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Lung Cancer के कारण, लक्षण और बचाव, नियमित एक्सरसाइज से कम होता है इसका खतरा
Lung Cancer एक प्रकार का ऐसा कैंसर है जिसकी शुरुआत फेफड़ों में होती है। शरीर में इस कैंसर की शुरुआत तब होती है जब शरीर में मौजूद कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर होकर ज़रूरत से ज्यादा बढ़ने लगती है।
Lung Cancer Kyun Hota Hai: Lung Cancer यानि फेफड़ों का कैंसर, जिसके मरीज़ों की संख्या में हो रहीं बढ़ोत्तरी , एक बेहद ही गहरी चिंता का विषय है। बता दें कि Lung Cancer एक प्रकार का ऐसा कैंसर है जिसकी शुरुआत फेफड़ों में होती है। शरीर में इस कैंसर की शुरुआत तब होती है जब शरीर में मौजूद कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर होकर ज़रूरत से ज्यादा बढ़ने लगती है।
वैसे देखा जाये तो विश्व स्तर पर मौत का एक प्रमुख कारण फेफड़ों का कैंसर ही है। भारत में भी इसकी बढ़ती रफ़्तार बेहद चिंताजनक है। आमतौर पर फेफड़ों के कैंसर (Lung Cancer ) ब्रोंकी और फेफड़ों के कुछ हिस्सों जैसे ब्रोंकीओल्स या एल्वियोली की कोशिकाओं में शुरू होता हैं। इतना ही नहीं ये शरीर के दूसरे अंगों से भी कैंसर फेफड़ों में फैल सकता है। बता दें कि जब शरीर के एक अंग से कैंसर कोशिकाएं दूसरे अंग में फैलती हैं, तो उसे मेटास्टेसिस कहा जाता है।
शुरूआती दौर में नहीं दिखाई देते लक्षण
गौरतलब हैं कि फेफड़ों के कैंसर का कोई खास लक्षण शुरुआती दौर मे नहीं दिखाई नहीं देता है। इतना ही नहीं अलग-अलग लोगों में फेफड़ों के कैंसर के अलग-अलग लक्षण होते हैं। बता दें कि सबसे important लक्षण ऐडवांस स्टेज में ही पाए जाते हैं।
ऐसे में कई बार सिर्फ कुछ लोगों में ही फेफड़ों के कैंसर से संबंधित लक्षण दिखाई देते हैं वहीँ कुछ लोगों में जिनके फेफड़ों का कैंसर शरीर के अन्य अंगों में फैल गया है (मेटास्टेसाइज्ड) उसके लक्षण शरीर के उस दूसरे हिस्से में दिखाई देते हैं। आमतौर पर लोगों में तबीयत ठीक ना होना जैसे सामान्य लक्षण मिलते हैं।
इसके अलावा फेफड़ों के कैंसर (Lung Cancer ) के कुछ सामान्य लक्षण भी मिलते हैं। जिनमें , ऐसी खांसी जो गंभीर हो जाती है या दूर नहीं होती है, छाती (chest ) मे दर्द होना, सांस लेने मे दिक्कत का सामना करना, खांसी मे खून आना, हर समय थका हुआ मेहसूस होना और बिना किसी कारण वजन कम होना जैसे लक्षण फेफड़ों के कैंसर (Lung Cancer ) का संकेत देते हैं।
कुछ ऐसे भी लक्षण होते हैं जो शरीर में कभी-कभी दिखायी दे सकते हैं जिसमें निमोनिया के बार-बार होने वाले दौरे , फेफड़ों के बीच में छाती के अंदर सूजन या बढ़े हुए लिम्फ नोड्स (ग्रंथियां) आदि शामिल हैं। बता दें कि कई बार ये लक्षण दूसरी बिमारियों के भी हो सकते है। इसलिए इनमें से शरीर में कोई भी लक्षण दिखने या मेहसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर उनकी राय लें।
शरीर में फेफड़ों के कैंसर होने के कुछ आदतें और परेशानियां कारण बन सकती हैं। जिनमें ये प्रमुख हैं।
- कई बार शरीर में फेफड़ों से निकलने वाली कैंसर कोशिकाओं का निर्माण ही फेफड़ों के कैंसर (lung cancer ) का कारण बनता है।
