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Mahashivratri 2022: शिव को बेलपत्र चढ़ाने का है विशेष महत्व, डायबिटीज कंट्रोल करने में भी बेहद सहायक

Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि के दिन शिव जी पर बेलपत्र चढ़ाने का विशेष महत्व होता है , बेलपत्र एक त्रिकोणीय पत्ता है, जो हिंदू धर्म में तीन मुख्य देवताओं भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है।

Preeti Mishra
Written By Preeti MishraPublished By Shreya
Published on: 27 Feb 2022 1:05 PM IST (Updated on: 27 Feb 2022 1:08 PM IST)
Mahashivratri 2022: शिव को बेलपत्र चढ़ाने का है विशेष महत्व, डायबिटीज कंट्रोल करने में भी बेहद सहायक
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शिवलिंग (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Mahashivratri 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि (Mahashivratri) मनाई जाती है। देवों के देव महादेव की आराधना में मनाया जाने वाला पवित्र पर्व महाशिवरात्रि इस वर्ष 1 मार्च दिन मंगलवार को मनाया जायेगा। महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त महाशिवरात्रि के विशेष अवसर पर व्रत रखते हैं। शंकर- पार्वती की तरह अटूट जोड़ी की कामना करते हुए इस दिन सुहागन औरतें व्रत करती हैं, वही माता पार्वती की तरह मनचाहा वर पाने के लिए कुंवारी लड़कियां भी व्रत रखती हैं और सभी रीति-रिवाजों का पालन करते हुए पूजा करती हैं। इस दिन शिव जी पर बेलपत्र (Bel Patra) चढ़ाने का विशेष महत्व होता है , बेलपत्र एक त्रिकोणीय पत्ता है, जो हिंदू धर्म में तीन मुख्य देवताओं भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है।

मान्यताएं हैं कि बेल के पत्तों से भगवान की पूजा करने से उनके भक्तों को अपार आशीर्वाद मिलता है क्योंकि बेलपत्र भगवान शिव का सबसे प्रिय पत्ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बेलपत्र को एक आयुर्वेदिक जड़ी -बूटी भी माना जाता है जिससे कई गंभीर बीमारियों से निपटने में मदद मिल सकती है।

बेलपत्र (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

बेल के फायदे

बेल एक औषधीय पौधा है और पौराणिक काल से ही इसके फल, जड़, पत्ती और शाखा का उपयोग दवाएं बनाने के लिए किया जाता है। बेल का उपयोग कब्ज, दस्त, डायबिटीज और अन्य रोगों के लिए के लिए किया जाता है। बेल के पत्तों में टैनिन, फ्लेवोनोइड्स और कौमारिन नामक रसायन होते हैं, जो कई रोगों के उपचार में सहायक हैं। ये रसायन सूजन को कम करने, अस्थमा, दस्त और हाई ब्लड शुगर जैसे विकारों के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।

डायबिटीज कंट्रोल करने में सहायक

बेल के पत्ते शरीर में ब्लड शुगर कंट्रोल करने में सहायक हैं। इसका कारण यह है कि इसमें भारी मात्रा में लैक्सटिव गुण पाए जाते हैं, जो पर्याप्त इंसुलिन बनाने में मदद करते हैं और ब्लड शुगर को कंट्रोल करते हैं।

श्वसन संबंधी समस्याओं के लिए

बहुत कम लोगों को पता है कि बेल के पत्तों से एक प्रकार का तेल निकाला जा सकता है, जिसे एसेंशियल ऑयल कहा जाता है। यह तेल वास्तव में अस्थमा और सर्दी सहित सांस की समस्याओं को ठीक करने में मददगार हो सकता है।

कब्ज का रामबाण इलाज

बेल के पत्तों को कम नमक और काली मिर्च के साथ चबाने से कब्ज को तोड़ने में मदद मिल सकती है। यह आंत से विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए जाना जाता है।

दस्त और हैजा

बेल में टैनिन पाया जाता है, जिस वजह से यह दस्त और हैजा जैसे रोगों को ठीक करने में उपयोगी है। इसके सूखे कच्चे चूर्ण का भी पुराने दस्त के इलाज में उपयोग किया जाता है। इसके लिए आप कच्चे पत्ते भी चबा सकते हैं।

एंटी इंफ्लेमेटरी गुण

बेल में एंटी फंगल और एंटी वायरल गुण पाए जाते हैं, जिसके कारण इसका उपयोग शरीर में कई तरह के संक्रमणों के इलाज में किया जाता है। बेल के पत्तों में एंटीमाइक्रोबियल गुण भी पाए जाते हैं, जो कई संक्रमणों को ठीक करने में मदद कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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