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Diabetes: खून में बढ़े हुए ब्लड फैट से मेटाबॉलिक डिजीज से ग्रस्त रोगियों को जबरदस्त खतरा

Metabolic disease: खून में ट्राइग्लिसराइड यानी ब्लड फैट की बढ़ी हुई मात्रा के कारण भी आपके शरीर में सूजन पैदा हो सकता है। जो बेहद खतरनाक है। खून में मौजूद ट्राइग्लिसराइड्स को ही 'ब्लड फैट' कहते हैं।

Preeti Mishra
Written By Preeti MishraPublished By aman
Published on: 5 April 2022 1:19 PM IST
Patients suffering from metabolic disease are at great risk due to increased blood fat in blood
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Diabetes 

Metabolic disease: मोटापा, डायबिटीज और दिल संबंधित बीमारियां अपने आप में ही समस्याओं की गठरी हैं। अगर ऐसे में शरीर में इन्फ्लेमेशन यानी सूजन की समस्या शुरू हो जाए तो सोचिये कितनी गंभीर स्थिति पैदा हो जाएगी। वैसे देखा जाये तो आमतौर पर शरीर में होने वाला कोई इंफेक्शन ही इन्फ्लेमेशन का कारण होता है। बता दें, कि जब कोई वायरस, बैक्टीरिया या अन्य माइक्रो ऑर्गेनिज्म शरीर पर अटैक करता है, तो ऐसे में शरीर इसे रोकने और स्वयं की रक्षा के लिए संबंधित अंग में सूजन पैदा कर देता है।

एक रिसर्च में यह बात सामने आई है, कि खून में ट्राइग्लिसराइड यानी ब्लड फैट की बढ़ी हुई मात्रा के कारण भी आपके शरीर में सूजन पैदा हो सकता है। जो बेहद खतरनाक है। बता दें, कि खून में मौजूद ट्राइग्लिसराइड्स को ही 'ब्लड फैट' कहा जाता है।


हालिया एक शोध में यह बात सामने आयी है कि डायबिटीज टाइप- 2 (Diabetes Type -2) के मरीजों और मोटापे (Obesity) के शिकार लोगों में ब्लड फैट (Blood Fat) का लेवल बढ़ जाने से उन्हें गंभीर समस्या हो सकती है। बता दें, कि मेटाबॉलिक डिजीज (metabolic disease) के रोगियों के ब्लड में फैट का लेवल बढ़ने से मसल्स के सेल्स में स्ट्रेस (तनाव) काफी बढ़ जाता है, जिसके कारण सेल्स के बाहर की स्थिति में बदलाव आ जाता है। और ये बदलाव उसकी संरचना (Structure) और कामकाज को भी नुकसान पहुंचाने लगता है।


शोधकर्ताओं के मुताबिक शरीर में मौजूद तनाव ग्रस्त कोशिकाएं (stressed cells) अन्य कोशिकाओं तक पहुंचाने का एक सिग्नल रिलीज करती हैं, जिसे सिग्नल सेरमाइड्स (Ceramides) कहते हैं। बता दें, कि सेल्स में तनाव कम करने वाले सिस्टम का हिस्सा होने के कारण कम समय में ये सुरक्षात्मक कार्य (protective function) भी कर सकते हैं। लेकिन मेटाबॉलिक डिजीज (जो एक दीर्घावधिक स्थिति होती है) से ग्रसित रोगियों में ये सिग्नल बीमारी बढ़ने वाली कोशिकाओं को ही मार भी सकते हैं, जिससे रोगियों की हालत बिगड़ती चली जाती है।


रिसर्च में यह भी खुलासा हुआ है कि व्यक्ति के खून में जितनी ज्यादा फैट की मात्रा होगी, उतनी ही उसकी मौत जल्दी होने की संभावना तेज़ होगी। लेकिन शोधकर्ताओं ने इसमें भी एक उम्मीद की किरण निकाल ली कि मोटापे से ग्रस्त लोगों की कोशिकाओं में तनाव पनपने का कारण क्या है ? मेटाबॉलिक डिजीज के इलाज के लिए यह एक नया विकल्प हो सकता है। गौरतलब है कि आजकल मोटापा एक महामारी की तरह फैल रही है जिसके कारण उससे जुड़ी डायबिटीज टाइप-2 जैसी क्रॉनिक बीमारियों के लिए नए इलाज और नए - नए शोध की बहुत ज्यादा जरुरत बढ़ गयी है। ताकि जल्द से जल्द इस महामारी की रोकथाम की जा सके।



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aman

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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