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Sex Toys Diabetes: सावधान! सेक्स टॉयज से हो सकता है डायबिटीज

Sex Toys Diabetes: वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि कई स्रोतों से माइक्रोप्लास्टिक कण ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश और जज्ब हो जाते हैं और डायबिटीज जैसे मेट्रोबोलिज़्म संबंधी विकारों का कारण बन सकते हैं।

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Newstrack Network
Published on: 25 Nov 2023 3:19 PM IST
Sex toys diabetes
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Sex toys diabetes  (photo: social media )

Sex Toys Diabetes: सेक्स टॉय लोगों में डायबिटीज का कारण बन सकते है। इसकी वजह है - प्लास्टिक के नैनो कण जो शरीर में इस टॉयज के जरिये घुस जाते हैं।

खतरनाक माइक्रोप्लास्टिक

वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि कई स्रोतों से माइक्रोप्लास्टिक कण ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश और जज्ब हो जाते हैं और डायबिटीज जैसे मेट्रोबोलिज़्म संबंधी विकारों का कारण बन सकते हैं। माइक्रोप्लास्टिक शरीर के डिफेंस सिस्टम को भी बाधित कर सकते हैं और नर्व तंत्र के साथ-साथ प्रजनन और डेवलपमेंटल प्रणालियों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

सेक्स टॉय और प्रदूषण

अब, वैज्ञानिकों द्वारा वायु प्रदूषण और अन्य प्लास्टिक के संपर्क के साथ-साथ प्रदूषण के एक नए स्रोत, सेक्स टॉयज़ की पहचान की गई है। ड्यूक यूनिवर्सिटी और एपलाचियन स्टेट यूनिवर्सिटी की टीम यह पता लगाने के बाद संभावित खतरों के बारे में चेतावनी दे रही है कि सेक्स खिलौनों में "फ़ेथलेट्स" भी होते हैं जो हार्मोन के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने वर्तमान में उपलब्ध चार प्रकार के सेक्स खिलौनों को देखा: एनल खिलौने, बीड्स, डबल वाइब्रेटर और एक्सटर्नल वाइब्रेटर। शोध परिणामों में पाया गया कि एनल खिलौने ने सबसे अधिक कण छोड़े, इसके बाद बीड्स, डबल वाइब्रेटर और एक्सटर्नल वाइब्रेटर थे।

शोधकर्ताओं ने कहा है कि सेक्स टॉय निर्माताओं और विक्रेताओं को इनके संभावित खतरों की जानकारी उपभोक्ताओं को स्पष्ट रूप से देनी चाहिए।

घर में माइक्रोप्लास्टिक

दुर्भाग्य से, माइक्रोप्लास्टिक हर जगह हैं, यहां तक कि हमारे घरों में भी।

- प्लास्टिक खाद्य पैकेजिंग को खोलने से माइक्रोप्लास्टिक निकलता है।

- प्लास्टिक चॉपिंग बोर्ड पर भोजन तैयार करने से माइक्रोप्लास्टिक निकलता है।

- टेफ्लॉन कोटेड पैन आपके भोजन को छोटे प्लास्टिक कणों में भी लपेट लेता है।

- सभी कॉस्मेटिक उत्पादों में से 90 फीसदी में माइक्रोप्लास्टिक होते हैं।

- कालीन आपके घर में माइक्रोप्लास्टिक फाइबर की संख्या को दोगुना कर सकता है।

कुल मिलाकर, अध्ययनों से पता चलता है कि हम हर हफ्ते क्रेडिट कार्ड के बराबर का वजन वाला प्लास्टिक हम अपने शरीर में डालते हैं। सो आप भले जितना एहतियात बरतें लेकिन माइक्रोप्लास्टिक शरीर में घुसता ही है।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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