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गर्भवती महिलाओं को दिल के दौरे का अधिक खतरा 

raghvendra
Published on: 28 July 2018 7:33 AM GMT
गर्भवती महिलाओं को दिल के दौरे का अधिक खतरा 
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गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को आम तौर पर कोई न कोई समस्या जरूर हो जाती है मगर अब एक नया खुलासा हुआ है। इस खुलासे के अनुसार महिलाओं के गर्भवती होने के दौरान, बच्चे को जन्म देने या फिर प्रसव के दो महीने के बाद उनमें दिल का दौरा पडऩे का खतरा बढ़ता जा रहा है। यह खुलासा अमेरिका में हुए एक अध्ययन में हुआ है। अध्ययन में बताया गया है कि इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि कई महिलाएं अधिक उम्र में बच्चों को जन्म देती हैं। आजकल इस तरह के उदाहरण बढ़ते जा रहे हैं।

अमेरिका में हुए अध्ययन में हुआ खुलासा

यह अध्ययन जर्नल मायो क्लिनिक प्रोसीडिंग में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में बताया गया है कि महिलाओं में उम्र के साथ दिल का दौरा पडऩे का खतरा बढ़ जाता है। विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान यह खतरा अधिक होता है। न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में लांगोन हेल्थ के शोध के सह लेखक श्रीपाल बेंगलोर ने कहा कि एक दशक की सबसे बड़ी समीक्षा के बाद हमारा विश£ेषण से यह बात साफ तौर पर स्पष्टï हुई है कि गर्भावस्था माताओं के शरीर और उनके दिल के लिए कितना तनावपूर्ण साबित हो सकती है। इससे शारीरिक परिवर्तन हो सकते हैं और यह संभावित रूप से उन जोखिम वाले कारकों पर से पर्दा उठाती है जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है।

महिलाओं में मोटापा व मधुमेह बढ़ा

शोधकर्ताओं के मुताबिक महिलाओं के मोटापे या मधुमेह से पीडि़त होने की संख्या में वृद्धि हुई है। ये दोनों दिल के दौरे के प्रमुख जोखिम वाले कारकों में से एक हैं। यही कारण है कि महिलाओं में दिल के दौरे का खतरा बढ़ता जा रहा है। शोधकर्ताओं ने ठोस आधार पर अध्ययन के बात यह निष्कर्ष निकाला है। इसके लिए अस्पतालों में दर्ज 4 करोड़ 98 लाख 29 हजार 753 डिलिवरी का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि प्रसव के दौरान 1 हजार 61 महिलाओं को दिल का दौरा पड़ा, बच्चे के जन्म से पहले 922 महिलाओं को म्योकॉर्डियल इंफाक्र्शन के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया और जन्म के बाद स्वास्थ्य में सुधार की अवधि के दौरान 2 हजार 390 महिलाओं को दिल का दौरा पड़ा।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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