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Lack of Sleep: चिंताजनक! 50 फीसदी से ज्यादा लोग ढंग से सो नहीं पाते
Lack of Sleep: सर्वेक्षण में सबसे चिंताजनक बात यह निकल कर आई कि नींद की गड़बड़ी न केवल बुजुर्गों में प्रचलित है, बल्कि बच्चों सहित युवा व्यक्तियों को भी तेजी से प्रभावित कर रही है।
Lack of Sleep: क्या आप को मज़े की नींद आती है? गहरी, तरोताजा करने वाली और सुखदायक नींद? अगर हां, तो आप भाग्यशाली हैं और सेहतमंद हैं लेकिन सब लोग ऐसा नहीं कह सकते। आजकल तो जिससे पूछिए वही नींद की किसी न किसी समस्या से पीड़ित नजर आता है। ये हर उम्र के लोगों में पाया जा रहा है और इसी व्यापकता बढती ही जा रही है जो गंभीर चिंताजनक है।
सिविल सोसाइटी संगठन ‘एजवेल फाउंडेशन’ के एक अध्ययन में भारत के 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 5,000 से अधिक लोगों के सोने के पैटर्न पर एक सर्वेक्षण किया गया, जिसमें पता चला कि, कुल उत्तरदाताओं में से 52 फीसदी लोग गहरी नींद के लिए संघर्ष कर रहे थे। यानी आधे से ज्यादा लोग नींद की समस्या से परेशान थे।
पुरुष-महिला सब समान
दिलचस्प बात यह है कि इस मुद्दे ने पुरुषों (56 फीसदी) और महिलाओं (44 फीसदी) दोनों को समान रूप से प्रभावित किया है। यानी अच्छी नींद की कमी पुरुषों और महिलाओं में बराबर है। इसके अतिरिक्त, बड़ी संख्या में शहरी उत्तरदाताओं (75 फीसदी) ने प्रति दिन अनुशंसित 5-6 घंटे से कम सोने की सूचना दी जबकि 64 फीसदी ग्रामीण उत्तरदाताओं में भी इसी तरह की प्रवृत्ति देखी गई। सो, गाँव के लोग भी अच्छी नींद से वंचित हैं।
- सर्वेक्षण के दौरान, 54 फीसदी उत्तरदाताओं ने शिकायत की कि उम्र के साथ वे कम सो रहे हैं। यानी उम्र बढ़ने के साथ नींद का समय कम हो रहा है।
- लगभग 32 फीसदी उत्तरदाताओं ने दावा किया कि उन्होंने अपनी नींद की आदतों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं देखा है। हालाँकि, 14 फीसदी उत्तरदाताओं ने दावा किया कि वे अपने पहले के वर्षों की तुलना में अब अधिक सो रहे हैं।
- कुल मिलाकर, 56 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि वे अपनी वर्तमान नींद के पैटर्न से संतुष्ट नहीं हैं।
बच्चे और युवा भी परेशान
सर्वेक्षण में सबसे चिंताजनक बात यह निकल कर आई कि नींद की गड़बड़ी न केवल बुजुर्गों में प्रचलित है, बल्कि बच्चों सहित युवा व्यक्तियों को भी तेजी से प्रभावित कर रही है। विशेषज्ञ इसका कारण बदलती जीवनशैली, मनोवैज्ञानिक मुद्दे, पर्यावरणीय गड़बड़ी, अस्वस्थ रिश्ते, मादक द्रव्यों का सेवन, स्वास्थ्य स्थितियां और गतिहीन आदतें मानते हैं।
नींद और सेहत का रिश्ता
नींद और सेहत का रिश्ता होता है क्योंकि आप रात में आराम से सोते हैं तो पूरे शरीर के एक एक अंग की ओवरहालिंग होती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि नींद की कमी स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर सकती है और वयस्क लोगों को ठीक से काम करने के लिए 7 से 8 घंटे की अच्छी क्वालिटी वाली नींद की आवश्यकता होती है। नींद की कमी मानव शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली, शरीर के वजन, हृदय प्रणाली, हार्मोन के स्तर, प्रजनन क्षमता और मस्तिष्क स्वास्थ्य के कार्य को बहुत प्रभावित करती है।
नींद ख़राब करने के साधन
अत्यधिक स्क्रीन समय और रात में डिजिटल उपकरणों का उपयोग मेलाटोनिन के उत्पादन को बाधित कर सकता है, जो नींद को रेगुलेट करने के लिए आवश्यक हार्मोन है। रात में डिजिटल उपकरणों का उपयोग मेलाटोनिन को दबाने के लिए जाना जाता है। लगभग 80 फीसदी मेलाटोनिन रात में हमें सोने में मदद करने के लिए हमारे शरीर द्वारा उत्पादित और स्रावित होता है। केवल दो घंटे के उपकरण के उपयोग से मेलाटोनिन उत्पादन में 40 फीसदी तक की कमी आ सकती है, जिससे सो जाना कठिन हो जाता है।
हमारे सीखने, याद रखने और भावनात्मक संतुलन की हमारी क्षमता नींद की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। जब हम सोते हैं तो हमारा मस्तिष्क डेटा प्रोसेस करता है और दीर्घकालिक यादें उत्पन्न करता है। इस प्रकार, पर्याप्त नींद लेना महत्वपूर्ण है ताकि हमारा दिमाग अपनी सर्वोत्तम क्षमता से काम कर सके।
क्या करें?
विशेषज्ञ कहते हैं कि जीवनशैली में बदलाव के लिए आवश्यक उपाय करने चाहिए जिसमें अच्छी नींद का अनुशासन बनाए रखना, नियमित व्यायाम करना और नींद संबंधी विकारों को रोकने और अच्छे समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए तनाव को दूर रखना शामिल है।
- स्ट्रेस न पालें
- शाम को ही डिनर कर लें
- सोने से दो घंटे पहले मोबाइल, टीवी, लैपटॉप देखना बंद कर दें
- बेडरूम और बिस्तर आरामदायक रखें
- नियमित व्यायाम की आदत डालें