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Warm Vaccine: जानिए, दूसरे वैक्सीन से किस तरह अलग है 'वार्म वैक्सीन', कैसे करती है असर?

कोरोना महामारी (corona pandemic) से लोगों को बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक अलग तरह की वैक्सीन तैयार की है। बेंगलुरु के प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) के स्टार्ट-अप ने वार्म वैक्सीन (Warm Vaccine) विकसित किया है।

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Newstrack NetworkPublished By Satyabha
Published on: 17 July 2021 5:27 PM IST
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वार्म वैक्सीन फोटो- सोशल मीडिया

Covid 19: कोरोना महामारी (corona pandemic) से लोगों को बचाने के लिए विशेषज्ञों ने एक अलग तरह की वैक्सीन तैयार की है। बेंगलुरु (Bangalore) के प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) के स्टार्ट-अप ने वार्म वैक्सीन (Warm Vaccine) विकसित किया है। इस वैक्सीन का परीक्षण चूहों और हैमस्टर्स पर किया गया है। यह वैक्सीन परीक्षण में कोरोना के सभी प्रमुख वैरिएंट के खिलाफ कारगर पाया गया है। अब जल्द ही इसका परीक्षण इंसानों पर किया जाएगा है।

वैक्सीनेशन के मामले में वार्म वैक्सीन अब तक की सभी वैक्सीन से ज्यादा असरदार साबित हो सकती है। सीएसआइआरओ के स्वास्थ्य एवं जैव सुरक्षा निदेशक राब ग्रेनफेल के मुताबिक, गर्म वैक्सीन गर्म मौसम वाले क्षेत्रों में टीकाकरण के लिए बहुत ही अहम है। आस्ट्रेलिया के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए भी यह वैक्सीन महत्वपूर्ण साबित होगी। इसके अलावा वार्म वैक्सीन या गर्म वैक्सीन ऐसी जगहों पर भी रखने में काम आएगी जहां रेफ्रिजरेटर और अन्य संसाधनों की सुविधा मौजूद नहीं है।

इसे कहीं भी लाना ले जाना आसान

खास बात तो यह है कि इस वैक्सीन को कहीं भी लाना ले जाना आसान है। क्योंकि ज्यादातर वैक्सीन को प्रभावी बनाए रखने के लिए रेफ्रिजरेटर में रखने की आवश्यकता होती है। आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड के लिए 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान और फाइजर की वैक्सीन के लिए माइनस 70 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले रेफ्रिजरेटर की जरूरत होती है, लेकिन वार्म वैक्सीन 37 डिग्री सेल्सियस तापमान पर एक महीने तक सुरक्षित रहेगी। यह 100 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी डेढ़ घंटे तक खराब नहीं होगी। इसी खासियत के चलते इसे वार्म वैक्सीन या गर्म वैक्सीन नाम दिया गया है।

इन वैरिएंट को रोकने में सक्षम

अध्ययन में यह भी पाया गया कि वार्म वैक्सीन से पैदा होने वाली एंटीबाडी सार्स-कोव-2 के अल्फा, बीटा, गामा वैरिएंट को रोकने में भी सक्षम है। फिलहाल IISC इस वैक्सीन का इंसानों पर परीक्षण करने की तैयारियों में जुटा हुआ है।



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