- ध्रूमपान और तंबाकू का सेवन फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारणों में से एक है। एक रिसर्च के अनुसार फेफड़ों के कैंसर से होने वाली लगभग 8० प्रतिशत मृत्यु का कारण धूम्रपान का नियमित सेवन ही होता है। इतना ही नहीं सिगरेट के धुएं के लगातार संपर्क में आने से भी ये समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- कई बार रेडॉन, सेकेंड हैंड धुएं, वायु प्रदूषण या अन्य कारकों के संपर्क में लगातार आने से भी फेफड़ों के कैंसर होने का खतरा हो जाता है। इतना ही नहीं कुछ लोग जो ध्रूमपान नहीं करते उनमें एस्बेस्टस, डीजल निकास या कुछ अन्य रसायनों के कार्यस्थल के संपर्क में आने से भी फेफड़ों का कैंसर होने का जबरदस्त खतरा रहता हैं।
- डीएनए में कुछ बदलाव भी फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकते हैं। बता दें कि ऐसे बदलाव से शरीर में असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि होने का खतरा रहता है जिससे कभी-कभी फेफड़ों का कैंसर भी हो जाता है।
गौरतलब है कि डीएनए हमारी कोशिकाओं में मौजूद वह केमिकल है जो हमारे जीन को बनाने के साथ हमारी कोशिकाओं के काम करने के तरीके को भी नियंत्रित करता है।
जानकारी के लिए बता दें की डीएनए हमें अपने माता-पिता दोनों से मिलता है जो हमारे दिखने के तरीके से कहीं ज्यादा प्रभावित करता है। इतना ही नहीं डीएनए हमारे शरीर में कुछ बीमारियों सहित कुछ प्रकार के कैंसर के विकास को भी प्रभावित कर सकता है।
- कई बार फेफड़े के कैंसर कुछ परिवारों में जीन के इतिहास की भूमिका भी निभाता है। यानि जिन लोगों में क्रोमोसोम 6 में कुछ डीएनए बदलाव होने के कारण उनलोगों में फेफड़ों के कैंसर होने की संभावना औरों से ज्यादा होती है। इसका उनके धूम्रपान करने या ना करने से कोई लेना -देना नहीं हैं।
फेफड़ो के कैंसर से बचाव के कुछ तरीकें हैं जिन्हें अपनाकर इस समस्या से बचा जा सकता है।
- फेफड़ों के कैंसर से बचने का सबसे अच्छा माध्यम है धूम्रपान करने और उसके धुएं के आस -पास रहने से दूरी बनाना।
- रेडॉन भी फेफड़ों के कैंसर होने का एक महत्वपूर्ण कारण होता है। जरुरत होने पर आप अपने घर में टेस्ट और इलाज करवाकर रेडॉन के प्रति अपने जोखिम को कम करने की कोशिश करें।
- सबसे महत्वपूर्ण बात लोगों को कार्यस्थल और अन्य जगहों पर ज्ञात कैंसर पैदा करने वाले एजेंटों के संपर्क में आने से बचना भी इस परेशानी से दूर रख सकता है ।बता दें कि जहॉ ऐसे लोग काम करते हैं जहाँ ऐसे खतरे हो सकते हैं उन्हें बिना किसी तरह के केमिकल या कार्सिनोजेनीक पदार्थ के सम्पर्क में आये बहुत ही सावधानी के साथ काम करना चाहिए।
- बहुत सारे फलों और सब्जियों के साथ एक स्वस्थ आहार भी आपके फेफड़ों के कैंसर के खतरे को कम करने में काफी मददगार होता है। बता दें कि फलों और सब्जियों में उच्च आहार धूम्रपान करने वाले लोगों को कैंसर जैसी समस्या से बचता है।
- नियमित एक्सरसाइज या व्यायाम करने से भी शरीर में उत्पन्न होने वाली ऐसी गंभीर परिस्थियों से बचा जा सकता है।