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Pigeon Poop Infection: कबूतर के बीट से हो सकती है यह जानलेवा बीमारी, BHU के डॉक्टर से जानें इसके संपर्क में आने से नुकसान
Pigeon Poop Infection: इस सम्बन्ध में बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में न्यूरोलॉजी के हेड और प्रोफेसर विजय नाथ मिश्रा ने X पर एक पोस्ट साँझा करते हुए कबूतर की बीट मानव शरीर के लिए कितना नुकसानदायक है उस पर प्रकाश डाला है।
Pigeon Poop Infection (Image: Social Media)
Pigeon Poop Infection: हमारे आस-पास बहुत से कबूतर दीखते हैं। कई बार हमारी बालकनी में तो कबूतरों की भरमार होती है। कई बार लोग कबूतरों को दाना भी डालते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि जाने-अनजाने में इन कबूतरों से निकटता हमारे लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। ऊंची इमारतों और अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों के लिए यह विशेष चिंता का विषय है।
कबूतर का मल, बैक्टीरिया, कवक और परजीवियों जैसे हानिकारक सूक्ष्मजीवों की संभावित उपस्थिति के कारण स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है। कबूतर की बीट में हवा में मौजूद कण हो सकते हैं, जो सांस के जरिए अंदर जाने पर श्वसन संबंधी जलन पैदा कर सकते हैं।
इस सम्बन्ध में बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में न्यूरोलॉजी के हेड और प्रोफेसर विजय नाथ मिश्रा ने X पर एक पोस्ट साँझा करते हुए कबूतर की बीट मानव शरीर के लिए कितना नुकसानदायक है उस पर प्रकाश डाला है।
कबूतर की बीट से किस बीमारी का खतरा
प्रोफेसर विजय नाथ मिश्रा लिखते हैं कि कबूतर की टट्टी में, क्रिप्टोकोकोल फफूद बहुतायत में पाया जाता है। (बाक़ी चिड़ियों में से तोता, चिकन या काकटू में भी पाया जाता है पर कम मात्रा में!) डॉ मिश्रा पोस्ट में लिखते हैं कि ये फफूद, कबूतर के बीट से हवा में आ जाते हैं और मनुष्य के सासों से होते हुए फेफड़े में चले जाते हैं। अगर, मनुष्य की इम्युनिटी कम हुई (जैसे डायबिटीज में या एड्स में या किडनी / लीवर ट्रांस्पलंट मरीज़ों में) तो ये फफूद फेफड़े से होते हुए, मनुष्य के ब्रेन में पहुँचते हैं और क्रिप्टोकोकॉकल मेनिनजाइटिस कर देते हैं।
डॉ मिश्रा के अनुसार क्रिप्टोकोकॉकल मेनिनजाइटिस बीमारी काफ़ी गंभीर है और जानलेवा भी। इससे सावधानी से हो बचा जा सकता है। इसलिए अंत में वो लिखते हैं कि चिड़ियों से प्रेम करें, पर थोड़ा सावधानी से और सफ़ाई के साथ।
कैसे बचें इन्फेक्शन से
सफ़ाई: उन क्षेत्रों की नियमित रूप से सफ़ाई करें जहाँ कबूतर रहते हैं ताकि उनके मल को कम से कम जमा किया जा सके।
सुरक्षात्मक उपाय: कबूतर की बीट की सफाई या प्रबंधन करते समय, सीधे संपर्क और साँस लेने से रोकने के लिए दस्ताने, मास्क और काले चश्मे जैसे सुरक्षात्मक गियर पहनें।
कीटाणुशोधन: मल-मूत्र से दूषित सतहों को साफ करने के लिए कीटाणुनाशक का उपयोग करें।
निवारक: कबूतरों को अवांछित क्षेत्रों में बसने से रोकने के उपाय लागू करें, जैसे कि स्पाइक्स, जाल, या अन्य पक्षी निवारक का उपयोग करना।
पेशेवर मदद: व्यापक संदूषण या लगातार समस्याओं के मामलों में, पेशेवर कीट नियंत्रण सेवाओं की तलाश करने पर विचार करें।