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इन लक्षणों को भूल कर भी ना करें नजरअंदाज, नहीं तो हो सकता है घातक

एक तो कोरोना वायरस का कहर ऊपर से ठंड का मौसम। लोगों में खासी जुखाम बढ़ने का डर सता रहा हैं। लेकिन जिन्हें इस ठंड से ज्यादा नुक्सार हैं वो निमोनिया के मरीज़ हैं। निमोनिया में फेंफड़े संक्रमित हो जाते हैं।

Monika
Published on: 17 Nov 2020 5:44 PM GMT
इन लक्षणों को भूल कर भी ना करें नजरअंदाज, नहीं तो हो सकता है घातक
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इन लक्षणों को ना करें नजरअंदाज, जानलेवा हो सकता है निमोनिया

एक तो कोरोना वायरस का कहर ऊपर से ठंड का मौसम। लोगों में खासी जुखाम बढ़ने का डर सता रहा हैं। लेकिन जिन्हें इस ठंड से ज्यादा नुक्सार हैं वो है निमोनिया के मरीज़। निमोनिया में फेंफड़े संक्रमित हो जाते हैं। निमोनिया होने पर वायुकोष में तरल पदार्थ या मवाद भर जाता है जिसकी वजह से कफ, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में तकलीफ होती हैं। इसके अलावा इन मरीजों को मितली, उल्टी, दस्त और सांस लेने में कठिनाई भी आने लगती है। नवजात बच्चों में इस संक्रमण के लक्षण जल्दी नज़र नहीं आते।आम तौर पर बच्चों को निमोनिया होने पर उनमें थकान और बुखार होने लगता है। आइए जानते है क्या है निमोनिया के कारण जिस वजह से ये बीमारी हम तक पहुंच जाती हैं।

निमोनिया के ये कारण

कई रोगाणु निमोनिया का कारण बन सकते हैं। आम तक पर सांस लेने पर बैक्टीरिया और वायरस भी अन्दर आ जाते हैं। हमारा शरीर आमतौर पर इन रोगाणुओं को फेफड़ों को संक्रमित करने से रोकता है लेकिन कभी-कभी ये रोगाणु इतने मजबूत हो जाते हैं कि हमारे इम्यून सिस्टम पर हावी हो जाते हैं और शरीर को संक्रमित कर देते हैं।

निमोनिया

किन्हें है ज्यादा खतरा

सबसे ज्यादा 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को निमोनिया का खतरा होता है। या 2 साल से कम उम्र के बच्चों को, कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को, दिल या फेफड़ो की बीमारी वालों को सबसे ज्यादा होता है। इनके अलावा निमोनिया किसी को भी संक्रमित कर सकता है। ख़ास आर उन लोगों को जो आईसीयू में वेंटिलेटर मशीन के जरिए सांस ले रहे हो। अगर आपको अस्थमा या दिल संबंधी बीमारी है तो भी आपको निमोनिया की संभावना ज्यादा हो सकती है। यही नहीं धूम्रपान करने वालों को भी निमोनिया का खतरा ज्यादा होता है। धूम्रपान शरीर के बैक्टीरिया और वायरस के खिलाफ प्राकृतिक सुरक्षा को नुकसान पहुंचाता है।

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निमोनिया

डॉक्टर के संपर्क में रहें

अगर आपको सांस लेने में दिक्कत आ रही हो, सांस लेने में सीने में दर्द हो, बुखार 102 F (39 C) से ज्यादा हो, लगातार खांसी कफ और बलगम लग रहा हो तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। आमतौर पर इसे एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक किया जा सकता है लेकिन ये और भी गंभीर हो सकता है अगर सही समय पर इसका इलाज ना कराया जाए।

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ऐसे करें बचाव

निमोनिया और फ्लू से बचाव के लिए कुछ वैक्सीन उपलब्ध हैं। बच्चों को निमोनिया का टीका जरूर लगवाएं. साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें. हाथों को समय-समय पर धोते रहें ,सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें । स्मोकिंग बिलकुल ना करें, ये आपके फेफड़ों को और खराब करता है। नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ आहार लें।

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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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