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Non-alcoholic fatty liver disease को कम करेगा मछली का सेवन, अन्य सुपर फ़ूड भी रखेंगे इसका ख्याल
जब कोशिकाओं में वसा की अत्यधिक मात्रा जमा हो जाती है तो इसे नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) कहा जाता है। यह रोग शरीर में चार प्रकार से बढ़ता है।
Non-alcoholic fatty liver disease: शरीर को स्वस्थ (Healty Body) बनायें रखने के लिए अंदरूनी अंगों का भी स्वस्थ रहना बेहद जरुरी है। इसी श्रेणी में लिवर की भूमिका (role of liver in body) सबसे अहम् हो जाती है। बता दें कि एक स्वस्थ लिवर के लिए उसमें वसा की कम से कम मात्रा का होना बेहद जरुरी है । गौतलब है कि जब इसकी कोशिकाओं में वसा की अत्यधिक मात्रा जमा हो जाती है तो इसे नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) कहा जाता है। यह रोग शरीर में चार प्रकार से बढ़ता है। अगर समय रहते इसका सही इलाज न किया जाये तो यह लिवर फेल्योर की गहरी समस्या के रूप में तब्दील हो जाता है।
फैटी लिवर में क्या होता है
फैटी लिवर की स्थिति में लिवर में वसा की मात्रा कम होने के साथ कोई लक्षण नहीं होते हैं। दरसल यह रोग की शुरुआती अवस्था होती है जिसे फैटी लिवर या स्टेएटोसिस कहते है। जंकफूड की अधिकता और शारीरिक गतिविधियों के अभाव के कारण यह समस्या सामान्य हो गई है। जानकारों के अनुसार अगर कोई इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति दवा, सही खानपान और व्यायाम को अपना लें तो फैटी लिवर सामान्यतः छह महीने में ही सामान्य हो जाता है। वार्ना कई बार रोग गंभीर होने पर लिवर ट्रांसप्लांट तक भी कराना पड़ सकता है।
नॉन एल्कोहॉलिक स्टेएटो हेपेटाइटिस क्या है
वैसे तो फैटी लिवर की परेशानी से पीडि़त बहुत कम ही लोग एनएएसएच (नॉन एल्कोहॉलिक स्टेएटो हेपेटाइटिस) से प्रभावित होते हैं। बता दें कि इस रोग में मरीज को पेट के ऊपरी भाग में हल्का दर्द व लिवर में सूजन की शिकायत हो जाती है। सामान्य तौर पर इसके कोई खास लक्षण सामने नहीं आते और साथ ही कई बार रुटीन टेस्ट से भी इसका पता नहीं चल पाता। जिसके लिए कुछ विशेष प्रकार के टेस्ट करवाने होते हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि लिवर का मुख्य काम ग्लाइकोजेन (glycogen) को इकठ्ठा कर इसे ग्लूकोज में तोडऩे के बाद रक्त शिराओं में उस समय प्रवाहित करना है जब शरीर को ऊर्जा की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। जिससे प्रोटीन और वसा की पाचन प्रक्रिया को आसान बन सकें। इसके अलावा लिवर रक्त में थक्के बनाने वाले प्रोटीन का भी निर्माण करता है। शराब, ड्रग्स और अन्य दूषित पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का काम भी लिवर ही अंजाम देता है।
सबसे मुख्य काम भोजन को पचाने के लिए बाइल जूस (पाचक रस) का निर्माण भी यही करता है। बता दें कि आप जो भी खाते व पीते हैं उन्हें लिवर ही एंजाइम्स द्वारा पचाने के बाद शरीर की मरम्मत के लिए ऊत्तकों तक पहुंचाने का कार्य करता है। गौतलब है कि भारत में होने वाली लिवर की समस्याओं में एनएएफएलडी एक आम समस्या है जिससे देश में 30 से 40 प्रतिशत लोग प्रभावित हैं।
शराब का सेवन बीमारी को बढ़ाता है
कई बार ये भ्रम पलना खतरनाक हो जाता है कि नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर (non-alcoholic fatty liver disease) की समस्या शराब से नहीं होती। बता दें कि ऐसे में शराब का सेवन इस रोग को गंभीर स्टेज तक पंहुचा देता है। जिससे लिवर खराब होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। जानकारी के लिए बता दें की इसकी जांच लिवर फंक्शनिंग टेस्ट (ब्लड टेस्ट) द्वारा की जाती है। ध्यान दें कई बार टेस्ट रिपोर्ट नार्मल आने के बाद भी यह बीमारी हो सकती है।
इस रोग की चपेट में बच्चे या वयस्क जो भी अत्यधिक मोटे हैं वो आ सकते हैं। इतना ही नहीं धूम्रपान करने वाले, 50 साल से अधिक उम्र वाले लोग , हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज भी इस रोग के जनक हो सकते हैं। कई बार कुछ लोग जो लिवर रोग से पीडि़त होते हैं उनमें एनएएसएच की समस्या फाइब्रोसिस में तब्दील हो जाती है। जिससे लिवर के कुछ ऊत्तक प्रभावित होने लगते हैं।
वहीं लिवर सिरोसिस (liver cirrhosis) की स्थिति में यह रोग अपनी गंभीर अवस्था में होता है , जहां पर ऊत्तक क्षतिग्रस्त होते लगने के साथ -साथ लिवर कोशिकाओं के गुच्छे भी बनाने लगते हैं। गौतलब है कि ज्यादातर यह समस्या 50 से 60 साल की आयु के बाद ही होती है। टाइप-२ डायबिटीज वाले लोगों में इसका खतरा अधिक होता है।
बचाव
इस रोग से बचने के लिए वजन को नियंत्रण में रखना बेहद जरुरी है। जिसके लिए व्यायाम करना अच्छा विकल्प है । क्योंकि इससे लिवर की कोशिकाओं पर जमी अतिरिक्त वसा को हटाने में मदद मिलती है जिससे स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा घट जाता है। इसके अलावा धूम्रपान को ना कहने में ही भलाई है। गौरतलब है कि फिलहाल इसके लिए कोई दवा उपलब्ध नहीं है, लेकिन हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की कुछ दवायें लिवर के लिए लाभकारी हो सकती है।
बता दें कि इस रोग से बचने में कुछ सुपर फ़ूड( super food) लिवर में जमे फैट को घटाने में मददगार साबित हो सकते हैं। जिसमें हेल्दी फैट के अलावा एंटीऑक्सीडेंट्स और कई तरह के कार्बोहाइड्रेट भी शामिल होते हैं। गौरतलब है कि फैटी लिवर की समस्या जूझ रहे लोगों को डॉक्टर मछली या सी फूड, फल, साबुत अनाज, बादाम, ओलिव ऑयल, हरी सब्जियां, एवोकाडो और फलीदार सब्जियां खाने की सलाह देते हैं। जो बहुत हद तक फैटी लिवर की समस्या के रोकथाम में मदद करते है।