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'कोरोना से जंग जीत चुके व्यक्ति बचा सकते हैं दूसरों की ज़िंदगी,' जानें कैसे?

प्लाज्मा वही व्यक्ति डोनेट कर सकता है, जो कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद ठीक हो चुका हो और उसका वैक्सीनेशन न हुआ हो।

Shashwat Mishra
Published on: 8 April 2021 3:51 PM IST
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लखनऊ: प्रदेश में कोरोना वायरस की दूसरी वेव ने दस्तक दे दी है। रोज़ाना हजारों की तादाद में मरीज मिल रहे हैं। अकेले राजधानी लखनऊ में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। सरकार की तरफ से वैक्सिनेशन कराया जा रहा है। मग़र, हमें इस बात को समझने की ज़रूरत है कि वैक्सीन 45 वर्ष से ऊपर के आयु वर्ग वालों को ही लग रही है। मतलब, यदि 45 वर्ष से नीचे वालों को कोरोना वायरस होता है, तो उनकी जान पर खतरा बन सकता है।

कोरोना मरीज़ों के लिए प्लाज्मा थेरेपी काफ़ी हितकारी साबित हुई है। मगर, इस वक़्त राजधानी लखनऊ में प्लाज्मा डोनेट करने वालों की संख्या न के बराबर है। जिन्हें नहीं पता है, उन्हें यह बता दें कि प्लाज्मा वही व्यक्ति डोनेट कर सकता है, जो कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद ठीक हो चुका हो और उसका वैक्सीनेशन न हुआ हो।

वैक्सीन लगवा चुके लोग नहीं कर सकते हैं प्लाज्मा डोनेट

इस बारे में जब हमने डॉ. तुलिका चंद्रा (एचओडी, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग, केजीएमयू) से बातचीत की, तो उन्होंने हमें बताया कि 'आज की तारीख में बहुत सारे लोग संक्रमित हो रहे हैं, जिनकी प्लाज्मा थेरेपी की जरूरत पड़ रही है। रोज हमारे पास चार-पांच लोगों की डिमांड आ रही है। इनकी जान बचाने के लिए प्लाज्मा थेरेपी कारगर सिद्ध हुई है। बहुत सारे लिटरेचर पब्लिश हो चुके हैं इस पर। तो, आज एक मौका है उनकी जान बचाने का। लेकिन, हमारे पास इतना प्लाज्मा नहीं है, उनकी जान बचाने का। केवल जा रहा है, आने के स्त्रोत बहुत कम हो चुके हैं।'


साथ ही डॉ. तुलिका चंद्रा ने यह भी बताया कि वैक्सीन लगवा चुके लोग प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा- 'ताज़ा गाइडलाइंस के मुताबिक, जो लोग वैक्सीनेटेड हो चुके हैं, वह प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते हैं। हेल्थ केयर वर्कर्स भी वैक्सीनेटेड हो चुके हैं, तो वे भी प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते। इस बार जिम्मेदारी हमारे 18-45 वर्ष के बीच के लोगों की है। जो लोग कोविड़ से संक्रमित हुए हैं या चार-पांच महीने के अंदर संक्रमित हुए थे और अब ठीक हो चुके हैं, तो 14 दिन बाद वह अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं। हम उनके एंटीबॉडीज की जांच करेंगे, अगर एंटीबॉडीज पाई जाएंगी, तो वह प्लाज्मा उनसे डोनेट कराकर शायद किसी की जान बचाई जा सकती है।

केजीमयू में मात्र 15 यूनिट बचा है प्लाज्मा

डॉ. तुलिका चंद्रा ने उन लोगों से अपील की है, जो लोग कोरोना संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि 'लोग आकर प्लाज्मा डोनेट करें, क्योंकि प्लाज्मा मात्र 15-20 यूनिट बचा है, जो कि मात्र एक हफ्ते तक के लिए ही काफी है। हमारे पास डिमांड इतनी आ रही है, जिससे ज्यादा दिनों तक ये नहीं बचेगा।' साथ ही उन्होंने बताया कि प्लाज्मा का ब्लड ग्रुप से कोई संबंध नहीं है। किसी भी ब्लड ग्रुप का व्यक्ति अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।



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Shashwat Mishra

Shashwat Mishra

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