले जीरे के तेल को सिर और माथे पर लगाने से माइग्रेन जैसा दर्द कम होता है। काले जीरे के पाउडर का लेप लगाने से घाव, फोड़े-फुंसियां भर जाती हैं। काले जीरे के बीजों का इस्तेमाल आंतों के कीड़ों के इलाज के लिए किया जाता है।
काले जीरे के बीज और तेल का इस्तेमाल शरीर में सूजन को कम करने के लिए किया जाता है।
काले जीरे का इस्तेमाल अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के लक्षणों को कम करने और रुमेटीइड गठिया के इलाज के लिए किया जाता है। काले जीरे के बीजों में रोगाणुरोधी, एंटीपैरासिटिक, और एंटीफ़ंगल गुण होते हैं।
काला जीरा का सेवन कैसे करें? (How to consume black cumin)
काले जीरे में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते है जिसके कारण ये पेट संबंधी कई समस्याओं में लाभकारी है, जैसे पाचन संबंधी गड़बड़ी, गैस्ट्रिक, पेट फूलना, पेट-दर्द, दस्त, पेट में कीड़े होना आदि समस्याओं में यह राहत देता है। धीरे-धीरे पचने वाला खाना खाने के बाद थोड़ा-सा काला जीरा खाने से तत्काल लाभ होता है।
काले जीरे का क्या उपयोग है? (What is the use of black cumin)
दवाओं के साथ काले जीरे का सेवन करने से घरघराहट, खांसी और अन्य श्वास संबंधी समस्याओं में सुधार हो सकता है। काले जीरे में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी होता है। इसमें मौजूद विशेष यौगिक शारीरिक आंतरिक सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यह प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव को मजबूत करता है, जिससे कैंसर के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।
आयुर्वेद के अनुसार, जीरा गर्म होता है और इसलिए इसका ज़्यादा सेवन नहीं करना चाहिए, खासकर गर्मियों में। नहीं तो इससे आपका पीरियड हैवी आ सकता है। इसके अलावा, यह ब्लड क्लॉट का कारण भी बन सकता है।
काला जीरा और कलौंजी के बीच क्या अंतर होता है?
काला जीरा, निगेला या इसके वैज्ञानिक नाम निगेला सातिवा के नाम से भी जाना जाता है जबकि कलौंजी रैननकुलेसी परिवार का सदस्य है, जिसमें बटरकप और डेल्फीनियम जैसे फूल भी शामिल हैं।
कलौंजी फूलदार पौधों के बटरकप परिवार से संबंधित है । ब्लैक क्यूमिन का पेड़ 12 इंच (30 सेमी) तक बढ़ता है और बीज के साथ एक फल पैदा करता है जिसका उपयोग कई व्यंजनों में एक स्वादिष्ट मसाले के रूप में किया जाता है।
जीरे की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएँ
आर जेड-19 : जीरे की यह किस्म 120-125 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इससे 9-11⁶ क्विंटल तक प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त होता है। इस किस्म में उखटा, छाछिया व झुलसा रोग कम लगता है। आर जेड- 209 : यह भी किस्म 120-125 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
जीरा के लिए कौन सा शहर और राज्य प्रसिद्ध है?
जीरा की खेती वाले क्षेत्र के तौर पर गुजरात में स्थित उंझा, इसकी फसल की कीमतें निर्धारित करने वाले प्राथमिक बाज़ार के रूप में उभर कर सामने आया है। गुजरात, देश में प्रमुख जीरा उत्पादक राज्य है।
भारत में जीरे का सबसे अधिक उत्पादन गुजरात में ही होता है। जीरे के दामों में बढ़ोतरी की दो वजहें हैं। पहला ये कि इस साल जीरे का स्टॉक बेहद कम है और दूसरा भारत के बाद जीरे के प्रमुख उत्पादक देशों सीरिया और तुर्की से इसके निर्यात में गिरावट आई है।
काला जीरा और शहद के फ़ायदे (Benefits of black cumin and honey)
- काला जीरा और शहद का सेवन करने से खांसी और अस्थमा से राहत मिलती है।
- जीरा और शहद का सेवन करने से अपच और एसिडिटी की समस्या कम होती है।
- काला जीरा और शहद का सेवन करने से इम्यूनिटी बढ़ती है।
- काला जीरा और शहद का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।
- काला जीरा और शहद का सेवन करने से वज़न कम होता है।
- काला जीरा और शहद का सेवन करने से मेमोरी बूस्ट होती है।
- काला जीरा और शहद का सेवन करने से बाल और त्वचा स्वस्थ रहती है।
जीरा कब नहीं खाना चाहिए?
