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Health News: सावधान! सिगरेट न पीने वालों में बढ़ रहा फेफड़ों का कैंसर

Health News: शोधकर्ताओं ने पाया कि साल 2020 से 2022 तक पुरुषों और महिलाओं में होने वाले फेफड़ों के कैंसर के 10 में से 6 मामलों के लिए एडेनोकार्सिनोमा ही जिम्मेदार था।

Shishumanjali kharwar
Published on: 6 Feb 2025 3:12 PM IST
lung cancer
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Health News: लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसन जर्नल में छपे एक अध्ययन में बताया गया है कि जिन लोगों ने कभी सिगरेट नहीं पी, उनके बीच फेफड़े के कैंसर के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। विश्व कैंसर दिवस (4 फरवरी) पर प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार लोगों के बीच कैंसर के बढ़ते मामलों के लिए वायु प्रदूषण को जिम्मेदार बताया गया है। भारत, चीन, थाइलैंड जैसे दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के लोग और खासकर महिलाएं इससे विशेष रूप से प्रभावित हो रही हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2022 में करीब 25 लाख लोगों में फेफड़े के कैंसर की पुष्टि की गई थी।

महिलाओं में बढ़े मामले

कैंसर से प्रभावित लोगों में ज्यादातर पुरुष थे लेकिन लगभग दस लाख महिलाओं में भी इसकी पुष्टि हुई है, जो लगातार बढ़ रहा है। एक खास तरह का फेफड़ों का कैंसर, जिसे एडेनोकार्सिनोमा कहते हैं, 185 देशों में महिलाओं में सबसे ज्यादा आम हो गया है। एडेनोकार्सिनोमा उन ग्लैंड्स में बनना शुरू होता है जो बलगम जैसे तरल पदार्थ बनाता है। कैंसर का यह प्रकार पुरुषों और महिलाओं दोनों में बहुत आम हो गया है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि कैंसर का यह प्रकार 2022 में सिगरेट न पीने वालों में फेफड़ों के कैंसर के 53 से 70 फीसदी मामलों के लिए जिम्मेदार था।

वायु प्रदूषण

फेफड़ों के कैंसर के लगातार बढ़ रहे मामलों के लिए बढ़ते वायु प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराया गया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि साल 2020 से 2022 तक पुरुषों और महिलाओं में होने वाले फेफड़ों के कैंसर के 10 में से 6 मामलों के लिए एडेनोकार्सिनोमा ही जिम्मेदार था। बता दें कि कैंसर से जुड़ी मौतों के लिए फेफड़ों का कैंसर एक प्रमुख कारण है। दुनिया भर के जिन देशों में लोगों के बीच धूम्रपान का प्रचलन घट रहा है, वहां कभी सिगरेट न पीने वाले लोगों में फेफड़े के कैंसर का अनुपात बढ़ रहा है। कभी सिगरेट न पीने वाले लोगों में फेफड़े का कैंसर दुनिया भर में कैंसर से जुड़ी मौत का पांचवां मुख्य कारण बन गया है और इससे सबसे ज्यादा एशियाई आबादी विशेषकर महिलाएं प्रभावित हैं।

शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित कई अन्य निगरानीकर्ताओं के डाटा को आधार बनाया। शोधकर्ताओं ने फेफड़े के कैंसर के चार उपप्रकारों के लिए ग्लोबल कैंसर ऑब्ज़र्वेटरी 2022 डेटासेट सहित डेटा का विश्लेषण कियाः एडेनोकार्सिनोमा (एक प्रकार का कैंसर जो बलगम पैदा करने वाली ग्रंथियों की कोशिकाओं में शुरू होता है; स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (त्वचा कैंसर का एक प्रकार); लघु-कोशिका कार्सिनोमा (एक दुर्लभ तेजी से बढ़ने वाला फेफड़ों का कैंसर), और बड़ी-कोशिका कार्सिनोमा (फेफड़ों के कैंसर का एक प्रकार)। आंकड़ों के आधार पर एडेनोकार्सिनोमा का उच्चतम स्तर पूर्वी एशिया, खासकर चीन में सबसे ज्यादा पाया गया। चीन में सिगरेट न पीने वाली महिलाएं खाने पकाने के लिए ईंधन के संपर्क में आने की वजह से फेफड़ों के कैंसर का शिकार बन रही हैं।

धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों का कैंसर दुनिया भर में कैंसर से संबंधित मृत्यु दर का पाँचवाँ प्रमुख कारण माना जाता है, जो लगभग विशेष रूप से एडेनोकार्सिनोमा के रूप में होता है और सबसे अधिक महिलाओं और एशियाई आबादी में होता है। एडेनोकार्सिनोमा से पीड़ित लगभग 200,000 लोग वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से जुड़े थे। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि फेफड़ों के कैंसर का यह बढ़ता बोझ चिंता का विषय है क्योंकि इसके परिणामस्वरूप होने वाली जानों की हानि को काफी हद तक रोका जा सकता है।

अध्ययन क्या कहता है?

फेफड़ों का कैंसर दुनिया भर में कैंसर से संबंधित बीमारी का प्रमुख कारण बना हुआ है, 2022 में लगभग 2.5 मिलियन लोगों में इसका निदान किया जाएगा। पुरुषों में अनुमानित 1.5 लाख नए मामलों में से, 717,211 एडेनोकार्सिनोमा थे। महिलाओं में दुनिया भर में फेफड़े के कैंसर के अनुमानित 908,630 नए मामले थे, जिनमें से 541,971 (महिला फेफड़े के कैंसर के बोझ का 59.7 फीसदी) एडेनोकार्सिनोमा थे। वैश्विक स्तर पर, पुरुषों में अनुमानित 111,486 एडेनोकार्सिनोमा मामले और महिलाओं में 80,378 एडेनोकार्सिनोमा मामले पर्यावरण में मौजूद पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) प्रदूषण के कारण थे।

अध्ययन के अनुसार, दुनिया भर में कभी धूम्रपान न करने वालों में फेफड़े के कैंसर के 53 फीसदी से 70 फीसदी मामले एडेनोकार्सिनोमा के कारण होते हैं, जो यह दर्शाता है कि वायु प्रदूषण से जुड़े फेफड़े के कैंसर का जोखिम बढ़ रहा है, खासकर पूर्वी एशिया और चीन में। इस शोध के प्रमुख लेखक डॉ. फ्रेडी ब्रे कहते हैं कि पर्यावरण का पीएम प्रदूषण और एडेनोकार्सिनोमा के बढ़ते जोखिम के बीच एक कारण संबंध के सबूत जमा हो रहे हैं। धूम्रपान के पैटर्न में बदलाव और वायु प्रदूषण के संपर्क में आना आज हम जो उपप्रकार देख रहे हैं, उसके अनुसार फेफड़े के कैंसर की घटनाओं के बदलते जोखिम प्रोफाइल के मुख्य निर्धारकों में से हैं।

क्यों हैं महिलाएं जोखिम में?

धूम्रपान न करने वाली महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर को क्या ट्रिगर करता है? इसके जवाब में अध्ययनों से पता चला है कि ऐसा ख़ास जीन भिन्नताओं के कारण हो सकता है जो धूम्रपान के बिना भी उन्हें फेफड़ों के कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। महिला हार्मोन में उतार-चढ़ाव, विशेष रूप से रजोनिवृत्ति के दौरान, जोखिम को बढ़ा सकता है। बेशक, पर्यावरण प्रदूषण, चाहे वह घरों में रेडॉन गैस के संपर्क में हो या पीएम 2.5 कणों के बाहरी संपर्क में, कोशिकाओं के डीएनए को बदल सकता है, जिससे कैसे विभाजित होते हैं और कैंसर होता है।

विकासशील देशों में लकड़ी जलाने या खाना पकाने में तलने से निकलने वाले धुएं के लगातार संपर्क में रहने से फेफड़ों के कैंसर की दर में वृद्धि हुई है। फिर भी तम्बाकू अभी भी एक प्रमुख ट्रिगर है। फेफड़ों के कैंसर की विशिष्टता का पता लगाने वाले एक पुराने अध्ययन में पाया गया था कि वर्तमान में 42 प्रतिशत पुरुष और 14.2 प्रतिशत महिलाएँ या तो धूम्रपान करती हैं या धूम्रपान रहित तम्बाकू का उपयोग करती हैं।



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