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Mpox : एमपॉक्स बना ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी, डब्लूएचओ ने जारी की चेतावनी

Mpox : मंकीपॉक्स वायरस के तेजी से फैलने के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सबसे ऊंचे लेवल की चेतावनी जारी की है और ग्लोबल स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है।

Neel Mani Lal
Published on: 15 Aug 2024 4:39 PM IST
Mpox : एमपॉक्स बना ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी, डब्लूएचओ ने जारी की चेतावनी
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Mpox : मंकीपॉक्स वायरस के तेजी से फैलने के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सबसे ऊंचे लेवल की चेतावनी जारी की है और ग्लोबल स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने अफ्रीका में मंकीपॉक्स के तेजी से फैलने के कारण चेतावनी दी है कि ये वायरस अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार कर सकता है। यह घोषणा डब्ल्यूएचओ के निदेशक जनरल तेद्रोस अधानोम गैब्रेयेसुस ने यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की आपातकालीन समिति की बैठक के बाद की।

इससे पहले अफ्रीकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने महाद्वीप में मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था। संगठन के अनुसार इस साल अफ्रीका में मंकीपॉक्स के 14,000 से अधिक मामले और 524 मौतें दर्ज की गई हैं। अब तक, 96 फीसदी से अधिक मामले और मौतें सिर्फ कांगो में ही हुई हैं। वैज्ञानिकों की चिंता इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि कांगो में एक नए प्रकार का मंकीपॉक्स फैल रहा है जो अधिक आसानी से फैल सकता है।

मंकीपॉक्स क्या है?

एमपॉक्स को पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था। 2022 में ब्राजील में इसके कारण दर्जनों बंदरों को कत्ल कर दिया गया क्योंकि लोगों में अफवाह थी कि यह वायरस बंदरों के कारण फैल रहा है। इस वायरस को पहली बार 1958 में तब पहचाना गया जब बंदरों में एक "चेचक जैसा" रोग फैल रहा था। हाल के सालों तक अधिकांश मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उन लोगों में पाए जाते थे जो संक्रमित जानवरों के संपर्क में आते थे।

2022 में एमपॉक्स वायरस के यौन संपर्क के माध्यम से फैलने की पुष्टि की गई और 70 से ज्यादा देशों में इसका प्रकोप हुआ। इनमें बहुत से ऐसे देश थे जिनमें पहले एमपॉक्स के मामले नहीं देखे गए थे। एमपॉक्स, चेचक के समान वायरस परिवार का है लेकिन इसके लक्षण उतने गंभीर नहीं होते। इसके लक्षणों में बुखार, ठंड लगना और शरीर में दर्द शामिल हैं। गंभीर मामलों में चेहरे, हाथों, छाती और जननांगों पर घाव हो सकते हैं। 2022 में भारत में भी इसके कई मामले मिले थे।

पिछले सप्ताह, अफ्रीकी सीडीसी ने रिपोर्ट किया कि एमपॉक्स अब कम से कम 13 अफ्रीकी देशों में पाया गया है। पिछले साल की समान अवधि की तुलना में, मामलों में 160 प्रतिशत और मौतों में 19 फीसदी की वृद्धि हुई है। वैज्ञानिकों ने इस साल की शुरुआत में कांगो के एक खनन कस्बे में एमपॉक्स के एक नए रूप की पहचान की, जो 10 प्रतिशत लोगों को मार सकता है और अधिक आसानी से फैल सकता है। नए रूप के लक्षण हल्के होते हैं और यह जननांगों पर घाव पैदा करता है। इससे पहचान मुश्किल हो जाती है और लोग बिना जाने दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार एमपॉक्स हाल ही में पूर्वी अफ्रीका के चार देशों - बुरुंडी, केन्या, रवांडा और युगांडा - में पहली बार पहचाना गया है। ये सभी प्रकोप कांगो में फैली महामारी से जुड़े हैं।

2022 के वैश्विक प्रकोप के दौरान अधिकांश मामले समलैंगिक और उभयलिंगी पुरुषों में थे और वायरस मुख्य रूप से करीबी संपर्क के माध्यम से फैल रहा था। इससे यह भ्रम भी हुआ कि यह रोग सिर्फ सेक्स के कारण फैलता है। हालांकि अफ्रीका में कुछ समान मामले देखे गए हैं। लेकिन कांगो में अब 15 साल से कम उम्र के बच्चे 70 फीसदी मामलों और 85 फीसदी मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। 2022 में, कई देशों में एमपॉक्स के प्रकोप को टीकों और उपचारों के उपयोग से नियंत्रित किया गया था, लेकिन अफ्रीका में टीकों और उपचारों की उपलब्धता बहुत सीमित है।



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Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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