बन जाएंगे करोड़पति: अगर करते हैं इस सब्जी का व्यवसाय, जानें कैसे

गुच्छी भारत की दुर्लभ सब्जी है, जिसकी मांग विदेशों में भी होती है। लोग मजाक में कहते हैं कि अगर गुच्छी की सब्जी खानी है तो बैंक से लोन लेना पड़ेगा। इस सब्जी को पकाने के लिए मेहनत भी बहुत पड़ती है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 29 Aug 2020 3:32 AM GMT
बन जाएंगे करोड़पति: अगर करते हैं इस सब्जी का व्यवसाय, जानें कैसे
X
हिमालय से आने वाले भारत की इस सब्जी की मांग पूरी दुनिया में है। इस सब्जी का नाम गुच्छी है। यह हिमालय के क्षेत्रों में मिलने वाले जंगली मशरूम की तरह होती है।

लखनऊ: कोई भी सब्जी शरीर को पौष्टिक तत्व देती है। हिमालय से आने वाले भारत की इस सब्जी की मांग पूरी दुनिया में है। इस सब्जी का नाम गुच्छी है। यह हिमालय के क्षेत्रों में मिलने वाले जंगली मशरूम की तरह दिखने वाली प्रजाति की होती है। इस सब्जी गुच्छी का वैज्ञानिक नाम मार्कुला एस्क्यूपलेंटा है। आमतौर पर मोरेल्स भी कहते हैं। इसे स्पंज मशरूम भी कहा जाता है। यह मशरूम की ही एक प्रजाति मॉर्शेला फैमिली से संबंध रखता है।

भारत की दुर्लभ सब्जी की कीमत

इस सब्जी को 1 किलोग्राम खरीदनी है तो इसके लिए 30-40 हजार रुपये खर्च करने पड़ सकते है। इस सब्जी के दाम 30 हजार रुपये किलो है। यह भारत की दुर्लभ सब्जी है, जिसकी मांग विदेशों में भी होती है। लोग मजाक में कहते हैं कि अगर गुच्छी की सब्जी खानी है तो बैंक से लोन लेना पड़ेगा। इस सब्जी को पकाने के लिए मेहनत भी बहुत पड़ती है।

यह पढ़ें...इस दिन है अनंत चतुर्दशी, चाहते हैं ऐश्वर्य में वृद्धि तो जानें इस धागा को बांधने की विधि

vegetable फाइल

क्योंकि इसे खाने से दिल संबंधी कोई बीमारी नहीं होती। इसके अलावा ये सब्जी शरीर को कई अन्य प्रकार का पोषण देती है। ये एक तरह से मल्टी-विटामिन की गोली है। गुच्छी नाम की इस सब्जी को बनाने में ड्राय फ्रूट, सब्जियां और देशी घी का इस्तेमाल होता है।

औषधीय गुणों से भरपूर

स्वादिष्ट पकवानों में एक औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी को जो भी नियमित रुप से खायेगा। उसे दिल की बीमारियां नहीं होती हैं। दिल की बीमारियों से पीड़ित लोग अगर इसे रोज थोड़ी मात्रा में ले तो उन्हें फायदा होगा। इसे हिमालय के पहाड़ों से लाकर सुखाया जाता है। इसके बाद इसे बाजार में बेचा जाता है। इसमें अलग-अलग क्वालिटी की सब्जी आती है।

इस सब्जी के लिए वैज्ञानिक कहते हैं कि पहाड़ के लोग भी जल्दी गुच्छी चुनने नहीं जाते। क्योंकि गुच्छी एक बार जहां उगती है, जरूरी नहीं उसी जगह अगली बार भी उगे। कई बार यह सीधी चढ़ाई पर उग जाती है। या फिर गहरी घाटियों में।

यह पढ़ें...आंध्र प्रदेश में सब-इंस्पेक्टर ने सर्विस गन से खुद को मारी गोली, मामले की जांच शुरू

guchhi फाइल

विदेशों में डिमांड

गुच्छी को बारिश में जमा करके सुखाया जाता है। फिर इसका उपयोग सर्दियों में होता है। अमेरिकी, यूरोप, फ्रांस, इटली और स्विट्जरलैंड के लोग कुल्लू की गुच्छी को बहुत ज्यादा पसंद करते हैं। इस में पर्याप्त मात्रा में विटामिन-B, D, C और K होता है।

हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों पर ज्यादातर गुच्छी उगाए जाते हैं। कई बार बारिश के सीजन में ये खुद ही उग जाते हैं। लेकिन अच्छी मात्रा में जमा करने में लोगों को कई महीने लग जाते हैं। क्योंकि पहाड़ पर जाकर जान जोखिम में डालकर यह सब्जी लाना इसकी कीमत बढ़ाता है। प्राकृतिक रूप से जंगलों में उगने वाली गुच्छी फरवरी से लेकर अप्रैल के बीच मिलती है।

यह पढ़ें...कांग्रेस का दोहरा चरित्र: JEE-NEET के खिलाफ, पर फिर भी आयोजित की ये परीक्षाएं

vegetable guchhi फाइल

बड़ी-बड़ी कंपनियां लेती है फायदा

बड़ी-बड़ी कंपनियां और होटल इसे खरीद लेते हैं।पाकिस्तान के हिंदुकुश पहाड़ों पर भी ये सब्जी उग जाती है। वहां भी लोगों ने इसे देखा है। पाकिस्तान के लोग भी इसे सुखाकर विदेशों में बेचते हैं। विदेशों में इसे दुनिया का सबसे बेहतरीन मशरूम कहा जाता है।

बता दें कि गुच्छी की केवल सब्जी ही नहीं इसका पुलाव और मिठाई भी बनाया जाता है। तो जब इतने सारे गुणों से भरपूर है गुच्छी तो एक बार जरूर खाने की कोशिश करेंगे तो जीवन सार्थक हो जाएगा।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story