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Mosquito-Borne Diseases: अब मच्छरों से होने वाली बीमारियों का पता लगाएगी RTPCR लैब, ICMR की नई पहल जल्द होगी शुरू
Mosquito-Borne Diseases: लैब्स में जिनोम मॉनिटरिंग की जाएगी, जो कि तेज गति से नतीजे देने और उच्च स्तरीय संवेदनशील जानकारी मुहैया कराने में बेहद प्रभावी मानी जाती है।
Mosquito-Borne Diseases: कोविड-19 टेस्ट के लिए प्रयोग की जा रही RT-PCR लैब को दूसरे उद्देशयों के लिए यूज करने को लेकर अब पुडुचेरी के वेक्टर कंट्रोल रिसर्च सेंटर (VCRC) के वैज्ञानिकों ने केंद्र के स्वास्थ्य अधिकारियों को पत्र लिखकर अनुमति मांगी है। वैज्ञानिकों के अनुसार कोविड-19 टेस्ट के लिए प्रयोग की जा रही RT-PCR लैब का प्रयोग अब मच्छर जनित बीमारियों के इंसानी संपर्क के जोखिम का अध्ययन करने के लिए किया जाना चाहिए।
क्योंकि बता दें कि कोविड महामारी के बाद से भारत में लगभग 3,382 RT-PCR लैब बनाये गये हैं। चूँकि अब कोविड की लहर वैसी नहीं है जैसी शुरूआती टाइम में थी। इसलिए इन सब बातों पर विचार करते हुए वैज्ञानिकों ने RT-PCR लैब का प्रयोग अब मच्छर जनित बीमारियों के इंसानी संपर्क के जोखिम का अध्ययन करने के लिए करना चाहते हैं। गौरतलब है कि VCRC, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अंतर्गत काम करने वाली ही एक संस्था है।
अब RT-PCR लैब में मच्छर जनित बीमारियों का होगा टेस्ट
ICMR-VCRC के निदेशक डॉ. अश्विनी कुमार के अनुसार कोविड के बाद हमारे पास राज्य स्तर पर कई ऐसे उन्नत सुविधा केंद्र हैं, जिन्हें काम के लिए हम दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं। इसलिए हमलोगों ने केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय से मच्छर जनित बीमारियों को कंट्रोल करने के लिए इन लैब्स के फिर से इस्तेमाल करने के बारे में पत्र लिखा है। उनके मुताबिक इन लैब्स में जिनोम मॉनिटरिंग की जाएगी, जो कि तेज गति से नतीजे देने और उच्च स्तरीय संवेदनशील जानकारी मुहैया कराने में बेहद प्रभावी मानी जाती है। गौरतलब है कि जिनोम मॉनिटरिंग एक दिन में लगभग 1000 मच्छरों के समूह से संक्रमित मामलों का पता लगाने में सक्षम माने जाते है।
मच्छर जनित बीमारियों के मॉनटरिंग का बेहद खास है ये तरीका
बता दें कि मच्छर जनित बीमारियों के फैलने के खतरे का पता लगाने के सिर्फ दो ही तरीके हैं। एक तरीका है जिसमें परजीवों व दूसरे वायरस जैसे जीवाणुओं पर नजर रखी जाती है और दूसरा तरीका जिसमें बीमारी फैलाने वाले उन मच्छरों पर नजर रखी जाए। उल्लेखनीय है कि जिनोम मॉनिटरिंग बीमारी को फैलाने वाले मच्छरों पर निगरानी रखने का बेहतरीन तरीका है। गोरतलब है कि यह मॉनिटरिंग उन मच्छरों के बारे में जानकारी देने में मदद करेगी जो रोग को फैलाते हैं।
मच्छरों से होने वाली बीमारी की पहचान हो सकती है आसान
संस्थान ने ये फैसला लेते हुए कहा कि अभी इस दिशा के शुरूआत में कुलेक्स नाम के मच्छर की निगरानी की जाएगी, जो लिम्फैटिक फाइलेरियासिस को फैलाने के लिए उत्तरदायी माना जाता है।गौरतलब है कि अभी तक देश में मच्छर जनित बिमारियों के लगभग 328 जिलों में 4, 80,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। जबकि बाद में जिनोम मॉनिटरिंग नेटवर्क दूसरी जगहों पर इसके पहचान के लिए प्रयोग की जाएगी।
गौरतलब है कि केंद्र स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले निकाय नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल ने एक जारी डेटा जारी करते हुए बताया कि भारत में जनवरी से मई के बीच 10,172 डेंगू के मामले सामने आए हैं जिसमें तीन मौत हो चुकी हैं। जबकि अभी तक चिकनगुनिया के करीब 1554 मामले सामने आए हैं। इतना ही नहीं जापानी बुखार के 62 मामले आये जिसमें दो लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा अप्रैल तक देश में 21, 558 मलेरिया के मामले सामने आये और जिसमें 4 लोगों की मौत भी हो चुकी है।