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Plastic In Human Body: सावधान! ब्रेन तक में घुसा हुआ है प्लास्टिक

Plastic In Human Body: हमारे आपके शरीर में प्लास्टिक के बहुत ही छोटे कण मौजूद हैं। इनकी संख्या कितनी है इसका कोई अंदाज़ा नहीं है। ये प्लास्टिक दिलोदिमाग, शरीर में कुछ भी खेल कर सकता है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 2 Dec 2023 6:54 PM IST
Attention Plastic has penetrated even into the brain
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सावधान! ब्रेन तक में घुसा हुआ है प्लास्टिक: Photo- Social Media

Plastic In Human Body: हमारे आपके शरीर में प्लास्टिक के बहुत ही छोटे कण मौजूद हैं। इनकी संख्या कितनी है इसका कोई अंदाज़ा नहीं है। ये प्लास्टिक दिलोदिमाग, शरीर में कुछ भी खेल कर सकता है।

दरअसल, जब प्लास्टिक समय के साथ धीरे-धीरे टूटता है, तो यह माइक्रोप्लास्टिक्स और नैनोप्लास्टिक्स नामक छोटे भागों का उत्पादन करता है। प्लास्टिक के ये बहुत ही महीन टुकड़े पानी और खाद्य स्रोतों को प्रदूषित करते हैं और इंसानों और अन्य जीवों में प्रवेश कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि अधिकांश वयस्कों के खून में छोटे प्लास्टिक कण पाए जा सकते हैं।

ब्रेन में घुसपैठ

नैनोप्लास्टिक इतने छोटे होते हैं कि वे सुरक्षात्मक ब्लड ब्रेन बैरियर को पार कर सकते हैं और यहां तक कि व्यक्तिगत न्यूरॉन्स (एक प्रकार की मस्तिष्क कोशिका) में भी प्रवेश कर सकते हैं।

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नया अध्ययन

एक नए अध्ययन से पता चला है कि नैनोप्लास्टिक्स मस्तिष्क के भीतर बदलाव ला सकता है जैसा कि पार्किंसंस रोग में देखा जाता है। पार्किंसंस रोग सबसे तेजी से बढ़ने वाले और सबसे विनाशकारी नर्व संबंधी विकारों में से एक है। यह गति को नियंत्रित करने वाली नर्व कोशिकाओं की विशेषज्ञ आबादी को खत्म कर देता है।

शोधकर्ताओं ने दिखाया कि पर्यावरण में पाए जाने वाले नैनोप्लास्टिक्स अल्फा-सिन्यूक्लिन नामक प्रोटीन के साथ सम्पर्क कर सकते हैं। यह प्रोटीन स्वाभाविक रूप से प्रत्येक ब्रेन में होता है जहां यह नर्व और सेल्स के बीच संचार में भूमिका निभाता है। पार्किंसंस और कुछ प्रकार के मनोभ्रंश जैसी बीमारियों में, अल्फा-सिन्यूक्लिन बदल जाता है।

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शोधकर्ताओं ने पाया है कि नैनोप्लास्टिक्स अल्फा-सिन्यूक्लिन से कसकर बंध जाते हैं और इससे जहरीले गुच्छों का निर्माण होता है, जैसा कि पार्किंसंस रोग में देखा जाता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अल्फा-सिन्यूक्लिन और नैनोप्लास्टिक्स के बीच परस्पर क्रिया को परीक्षण किए गए तीन मॉडलों में देखा गया था। ये टेस्ट ट्यूब, प्रोसेस्ड तंत्रिका कोशिकाएं और जीवित चूहे थे। यानी ये हर स्थिति में पाया गया।

सो अगर आप प्लास्टिक के प्रति अब भी नहीं चेते हैं तो अब चेत जाइये। प्लास्टिक बहुत बड़ा नुकसान कर सकने में सक्षम है। एक अनुमान है कि हमारे शरीर में इतना माइक्रोप्लास्टिक मौजूद है जितना बड़ा डेबिट कार्ड होता है।



Shashi kant gautam

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