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Keto Diet Myths : कीटो डाइट से जुड़े हैं ये मिथ, इन्हें कभी ना मानें सच

Keto Diet Myths : जब शरीर कार्बोहाइड्रेट की कमी महसूस करता है, तो यह अपने भंडारित फैट को इस्तेमाल करता है, जिससे कीटोसिस शुरू होती है।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 9 Jan 2024 3:15 PM IST (Updated on: 9 Jan 2024 3:16 PM IST)
Keto Diet Myths
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Keto Diet Myths (Photos - Social Media) 

Keto Diet Myths : कीटो डाइट एक विशेष प्रकार की आहार पद्धति है जिसमें आपको कम कार्बोहाइड्रेट और अधिक वसा और प्रोटीन युक्त आहार खाना पड़ता है। यह डाइट शरीर को जल्दी फैट जलाने के लिए बॉडी फैट को इस्तेमाल करने की तकनीक है, जिससे शरीर केटोसिस नामक स्थिति में आता है। कीटो डाइट में आपको कम कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थों जैसे कि अनाज, फल, चीनी, और अन्य शर्करा युक्त चीजें कम करनी होती हैं। इसके बजाय, आपको ज्यादा मात्रा में अंडे, मांस, मछली, दही, तेलीय बीज, मसूर दाल, खोबरा, घी, और हरे पत्ते जैसी चीजें खानी पड़ती हैं। इस डाइट का लक्ष्य शरीर को ग्लूकोज की बजाय शरीर के फैट को इस्तेमाल करने को मजबूर करना होता है। जब शरीर कार्बोहाइड्रेट की कमी महसूस करता है, तो यह अपने भंडारित फैट को इस्तेमाल करता है, जिससे कीटोसिस शुरू होती है। यहां, शरीर में केटोन नामक अम्ल उत्पन्न होते हैं जो इसे इस विशेष अवस्था में ले जाते हैं।

Keto Diet Myths


बीमारियां

शरीर कीटोसिस में चलने पर अपने फैट स्टोर्स का इस्तेमाल करता है जो कि वजन घटाने में मदद कर सकता है। जब आप कार्बोहाइड्रेट्स को कम करते हैं, तो आपके शरीर का इस्तेमाल करने के लिए अन्य स्रोत ढूंढना पड़ता है। यह केटोसिस को प्रेरित करता है, जिससे शरीर केटोन उत्पन्न करता है और इन केटोनों को इस्तेमाल करता है एनर्जी के रूप में। इससे वजन कम होने का प्रक्रिया शुरू होता है, लेकिन कुछ लोगों के शरीर का प्रतिक्रियात्मकता इसमें विभिन्न होती है। कुछ लोगों को शरीर केटोसिस में आने में समय लगता है और कुछको इससे संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं जैसे कि केटोसिस संक्रमण, बदहजमी, और अन्य समस्याएं।

Keto Diet Myths


इन्हें कभी ना मानें सच

कीटो डाइट शुरू करने से पहले वजन में कमी दिख सकती है क्योंकि जब शरीर कार्बोहाइड्रेट्स का उपयोग बंद करके केटोसिस में चला जाता है, तो वाटर वेट कम हो सकता है। कार्बोहाइड्रेट्स स्टोर करने के साथ ही शरीर में पानी भी रखता है, जिसे यह सिस्टम से बाहर निकालता है जब आप कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा कम करते हैं। जब यह वाटर वेट घटता है, तो वजन में कमी दिखाई देने लगती है, लेकिन यह केवल पानी का वजन होता है और असली फैट कमी नहीं होती।



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Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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