आयुर्वेद के अनुसार, जीरा गर्म होता है और इसलिए इसका ज़्यादा सेवन नहीं करना चाहिए, खासकर गर्मियों में। नहीं तो इससे आपका पीरियड हैवी आ सकता है। इसके अलावा, यह ब्लड क्लॉट का कारण भी बन सकता है।
जीरे की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएं
आर जेड-19 : जीरे की यह किस्म 120-125 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इससे 9-11 क्विंटल तक प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त होता है। इस किस्म में उखटा, छाछिया व झुलसा रोग कम लगता है। आर जेड- 209 : यह भी किस्म 120-125 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
जीरा कितने प्रकार का होता है?
जीरा कई तरह का होता है, लेकिन इसके दो मुख्य भेद माने जाते हैंः सफ़ेद जीरा, काला जीरा। इसके अलावा, जीरे के कुछ और प्रकार भी होते हैंः शाह जीरा, अरण्य (जंगली) जीरा, हरा जीरा। सफ़ेद जीरा का इस्तेमाल मसाले के रूप में किया जाता है।
जबकि शाह जीरे का इस्तेमाल दवा के रूप में किया जाता है।
शाह जीरे को अंग्रेज़ी में गाजर के बीज भी कहा जाता है।
काला जीरा अधिक महीन और सुगंधित होता है। काला जीरा काश्मीर, लद्दाख, बलूचिस्तान, गढ़वाल, और कुमाऊं से आता है।
काले जीरे की तासीर क्या होती है?
काला जीरा ऐसा मसाला है जो हल्की-सी कड़वाहट लिए होता है। गर्म तासीर होने के कारण सर्दियों में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। ज्यादातर गर्म मसाले के तौर पर खाने में इसका रेगुलर सेवन किया जाता है।
गमले में कैसे उगाएं काले जीरे का पौधा
घर पर गमले में काले जीरे का पौधा लगाने के लिए सबसे पहले मिट्टी, कोकोपीट, रेत और ऑर्गेनिक कम्पोस्ट को मिक्स करके गमले में भर दें।
उसके बाद जीरे के अच्छे किस्म के पानी में भीगे हुए बीजों को आधा इंच की गहराई से मिट्टी में बोएं। बीजों के बीच 2 इंच की दूरी रखें. जीरे के बीज 7 से 10 दिनों में अंकुरित होने लगेंगे।
काला जीरा का पौधा कैसा दिखता है?
काले जीरे के पौधे कठोर होते हैं जो 20 से 60 सेमी (8 से 24 इंच) की ऊंचाई तक बढ़ते हैं। शाखाओं वाले तने पर गहराई से विभाजित बारीक पत्तियाँ होती हैं, और पौधे में एक विकसित मूल जड़ होती है। हल्के नीले या सफेद फूलों में पाँच पंखुड़ियाँ, कई पुंकेसर और पाँच या छह लम्बी जुड़ी हुई कार्पेल होती हैं।कार्पेल के अंदर दूसरे फूल से आने वाला पराग कण, अंडे को निषेचित करता है, जिससे बीज बनता है।
त्वचा और बालों की खूबसूरती बढ़ाने में मददगार साबित होता है काला जीरा-
- काले जीरे के तेल में एंटी-ऑक्सीडेंट, विटामिन ए, बी, और सी होता है। यह त्वचा की नमी बनाए रखता है और स्किन इलास्टिसिटी बढ़ाता है।
- काले जीरे के तेल में मौजूद फैटी एसिड, त्वचा की कोशिकाओं को फिर से बनाने में मदद करते हैं। इससे काले धब्बे और उम्र के धब्बे कम होते हैं।
- काले जीरे के तेल में एंटी-इंफ़्लेमेटरी गुण होते हैं, जिससे दाने, सूजन, और लालिमा से राहत मिलती है।
- काले जीरे और नारियल तेल में एंटी-फ़ंगल और पौष्टिक गुण होते हैं, जो बालों को बढ़ने में मदद करते हैं।
- काले जीरे में मौजूद प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट बालों की ग्रोथ के लिए फ़ायदेमंद होते हैं।
- बालों को धोने के बाद, काले जीरे वाला तेल बालों की जड़ों में लगाने से बाल बढ़ते हैं और टूटना कम होता है।
(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं।)